शिवसेना को पटाने में जुटी भाजपा

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी 2014 से पहले की स्थिति में लौटने को तैयार है। कम से कम लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ सीटों का तालमेल करने को तैयार है। पार्टी के प्रदेश के लगभग सभी बड़े नेताओं ने शिवसेना को पटाने का प्रयास शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने खुद उम्मीद जताई है कि भाजपा और शिवसेना मिल कर चुनाव लड़ेंगे। शिवसेना ने अभी तक इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
शिवसेना ने उलटे नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए बन रही विपक्षी एकता की तुलना सांप, नेवला और कुत्ते, बिल्लियों से करने के बयान पर भाजपा को निशाना बनाया। उसने कहा कि सांप, नेवला, कुत्ते, बिल्लियों की बात अलग है पर बाघ को बांधना संभव नहीं है। शिवसेना का यह बयान भाजपा के माथे पर शिकन लाने वाला है क्योंकि पार्टी के नेताओं को पता है कि बिना गठबंधन के अकेले लोकसभा लड़ कर वे अपनी सीटें नहीं बचा पाएंगे। वह भी तब जबकि दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी मिल कर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
तभी भाजपा के नेता शिवसेना के साथ लोकसभा चुनाव के लिए पहले से तय फार्मूले पर सीटों का बंटवारा करके लड़ने को तैयार हैं। पुराने फार्मूले के मुताबिक लोकसभा में भाजपा ज्यादा और शिवसेना कम सीटों पर लड़ती थी और विधानसभा में शिवसेना ज्यादा और भाजपा कम सीटों पर लड़ती थी। पिछली बार लोकसभा में भाजपा 24 और शिवसेना 20 सीटों पर लड़ी थी। चार सीटें रामदास अठावले, राजू शेट्टी जैसी सहयोगी पार्टियों के खाते में गई थी। जब भाजपा 24 में से 23 सीटों पर जीत गई और केंद्र में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई तो उसने विधानसभा में बराबर सीटों की मांग शुरू कर दी। इसी पर दोनों पार्टियों का तालमेल टूटा था।
तभी कहा जा रहा है कि शिवसेना को लोकसभा के पुराने फार्मूले पर भाजपा के साथ लड़ने में दिक्कत नहीं है पर वह चाहेगी कि विधानसभा का भी पुराना फार्मूला वापस लागू किया जाए, जो भाजपा के लिए संभव नहीं है। पिछली विधानसभा में उसके 122 विधायक जीते हैं और शिवसेना के विधायकों की संख्या 63 है यानी भाजपा के आधे के बराबर। ऐसे में भाजपा शिवसेना को ज्यादा सीट नहीं दे सकती है।
सो, भाजपा और शिवसेना के बीच तालमेल अटका हुआ है। पर कहा जा रहा है कि जब कांग्रेस और एनसीपी तालमेल करेंगे तो दोनों पार्टियों के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। लोकसभा में दोनों तालमेल कर सकते हैं और विधानसभा का फैसला आगे के लिए छोड़ा जा सकता है। इस बीच यह खबर भी है कि एनसीपी ने शिवसेना से तालमेल का दांव चला है। इसे भाजपा का ही दांव कहा जा रहा है। भाजपा अगर शिवसेना से तालमेल नहीं कर पाएगी तो चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाने के लिए वह कांग्रेस और एनसीपी के तालमेल को रोकने का प्रयास भी करेगी।
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