nayaindia Aamir Raza Hussain Passed Away At Age Of 66 आमिर रजा हुसैन का 66 वर्ष की आयु में निधन
बॉलीवुड

आमिर रजा हुसैन का 66 वर्ष की आयु में निधन

ByNI Desk,
Share

Aamir Raza Hussain :- ‘बाहुबली’, ‘आरआरआर’ और अब आने वाली ‘आदिपुरुष’ जैसी बड़े पर्दे की फिल्मों से बहुत पहले आमिर रजा हुसैन की रचनात्मक शक्ति ने भारत को ‘द फिफ्टी डे वॉर’ के जरिए एक मेगा नाट्य निर्माण का अनुभव कराया, जिसे वर्ष 2000 तक किसी भी पैमाने या दृष्टि से दोहराया नहीं गया। शनिवार, 3 जून को 66 वर्षीय हुसैन का निधन हो गया, जो अपने पीछे यादगार मंच प्रस्तुतियों की विरासत छोड़ गए। उनके परिवार में उनकी पत्नी और उनकी रचनात्मक साथी विराट तलवार हैं, जिनसे वह तब मिले थे, जब वह लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा थीं और एक नाटक (‘डेंजरस लाइजन’) के लिए ऑडिशन देने आई थीं। उनके दो बेटे हैं। उन्होंने ‘द फिफ्टी डे वॉर’ के माध्यम से कारगिल की कहानी उस पैमाने पर सुनाई, जिसे भारतीय मंच पर किसी ने प्रस्तुत नहीं किया था (एलिक पदमसी ने एंड्रयू लॉयड वेबर की ‘जीसस क्राइस्ट सुपरस्टार’ के साथ भी कुछ ऐसा ही किया था, लेकिन वह मूल प्रस्तुति नहीं थी), ‘द लेजेंड ऑफ राम’, जिसका 1994 में छोटे पैमाने पर मंचन किया गया था, 2004 में इसे फिर से शुरू किए जाने पर नाट्य क्षेत्र के लिए यह स्वर्ण मानक बन गया।

‘द लीजेंड ऑफ राम’ के निर्माण में तीन एकड़ में फैले 19 आउटडोर सेट और महाकाव्य से लिए गए विभिन्न पात्रों को निभाने वाले 35 कलाकारों की एक कास्ट और 100 सदस्यीय तकनीकी दल शामिल थे। आखिरी शो तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सामने 1 मई 2004 को पेश किया गया। हुसैन का जन्म 6 जनवरी, 1957 को एक कुलीन अवधी परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। उनके पिता इंजीनियर थे और उन्होंने मक्का-मदीना के जल कार्यो को स्थापित किया था। उनकी मां और उनका परिवार – ब्रिटिश राज के दिनों में वे पीरपुर नाम की एक छोटी सी रियासत संभालते थे।

वह मेयो कॉलेज, अजमेर गए और अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज में इतिहास पढ़ा, जहां उन्होंने जॉय माइकल, बैरी जॉन और मार्कस मर्च जैसे दिग्गजों के निर्देशन में कई कॉलेज नाटकों में अभिनय किया। यह अंग्रेजी थिएटर और उनकी कंपनी, स्टेजडोर प्रोडक्शंस को समर्पित करियर की शुरुआत थी, जो 1974 के बाद से साधारण थिएटर को शानदार के दायरे में लाने के लिए जानी जाती है। हुसैन दो फिल्मों में दिखाई दिए – रुडयार्ड किपलिंग के उपन्यास पर आधारित ‘किम’ (1984), जिसमें पीटर ओ’टोल ने मुख्य भूमिका निभाई थी और शशांक घोष की रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा ‘खुबसूरत’ (2014), जिसमें सोनम कपूर और फवाद खान ने अभिनय किया था।

इन वर्षो में उन्होंने बाहरी स्थानों पर कई नाटकों का मंचन किया – ‘सारे जहां से अच्छा’, ‘1947 लाइव’ और ‘सत्यमेव जयते’, जिसका मंचन 1999 में दिल्ली में 14 वीं शताब्दी के हौज खास स्मारक की पृष्ठभूमि में किया गया था। इससे पहले 1998 में हुसैन और उनकी मंडली ने दिल्ली पर्यटन के सहयोग से पड़ोस में चांदनी चौक में लालकिले और फतेहपुरी मस्जिद के बीच 2 किलोमीटर की दूरी पर चौदवीं का चांद उत्सव का आयोजन किया था, जिसे अब दिल्ली-6 के रूप में जाना जाता है। 91 प्रस्तुतियों और उनके पीछे 1,100 से अधिक प्रदर्शनों के साथ और 2001 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। हुसैन ने अपने आखिरी साल दक्षिण दिल्ली के ऐतिहासिक साकेत इलाके में सेलेक्ट सिटीवॉक मॉल के बगल में किला विकसित करने में बिताए। (आईएएनएस)

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें