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सेहत की जागरूकता में विश्व स्वास्थ्य दिवस

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी। और इसी दिन पहली विश्व स्वास्थ्य सभा में ही विश्व स्वास्थ्य दिवस की स्थापना का आह्वान किया गया। पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल 1950 को आयोजित किया गया था, और उसके बाद प्रत्येक वर्ष सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। आगामी7 अप्रैल 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी 75 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है।

7 अप्रैल- विश्व स्वास्थ्य दिवस: मनुष्य के जीवन में स्वास्थ्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। स्वास्थ्य व्यक्ति की अमूल्य निधि है। स्वास्थ्य मनुष्य समाज का आधार स्तम्भ है। यह सिर्फ व्यक्ति विशेष को प्रभावित नहीं करता, बल्कि जिस समाज में वह रहता है उस सम्पूर्ण समाज को प्रभावित करता है। स्वस्थ मनुष्य ही सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह कुशलतापूर्वक कर सकता है। स्वास्थ्य ठीक होने पर व्यक्ति कठिन से कठिन व विपरीत परिस्थितियों में भी जीवन पथ पर उत्साहपूर्वक अग्रसर रहता है। स्वास्थ्य का महत्त्व न केवल मानव के लिए है, बल्कि समाज के लिए भी उतना ही महत्तवपूर्ण है क्योंकि स्वस्थ व्यक्तियों का समाज ही उन्नति करता है, बाहरी ताकतों की चुनौतियों का सामना करता है तथा सफलतापूर्वक अपने अधिकारों व कर्तव्यों का पालन कर मनुष्य सभ्यता को स्वस्थ व जीवित रख पाता है। शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक रूप से हष्ट-पुष्ट होने के कारण जीवनशक्ति से पूर्ण, भावात्मक रूप से सहनशील व चिंतारहित होता है और सामाजिक दृष्टि से सहयोगी, परोपकारी, निःस्वार्थी तथा दूसरों का सम्मान करने वाला होता है। वह अपने जीवन को तो सुखमय एवं आनंद से पूर्ण बनाता ही है, साथ ही सुखी जीवन व्यतीत करते हुए वह समाज और राष्ट्र को अमूल्य योगदान दे सकता है। इसीलिए स्वास्थ्य को व्यक्ति की सबसे अमूल्य पूंजी माना जाता है। और रोगरहित उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु जीवन की आशा संसार के सभी मनुष्य करते हैं।

स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के द्वारा प्रत्येक वर्ष सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी। और इसी दिन पहली विश्व स्वास्थ्य सभा में ही विश्व स्वास्थ्य दिवस की स्थापना का आह्वान किया गया। पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल 1950 को आयोजित किया गया था, और उसके बाद प्रत्येक वर्ष सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आज 7 अप्रैल 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी 75 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। यह दिवस लोगों के स्वास्थ्य स्तर में सुधार करने और स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए समर्पित है। इसे मनाने का उद्देश्य दुनिया भर के हर व्यक्ति को अच्छी स्वास्थ्य और सुविधा उपलब्ध कराना है। अपनी स्थापना के समय से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन का प्रमुख कार्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है। भारत भी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन का एक सदस्य देश है, और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। इस प्रकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा अपनी स्थापना की वर्षगांठ को ही विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाता है।

