भोपाल। जब भीमराव अंबेडकर के गुणगान करते हुए पूरे देश में शक्ति बन चुकीबसपा ढलान पर है तब अंबेडकर जयंती जलवेदार मनाने और दलितों का सबसे बड़ा शुभचिंतक बनने की होड़ भाजपा कांग्रेस और ‘आप’ पार्टी में देखी गई।
दरअसल, हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में देश में नई तरह की राजनीतिक समीकरणों को बनाने की दिशा दी है। इसी क्रम में अब जयंतियों को मनाने की होड़ भी शुरू हो गई है इससे राजनीतिक दलों को कितना फायदा मिलेगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन स्वयं जीवन भर विचारों के लिए सादगीपूर्ण जीवन जीते रहे महापुरुष जलवा दिखाने से ज्यादा विचारों को आत्मसात करने से प्रसन्न होते हैं।
बहरहाल, प्रदेश में भी अंबेडकर जयंती पूरे धूमधाम के साथ मनाई गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने तो एक दिन पहले मूर्ति को नहला कर और माला पहनाकर पार्टी की प्राथमिकता बता दी थी और 14 अप्रैल को समय से ही भाजपा ने 65000 बूथों पर अंबेडकर मनाने के कार्यक्रम की शुरू कर दिए और प्रत्येक बूथ पर भाजपा द्वारा दलित समाज और अंबेडकर के हित में यह गए कार्यों को बताया गया। खासकर पंच तीर्थ के बारे में बताएं गया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू पहुंचे। जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जन्मस्थली पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान पर यह देश जल रहा है। उनके पंच तीर्थों में से एक मध्य प्रदेश में स्थित है यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।
उनके विचारों के मुताबिक हमारी सरकार सामाजिक समरसता के साथ-साथ सामाजिक न्याय के लिए काम कर रही है और यह प्रक्रिया आगे भी चलती रहेगी वंचित वर्ग को आगे लाने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणाएं भी की वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ महू पहुंचे और यहां प्रतिमा को नमन करने के बाद कहा कि उनके मन में काफी समय से एक विचार है। जिसे गुर्जर रूप देंगे जिसके तहत वे स्टैचू ऑफ हमुयूनिटी के नाम पर के नाम पर बाबा साहब की सबसे बड़ी प्रतिमा एमपी में लगाना चाहते हैं। सबके सहयोग से यह प्रतिमा स्थापित करेंगे लोगों का इसमें आंशिक सहयोग लिया जाएगा।
कुल मिलाकर इस बार अंबेडकर जयंती पर चारों ओर जय भीम का नारा बुलंद हुआ और एक बहुत बड़े वर्ग को प्रभावित करने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों में कोई कसर नहीं छोड़ी। जाहिर है अब तक अंबेडकर के नाम को बनाया गया है। उनकी सोच नहीं अपनाई गई है क्या राजनीतिक दल अंबेडकर के समतामूलक समाज के सोच को आगे बढ़ाएंगे और समाज से जातिवाद समाप्त करेंगे क्योंकि केवल महिमामंडित करने के आधार पर कोई भी जान लंबे समय तक अंबेडकर के नाम को भुना नहीं सकता इसका सबसे अच्छा उदाहरण बहुजन समाज पार्टी है जिसने उत्तर प्रदेश में सरकार में रहते अंबेडकर के नाम पर पार्क बनवाए मूर्तियां लगवाई लेकिन दलित समाज का उत्थान नहीं हो पाया इस कारण अब धीरे-धीरे पूरे देश में बसपा सिमटती जा रही है और इसी कारण अन्य दलों की निगाहें अब बसपा के वोट बैंक पर टिक गई है भाजपा ने उत्तर प्रदेश में इस वर्ग को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और 2024 तक इन प्रयासों को पार्टी गति देती रहेगी। वहीं कांग्रेस पार्टी अपने पुराने वोट बैंक को वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रही है जबकि कुछ राज्यों में आप पार्टी ने भी इस वोट बैंक पर सेंध लगाई है। यही कारण है के इस बार की जयंती जलवा दिखाने और जज्बाती होने पर केंद्रित रही।