मनोरंजन

विवादों का घर ‘बिग बॉस’

Share
विवादों का घर ‘बिग बॉस’
बॉलीवुड में ‘बचपन’ नाम की कई फिल्में बनी हैं। इनमें से एक ‘बचपन’ 1963 में आई थी जिसका निर्देशन नज़ीर ने किया था। इसके कलाकारों में डेविड, जीवन, मनोरमा, डेजी ईरानी ऐसे नाम थे जिन्हें आज भी बहुत से लोग जानते हैं। इसमें सलीम खान ने भी काम किया था जो कुछ फिल्में करने के बाद अभिनेता से पटकथा और संवाद लेखक बन गए और सबको मालूम है कि जावेद अख्तर के साथ बनी उनकी जोड़ी ने उस दौर में कैसा हंगामा खड़ा किया था। सलीम-जावेद की जोड़ी ने तब हिंदी फिल्मों की धारा को ही मोड़ कर रख दिया था। उन दिनों फिल्मों के पोस्टरों पर बाकायदा सलीम-जावेद का नाम लिखा जाता था। पोस्टरों पर किसी पटकथा लेखक का नाम आना अपने आप में एक ऐसा कमाल था जो न उससे पहले हुआ और न बाद में। इन्हीं सलीम खान के सबसे बड़े बेटे हैं अपने सलमान खान, जिनके प्रेजेंटेशन वाले टीवी शो ‘बिग बॉस’ को लेकर इन दिनों एक विवाद चल रहा है। यह इस शो का सोलहवां संस्करण है और याद नहीं पड़ता कि इसके साथ विवाद कब नहीं रहा। बहुत से लोग मानते हैं कि ये विवाद शो के निर्माता जानबूझ कर पैदा करवाते हैं ताकि किसी तरह शो की रेटिंग बरकरार रहे। लेकिन इस बार मामला कुछ गंभीर हो चला है और कोई पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि क्या जानबूझ कर इसे गंभीर बनाया जा रहा है। विवाद यह है कि इस बार ‘बिग बॉस’ के घर में रहने के लिए जिन लोगों को चुना गया उनमें साजिद खान भी हैं। साजिद खान टीवी प्रेजेंटेटर हैं और ‘हिम्मतवाला’ और ‘हाउसफुल’ जैसी हल्की-फुल्की फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। इन जनाब पर 2018 में ‘मी टू’ अभियान के तहत फिल्मों, मॉडलिंग और पत्रकारिता से जुड़ी कम से कम दस महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इसके चलते इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन एसोसिएशन ने साजिद को एक साल के लिए बैन कर दिया था। लेकिन अब उन्हें ‘बिग बॉस’ के लिए चुने जाते ही यह मामला फिर से भड़क उठा है। उन आरोप लगाने वाली महिलाओं में से कुछ ने ‘बिग बॉस’ में उनके चयन पर आपत्ति की है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिख कर साजिद पर लगे आरोपों को देखते हुए उन्हें ‘बिग बॉस’ से बाहर करने की मांग की है। जवाब में फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज ने साजिद का बचाव किया है। इस फेडरेशन ने भी अनुराग ठाकुर को पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि ‘मी टू’ वाली शिकायतें मिलने पर भारतीय फिल्म और टेलीविजन निदेशक संघ ने साजिद खान को एक साल के लिए बैन किया था और वे अपनी सजा काट चुके हैं। यह बैन मार्च 2019 में ही पूरा हो चुका था। फेडरेशन का कहना है कि साजिद को उसी अपराध के लिए दोबारा सजा नहीं दी जा सकती और अब उन्हें अपना करियर फिर से शुरू करने और जीविका कमाने का मौका मिलना चाहिए। मगर शर्लिन चोपड़ा और कनिष्का सोनी आदि साजिद की वापसी का विरोध कर रही हैं। इनमें से कनिष्का वही टीवी कलाकार हैं जो कुछ समय पहले खुद से ही शादी करने के कारण खबरों में आई थीं। शर्लिन और कनिष्का, दोनों को ही कोई बड़ी कलाकार नहीं कहेगा, लेकिन ‘मी टू’ वाले मामले में यह कतई जरूरी नहीं कि शिकायत करने वाली महिला कोई कलाकार हो या बड़ी कलाकार हो। असल में फिल्मों में ब्रेक या बड़ा ब्रेक पाने के लिए कई महिलाएं कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं। यह देख कर हमारे कई छोटे और बड़े फिल्मकार इसे अपना अधिकार समझने लगते हैं। वैसे यह समस्या हर क्षेत्र और हर पेशे में है। पत्रकारिता में भी है। कुछ साल पहले दिवंगत कथाकार राजेंद्र यादव ने न्यूज चैनलों में चल रही इस समस्या पर ‘हंस’ का एक पूरा अंक निकाला था। एमजे अकबर और तरुण तेजपाल का किस्सा भी सबने देखा। ऐसे अनगिनत किस्से अपनी टीवी इंडस्ट्री में मौजूद हैं। हर पेशे के रसूखदार लोगों को इस समस्या से निपटने के बारे में सोचना चाहिए। निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने हाल में ट्विटर से हटने की घोषणा की है। ऐसा उन्होंने नेगेटिव एनर्जी से बचने और ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव एनर्जी के संचय की खातिर किया है। मगर उन जैसे बड़े फिल्मकारों को उस नेगेटिव एनर्जी को समाप्त करने के बारे में भी सोचना चाहिए जो फिल्मों और टीवी में काम करने की इच्छुक महिलाओं को लगभग रोजाना सहनी पड़ती है। जिन साजिद खान को ‘बिग बॉस’ में लेने पर यह विवाद चल रहा है वे जानी-मानी निर्देशक और कोरियोग्राफर फराह खान के भाई हैं। इन दोनों की मां का नाम मेनका ईरानी है जिन्होंने कामरान खान से विवाह किया। इन मेनका ईरानी ने भी कई फिल्मों में काम किया था और जिसे उनकी सबसे अहम फिल्म माना जाता है वह वही ‘बचपन’ थी जिससे हमने इस चर्चा की शुरूआत की। कैसा अजीब संयोग है कि इस फिल्म के संगीतकार सरदार मलिक थे जिनके बेटे और आज के बड़े संगीत निर्देशक अनु मलिक पर भी ‘मी टू’ के आरोप लगे। इस संयोग का आप कुछ नहीं कर सकते और कोई भी व्यक्ति अपने बड़े हो चुके बच्चों के किसी भी कृत्य के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकता।
Tags :
Published

और पढ़ें