यानी अब माहौल बिलकुल अलग है। केरल की फिल्मों अथवा मलयालम फिल्मों को बेहतरीन कहानियों के लिए जाना जाता है। पिछले कई सालों से देश में किसी भी भाषा की फिल्मों के मुकाबले मलयालम सिनेमा में सबसे अच्छी कहानियां आई हैं, ठीक जैसे कभी बांग्ला फिल्मों में हुआ करती थीं। लेकिन अब एक फिल्म को लेकर वहां विवाद छिड़ गया है। फिल्मकार विपुल शाह ने सुदीप्तो सेन के निर्देशन में ‘द केरला स्टोरी’ नाम की एक फिल्म बनाई है। इसमें बताया गया है कि केरल से बत्तीस हजार महिलाएं अचानक गायब हो जाती हैं क्योंकि उन्हें बरगला कर, उनका धर्म बदल कर और प्रशिक्षण देकर आतंकी संगठन आईएसआईएस अपने मिशन में इस्तेमाल करना चाहता है। एक लड़की जो कि नर्स बनना चाहती थी, उसका अहपरण हो जाता है और वह भी इस दुष्चक्र में फंस जाती है। उसका भी धर्म परिवर्तन कराया जाता है, उसे भी आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है और आखिरकार वह अफगानिस्तान की एक जेल में पहुंच जाती है। इसी लड़की की ज़बानी पूरी कहानी कही गई है। यह फिल्म अदा शर्मा, योगिता बिहानी, बेनेडिक्ट गैरेट और भावना मखीजा जैसे कलाकारों को लेकर बनी है। इनमें से अदा शर्मा ‘हंसी तो फंसी’ और ‘कमांडो 2’ में काम कर चुकी हैं जबकि योगिता ‘दिल ही तो है’ और ‘विक्रम वेधा’ में दिखी थीं। मुंबई में आ बसे ब्रिटिश अभिनेता बेनेडिक्ट गैरेट भी कई भारतीय फिल्मों में आए हैं जबकि भावना ‘टूथ परी’, ‘क्रैश कोर्स’, ‘कर्म युद्ध’ और ‘गिल्टी माइंड्स’ में देखी जा चुकी हैं।
मतलब यह कि इस फिल्म में बड़े कलाकार नहीं हैं, लेकिन विपुल अमृतलाल शाह को कोई छोटा फिल्मकार नहीं कहेगा। उन्हें हम कई मशहूर टीवी सीरियलों के अलावा ‘आंखें’, ‘नमस्ते लंदन’, ‘सिंह इज़ किंग’, ‘फोर्स’ और ‘कमांडो’ आदि फिल्मों के लिए जानते हैं। वे अभिनेत्री शेफाली शाह के पति भी हैं। उनका दावा है कि यह फिल्म हमारी रिसर्च और सच्ची घटनाओं पर आधारित है। उनके मुताबिक यह ऐसी कहानी है जिसे सुनाने की हिम्मत कोई नहीं करता और फिल्म देखने के बाद आप समझ जाएंगे कि हम कितने बड़े ख़तरे में हैं।
समस्या यह है कि इस फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही सोशल मीडिया पर कुछ लोग अपील करने लगे कि हिंदू लोग इसे ज़रूर देखें। दूसरी तरफ, इस फिल्म के जरिये केरल को बदनाम करने के आरोप लग रहे हैं। एक पत्रकार ने केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन को पत्र लिख कर इस मामले की जांच कराने की मांग की। उसके बाद राज्य के पुलिस महानिदेश ने तिरुअनंतपुरम के पुलिस कमिश्नर को इस बारे में केस दर्ज करने को कहा। मामला राजनैतिक बन गया है और सीपीएम, कांग्रेस और आईयूएमएल ने इस फिल्म का विरोध किया है। हो सकता है कि केरल में इस फिल्म का रिलीज़ होना मुश्किल हो जाए। लेकिन बाकी देश में तो वह अपना ख़तरों वाला संदेश प्रसारित कर ही सकती है। और केरल में भी इसे थिएटरों पर ही तो रिलीज होने से रोका जा सकता है। इंटरनेट पर क्या होगा?