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कई धारणाएं टिकी हैं ‘भोला’ पर

कई धारणाएं टिकी हैं ‘भोला’ पर

अपनी लागत के हिसाब से ‘भोला’ को एक हिट फिल्म कहलाने के लिए बॉक्स ऑफिस पर 200 करोड़ के पार पहुंचना ज़रूरी है। अगर ऐसा होता है तो अजय देवगन अपने अक्षय कुमार से कुछ और आगे निकल जाएंगे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि वे निर्देशन में स्थापित हो जाएंगे। इससे पहले उनके निर्देशन की ‘यू मी और हम’, ‘शिवाय’ और ‘रनवे 34’, तीनों ही फ्लॉप रही थीं। इनमें क्योंकि ‘शिवाय’ ने कुछ बेहतर कमाई की थी, सो ‘भोला’ में भी भोलेनाथ छाए हुए हैं। बॉलीवुड इन सब बातों को बहुत मानता है। जैसे कुछ लोग मानते हैं कि ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ और ‘आरआरआर’ के चलने का कारण यह था कि उनमें अजय देवगन ने कैमियो किए थे। इसी तरह, कहा जाता है कि ‘भूल भुलैया 2’ और ‘दृश्यम 2’ के हिट होने की वजह तब्बू की उपस्थिति थी। अजय देवगन की ‘रनवे 34’ और तब्बू की ‘कुत्ते’ के बुरी तरह पिटने के बावजूद यह मान्यता जोर पकड़ रही है।

‘भोला’ एक पुलिस टीम पर हुए हमले के समय उसकी मदद करने वाले एक कैदी की कहानी है जो कि लोकेश कनगराज की तमिल फिल्म ‘कैथी’ का रीमेक है। कैथी यानी कैदी। ‘भोला’ अगर चली तो अजय देवगन और तब्बू की मौजूदगी को शुभ मानने वाली धारणा और मज़बूत होगी। ‘पठान’ के बाद यह दूसरी नितांत एक्शन फिल्म है। इसके चलने का असर यह भी होगा कि हिंदी फिल्मों में एक्शन का दबदबा बढ़ेगा। वैसे, यह फिल्म चले या नहीं, लेकिन एक नया चलन बॉलीवुड में धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा है। अब ऐसी कहानियां ज्यादा आने लगी हैं जिनमें पारंपरिक हीरो-हीरोइन जैसा कुछ नहीं होता। अजय देवगन की पिछली कई फिल्में ऐसी थीं। कुछ तब्बू की भी थीं। ‘भोला’ भी ऐसी है और इन दोनों की आने वाली और भी कई फिल्में इसी चलन की कड़ी बनेंगी।

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Published by सुशील कुमार सिंह

वरिष्ठ पत्रकार। जनसत्ता, हिंदी इंडिया टूडे आदि के लंबे पत्रकारिता अनुभव के बाद फिलहाल एक साप्ताहित पत्रिका का संपादन और लेखन।

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