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‘कैट’ की सावधानी

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‘कैट’ की सावधानी
पंजाब में जब आतंकवाद का दौर चल रहा था, तब स्थिति यह थी कि पुलिस आतंकियों को पकड़ने या उनका ख़ात्मा करने में मशगूल थी तो आतंकी भी जहां मौका पाते वहां धमाके करते या निरीह व निशस्त्र लोगों को गोलियों से उड़ाते फिर रहे थे। उसी क्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से भड़की सिख विरोधी हिंसा के शिकार भी आम और निस्सहाय लोग बने। इस सब पर हिंदी और पंजाबी में कई फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें से कुछ फिल्में उस दौर की राजनीति पर आधारित थीं जबकि कुछ को बनाने का कारण भी शायद राजनीतिक था। कारण कोई भी रहा हो, मगर लगभग इन सभी फिल्मों और वेब सीरीज़ में पंजाब के बाहर सिखों पर हुए अत्याचार को केंद्र में रखा गया, मगर मामले को सांप्रदायिक बनाने के लिए आतंकी पंजाब में जो जानबूझ कर हिंदुओं को निशाना बना रहे थे उसका बस जिक्र भर कर दिया गया। लेकिन नेटफ्लिक्स पर पिछले दिनों आई वेब सीरीज़ ‘कैट’ में साफ तौर पर दिखाया गया है कि किस तरह सुनसान सड़क पर किसी बस को रोका गया। उसमें से केवल एक संप्रदाय के लोगों को उतरने को कहा गया। फिर उनमें महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग खड़ा किया गया। और फिर पुरुषों को उड़ा दिया गया। यह दृश्य इतने साफ तरीके से शायद पहली बार परदे पर आया है। इस सीरीज़ के निर्माता और लेखक बलविंदर सिंह जांजुआ कहते हैं कि वे तो बस अपने पंजाब की सच्ची कहानी बताना चाहते थे। और सच को तभी समझा जा सकता है जब उसे हर पहलू से देखा जाए। यह वेब सीरीज़ असल में पंजाब में ड्रग्स की समस्या और उसके जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध एक मुहिम का बखान है। इस मुहिम में कई ऐसे लोग भी शामिल दिखाए गए हैं जो पंजाब से आतंक के सफाए के अभियान का भी हिस्सा रहे थे। उस पुराने अभियान की तरह इस बार भी उनके सामने समस्या यह है कि नशे के धंधे से पुलिस अफसर और राजनीतिक लोग भी जुड़े हैं। इसलिए यह लड़ाई भी पिछली लड़ाई जैसी ही पेचीदा है। मौजूदा मुहिम का हिस्सा बन चुका गुरनाम जो कि इस पेचीदगी से हार मानने को तैयार नहीं है, उसकी भूमिका रणदीप हूडा ने की है। अपने अपेक्षाकृत नए और सक्षम अभिनेताओं में एक नाम रणदीप का भी है।
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