ईश्वर चंद्र विद्यासागर को पूरा देश एक महान समाज सुधारक और शिक्षाविद के तौर पर याद करता है। उन्होंने कई किताबें लिखी थीं जिनमें ‘भ्रांतिबिलास’ नाम का एक उपन्यास भी था जो सन् 1869 में प्रकाशित हुआ। यह विलियम शेक्सपियर के ‘कॉमेडी ऑफ एरर्स’ से प्रेरित था और एक माने में उसका भारतीयकरण था। यह एक मालिक और एक नौकर की कहानी है जो किसी दूसरे शहर में जाते हैं तो वहां भी उन्हीं की शक्ल के मालिक और नौकर की जोड़ी मौजूद है। वे एक-दूसरे को जानते नहीं हैं, लेकिन दोनों मालिक भी जुड़वां भाई हैं और नौकर भी। इन चारों लोगों और उनकी पत्नियों के बीच गलतफ़हमियों का एक ऐसा सिलसिला चलता है जो आपको लगातार गुदगुदाता रहता है। इसी ‘भ्रांतिबिलास’ पर 1963 में इसी नाम से बांग्ला में उत्तम कुमार ने एक फिल्म बनाई थी। उत्तम कुमार इसमें खुद नायक बने थे और उनके साथ नौकर की भूमिका में भानु बनर्जी थे। इसे बांग्ला की सुपरहिट फिल्मों में गिना जाता है।
पांच साल बाद इसी कहानी पर हिंदी में ‘दो दूनी चार’ बनी जिसमें किशोर कुमार मालिक की और असित सेन नौकर की दोहरी भूमिकाओं में थे। इसमें तनूजा भी थीं। यह फिल्म 1968 मैं रिलीज हुई। बिमल रॉय का निधन 1966 में ही हो गया था, लेकिन इसमें निर्माता के तौर उन्हीं का नाम था। ‘दो दूनी चार’ को देबू सेन ने निर्देशित किया था जबकि पटकथा व गीत गुलज़ार के थे। यह कहानी गुलज़ार के मन में कहीं अटक गई थी। आखिरकार चौदह साल इंतजार करने के बाद गुलज़ार को फिर से इसी कहानी की पटकथा लिखने और उसके निर्देशन का मौका मिला। यह थी ‘अंगूर’ जिसमें संजीव कुमार और देवेन वर्मा जुड़वां मालिक व नौकर बने थे। उनके अलावा मौसमी चटर्जी, दीप्ति नवल और अरुणा ईरानी को महत्वपूर्ण भूमिकाएं मिली थीं। इसके निर्माता वैसे तो जय सिंह नाम के एक साहब थे जिन्होंने ‘अदा..... अ वे ऑफ़ लाइफ़’ और ‘दिल से मिले दिल’ जैसी दो फिल्में और भी बनाई थीं, लेकिन 1982 में आई ‘अंगूर’ को आम तौर पर लोग गुलज़ार की फिल्म के तौर पर ही जानते हैं। और हम यह भी जानते हैं कि अपने बॉलीवुड की यह एक बेहद लोकप्रिय फिल्म है।
ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने जो ‘भ्रांतिबिलास’ लिखा था उसमें उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध के कलकत्ता और उसके पास के किसी कस्बे का सुस्त सा परिवेश था। लगभग सौ साल बाद बनी दो ‘दूनी चार में’ उस परिवेश को वैसा ही रखने की कोशिशों के बावजूद उसमें कुछ नयापन आ गया। ‘अंगूर’ आते-आते इसमें थोड़ी और तेजी आ गई। अब जरा सोच कर देखिए कि इसी कहानी पर अगर रोहित शेट्टी फिल्म बनाएं तो?
जी हां, ‘फ़ियर फ़ैक्टर’ और ‘खतरों के खिलाड़ी’ जैसे टीवी शो और ‘गोलमाल’, ‘सिंघम’, ‘सिम्बा’, ‘सूर्यवंशी’ या ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ जैसी फिल्में बनाने वाले रोहित शेट्टी की अगली फिल्म ‘सर्कस’ उसी कहानी पर बनी है जिसे डेढ़ सदी पहले शेक्सपियर का एक नाटक पढ़ कर ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने भारत के लिए बुना था। जल्दी ही रिलीज़ होने जा रही ‘सर्कस’ में रणवीर सिंह और वरुण शर्मा एक-दूसरे से अनजान जुड़वां मालिक और जुड़वां नौकर बने हैं। उनके साथ जैकलीन फर्नांडीज़ और पूजे हेगड़े को लिया गया है।
रोहित शेट्टी ने इस कहानी में कुछ बदलाव भी किए हैं और इसमें छह नए पात्र जोड़े हैं। उस पुरानी कहानी में सर्कस को भी जोड़ा गया है जो कि अब एक लुप्त होती विधा है। दावा किया गया है कि फिल्म में सत्तर के दशक का ही परिवेश और पारिवारिक मूल्यों को रखने की कोशिश की गई है। दावा यह भी किया गया है कि यह फिल्म उतनी लाउड नहीं है जैसी रोहित शेट्टी की फिल्में होती हैं। तो क्या हम रोहित शेट्टी को बदलते हुए देखने वाले हैं? यहां यह ध्यान रखना होगा कि यह फिल्म रोहित शेट्टी के लिए उतना बड़ा जोखिम नहीं है जितना रणवीर सिंह के लिए है, क्योंकि रणवीर की पिछली कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही हैं और उन्हें एक बड़ी हिट की बड़ी शिद्दत से तलाश है।
‘सर्कस’ में बदली नए ज़माने की ‘अंगूर’
और पढ़ें
-
आलिया भट्ट ने होप गाला इवेंट किया होस्ट
मुंबई। एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने लंदन में चल रहे चैरिटी इवेंट होप गाला को होस्ट किया। उन्होंने इस...
-
अमेरिकी सेना ने कहा, हौथी के चार ड्रोनों को मार गिराया
सना। अमेरिकी सेना (US Military) ने यमन में हौथी समूह द्वारा लॉन्च किए गए चार ड्रोनों (Drone) को मार गिराया...
-
तापसी पन्नू ने पैंट-कोट के साथ फ्यूजन स्टाइल में पहनी साड़ी
मुंबई। मशहूर एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) को साड़ी पहनना काफी पसंद है। इस कड़ी में एक्ट्रेस ने इंस्टाग्राम पर...
-
भूपेश बघेल ने कांग्रेस को प्राइवेट लिमिटेड बना दिया है: सुरेंद्र दाऊ
राजनांदगांव। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र दाऊ (Surendra Dau) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को फिर...