भोपाल। अयोध्या आंदोलन के दौरान जिसके तीखे तेवर और आक्रामक अंदाज ने कभी साध्वी उमा भारती को एक पहचान दी थी.. राजनीति में तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद लगभग वही अंदाज बरकरार रखते हुए उमाश्री ने रायसेन के किले स्थित सोमेश्वर महादेव से अपनी भगवा भक्ति से जुड़ी हिंदुत्व की अवधारणा को यह सामने रखा.. संकल्प निजी लेकिन संदेश बड़ा जब तक सोमेश्वर महादेव का ताला नहीं खुल जाता तब तक वह अन्य ग्रहण नहीं करेगी.. एेलान चौंकाने वाला लेकिन वह एहसास दिलाता है कि मध्य प्रदेश से लेकर केंद्र में उनकी अपनी भाजपा की सरकार..
शायद इसलिए सावधानी के साथ अपने इरादे जता दिए लेकिन किसी को भी संकट में नहीं डाला… ना ही खुद की प्रतिष्ठा से अभियान को जोड़ा नाही विरोधियों को मौका दिया कि वह आलोचना करें और ना ही पार्टी और अपने शुभचिंतकों को दुविधा में डाला.. उन्होंने इसे जन आंदोलन छेड़ने से परहेज बरता जैसा उन्होंने कुछ दिन पहले शराबबंदी को लेकर बयान दिया था .. नेतृत्व के प्रति जवाबदेही का एहसास दिलाते हुए पार्टी लाइन खासतौर से भगवा धारियों की रणनीति से खुद को काफी हद तक यह कहकर दूर रख लिया कि यह उनका अपना निजी मामला है ..जो वह जलाभिषेक के बाद संकल्प पूरा करने के बाद अन्न ग्रहण करेंगी…
रामराजा दरबार ओरछा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कुछ घंटे पहले ही मंच साझा कर लौटी साध्वी उमाश्री ने इच्छा जताई कि वह चाहती है कि मुख्यमंत्री शिवराज के साथ वह सोमेश्वर महादेव मंदिर में आकर जलाभिषेक करें ..यह कहना गलत नहीं होगा समय सीमा के साथ पुरातत्व विभाग की गाइडलाइन से वह अच्छी तरह वाकिफ थी.. शायद इसलिए उन्होंने शासन प्रशासन को चुनौती देने की बजाय.. निकाले गए बीच के रास्ते पर चलकर अपनी घोषणा के तहत मंदिर की चौखट पर जलाभिषेक किया..
शासन प्रशासन को संकट में नहीं डाला ना ही पार्टी नेतृत्व को यह कहने का मौका दिया कि साध्वी जानबूझकर अपनी सरकार को संकट में डाल रही.. लेकिन यह भी कड़वा सच है कि जनआंदोलन से निकली इस जन नेता ने बिना कुछ कहे यह संदेश जरूर देने की कोशिश की कि अभी वह चुकी नहीं है, हां सियासत में हुई कुछ चूक ने जरूर उन्हें मुख्यधारा की राजनीति से दूर लाकर खड़ा कर दिया.. पर उनके हौसले अभी भी बुलंद है मुद्दों की समझ उन्हें नहीं या फिर वह घर बैठ चुकी है ऐसा कोई सोचता है तो फिर वह नए सिरे से अपनी सोच को बदल ले.. इस बार कुछ अलग अंदाज में आगे पीछे बहुत सोच कर जब उन्होंने अपनी घोषणा के अनुरूप अपनी प्रभावी मौजूदगी सोमेश्वर के दर से दर्ज कराई…
मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी और अपनी बात कही… शिवराज और उनकी सरकार के जलाभिषेक अभियान से उन्होंने खुद को अपनी ओर से ही सही जोड़कर संदेश दिया कि वह हर हाल में शिवराज और उनकी सरकार को मजबूत देखना चाहती है… शिवराज सरकार के सामाजिक सरोकार से जुड़े अभियान में उनकी मौजूदगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.. पिछले 48 घंटों में ओरछा से लेकर रायसेन से यही संकेत गया कि सियासत में जरूरी अपनी सुविधा से ही सही या फिर पार्टी को मजबूत करने के लिए शिवराज और उमा भारती कदमताल कर रहे हैं ..