अपने स्थापना के इन 75 वर्षों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानव जाति के कल्याण और विश्व की गंभीर बीमारियों और स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। दुनिया के अलग अलग क्षेत्रों में उपजे खाद्यान्न संकट और आपदाओं में बढ चढकर लोगों और देशों की सहायता की है। आर्थिक रूप से पिछडे या अक्षम देशों में यह संगठन निशुल्क अस्पताल और दवाईयों की व्यवस्था भी करता है। कोविड काल में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा बेहतरीन कार्य किया गया है। इसमें निशुल्क मेडिकल किट प्रदान करना और जरूरतमंदों तक उचित वैक्सीन की पंहुच को सुनिश्चित करना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में निर्मित इस संगठन को मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे अग्रणी वैश्विक संगठनों में से एक माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्राथमिकता वाले क्षेत्र को उजागर करने के लिए दिन का मुख्य लक्ष्य एक निश्चित स्वास्थ्य विषय के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण और उनके समाधान को प्रभावी बनाने के लिए विश्व के कई देशों के मध्य समन्वय बनाने और हेल्थ को लेकर वित्तीय सहायता देने का भी कार्य करता है। वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 देश सक्रिय सदस्य हैं। इन देशों में यह संगठन भिन्न- भिन्न स्तर पर अपनी सेवायें प्रदान करता है, और स्वास्थ्य के प्रति देशों को जागरूक करने का भी कार्य करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा वर्ष 1991 से विश्व स्वास्थ्य दिवस बतौर एक थीम के अनुसार मनाने की घोषणा की गयी थी। तब से प्रत्येक वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस किसी थीम के अनुसार समकालीन स्वास्थ्य मुद्दों पर केंद्रित होता है, जिन पर विभिन्न विषयों के साथ तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है। 7 अप्रैल 2023 को मनाये जाने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए थीम हेल्थ फॉर ऑल रखी गयी है। विश्व स्वास्थ्य दिवस 2023 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन मानव और सम्पूर्ण समाज को हेल्थ फोर आल अर्थात सबको स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक तत्काल कार्यों पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करेगा और सबके कल्याण पर केंद्रित समाज बनाने के लिए एक आंदोलन को बढ़ावा देगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें कैसे संबोधित किया जाए, इसके लिए अपनी भूमिका निभाई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संसार में प्रत्येक वर्ष 1.3 करोड़ से अधिक मौतें पर्यावरणीय कारणों से होती हैं। इसमें जलवायु संकट भी शामिल है, जो मानवता के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जलवायु संकट को भी एक स्वास्थ्य संकट माना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हमारे राजनीतिक, सामाजिक और व्यावसायिक निर्णय जलवायु और स्वास्थ्य संकट को बढ़ा रहे हैं। 90 प्रतिशत से अधिक लोग जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाली अस्वास्थ्यकर हवा में सांस लेते हैं। इस गर्म होती दुनिया में मच्छर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बीमारियां फैला रहे हैं। चरम मौसम की घटनाएं, भूमि क्षरण और पानी की कमी लोगों को विस्थापित कर रही है और उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। प्रदूषण और प्लास्टिक हमारे सबसे गहरे महासागरों, सबसे ऊंचे पहाड़ों के तल पर पाए जा रहे हैं। यहां तक कि प्लास्टिक ने हमारी खाद्य श्रृंखला में अपना रास्ता बना लिया है। अत्यधिक प्रसंस्कृत, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों का उत्पादन करने वाली प्रणालियां मोटापे के खतरों को बढ़ा रही हैं, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक तिहाई पैदा करते हुए कैंसर और हृदय रोग को बढ़ा रहे हैं।

कोविड-19 महामारी ने दुनिया को विज्ञान के माध्यम से उपचार करने की शक्ति अवश्य दिखाई, लेकिन इसने दुनिया में असमानताओं और समाज के सभी क्षेत्रों में व्याप्त कमजोरियों को उजागर किया है, और पारिस्थितिकी तन्त्र की सीमाओं को अतिक्रमण किये अर्थात तोड़े बिना अभी और आने वाली पीढ़ियों के लिए समान स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध स्थायी कल्याणकारी समाज बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है। हमारे देश व विश्व के अर्थव्यवस्था का वर्तमान स्वरूप आय, धन और शक्ति के असमान वितरण की ओर ले जाता है, जिसमें बहुत से लोग अभी भी गरीबी और अस्थिरता में जी रहे हैं। सरकारों की नीतियों से इसमें कमी के बजाय उल्टे और बढ़ोतरी होने की ही सम्भावना है।  एक कल्याणकारी अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के रूप में मानव कल्याण, समानता और पारिस्थितिक स्थिरता के लक्ष्यों को दीर्घकालिक निवेश, कल्याण बजट, सामाजिक सुरक्षा और कानूनीव वित्तीय रणनीतियों में बदले जाने की जरूरत है। मानव स्वास्थ्य हेतु विनाश के इन चक्रों को तोड़ने के लिए विधायी कार्रवाई, कॉर्पोरेट सुधार और लोगों को स्वस्थ विकल्प बनाने के लिए समर्थन और प्रोत्साहन से ही विश्व स्वास्थ्य दिवस की संकल्पनाओं को हासिल किया जा सकता की आवश्यकता है।

By अशोक 'प्रवृद्ध'

सनातन धर्मं और वैद-पुराण ग्रंथों के गंभीर अध्ययनकर्ता और लेखक। धर्मं-कर्म, तीज-त्यौहार, लोकपरंपराओं पर लिखने की धुन में नया इंडिया में लगातार बहुत लेखन।

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