साध्वी ने गंगा आंदोलन से जुड़ी अपनी यादों को यह कहकर ताजा किया कि जो जल व सोमेश्वर महादेव पर चढ़ा रही वह साधारण नहीं बल्कि खुद उस गंगोत्री से लेकर आई है.. जहां से उन्होंने पश्चिम बंगाल तक की अपनी गंगा यात्रा तमाम विघ्न बाधाओं के बावजूद पूरी करके ही दम लिया.. मध्यप्रदेश में अभी तक शराबबंदी के मुद्दे को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लेने के कारण चर्चा में रही साध्वी उमा भारती इस बार सोमेश्वर महादेव जहां ताला बंद उसे खुलवाने को लेकर सुर्खियों में है…
जिसकी वजह पहले मंदिर में लगा ताला खुलवाने का संकल्प लेना और फिर उसके लिए मंदिर के दर पर दस्तक देना … शासन प्रशासन को कोई चुनौती न देते हुए खुद अन्य ग्रहण नहीं करने का फैसला ले लेना.. रामराजा सरकार के दरबार से उमा भारती और शिवराज ने साथ-साथ का बड़ा संदेश दिया था…
वह रायसेन के किले से और पुख्ता आगे बढ़ता हुआ नजर आया.. जब साध्वी उमा ने भविष्य में भी शिवराज के साथ कदमताल कर जलाभिषेक की अपनी इच्छा जताई.. सोमेश्वर महादेव के मंदिर पहुंची उमा ने बड़ी सावधानी से अपने संकल्प को सामने रखकर हिंदुत्व के प्रति अपने समर्पण और भगवा राजनीति के उसूलों को और पुख्ता किया ..तो मुख्यमंत्री शिवराज के हाथ मजबूत करने के लिए उनके जलाभिषेक अभियान से लेकर बतौर मुख्यमंत्री उनकी प्रतिष्ठा और नेतृत्व को सराहा..
Read also रामनवमी या रावणनवमी ?
साध्वी उमा भारती ने अपनी ओर से ऐलान किया है कि जब तक सोमेश्वर महादेव पर जल नही चढ़ा लेती तब तक अन्य ग्रह नहीं करूंगी.. कोई नया विवाद खड़ा ना हो जाए और ना ही इसके लिए उन्हें जिम्मेदार माना जाए.. शायद इसलिए उन्होंने लगे हाथ स्पष्ट कर दिया कि मेरा यह निर्णय स्वयं की शांति के लिए है.. राज्य की सरकार, प्रशासन ,जिला प्रशासन इसका कोई दबाव महसूस न करें एवं इस को मेरा निजी निर्णय मानते हुए अपनी वैधानिक कार्यवाही को पूरा करते हुए ताला खोलने की प्रक्रिया पूरी करें..
उन्होंने खुद ही कहां कि कम समय में मंदिर का ताला नहीं खुल सका ..इसका आग्रह गुरुवार और शुक्रवार से उन्होंने किया था ..जबकि शनिवार और रविवार को केंद्रीय विभाग बंद रहते हैं ..ऐसे में मैं सोमवार को यहां आई हूं ..इसलिए मैंने प्रशासन को साथ लाया गंगाजल भी सौंप दिया है ..जब मंदिर का ताला खुल जाएगा.. तो सूचना मिलने के बाद वह जरूर मुख्यमंत्री शिवराज के साथ यहां आएंगी और दोनों भाई बहन अभिषेक करेगी ..ना तो यह राज्य सरकार पर दबाव है ना पुरातत्व विभाग पर और ना ही प्रशासन पर.. ना ही मुझ से स्नेह रखने वाले मेरे बड़े भाई मुख्यमंत्री पर यह दबाव है ..अपने आप की शांति के लिए मैंने फैसला लिया है.. उन्होंने कहा उनकी मंशा ताला खुलवाने की है लेकिन इसकी अपनी एक प्रक्रिया जरूर होगी..
ताला बहुत छोटा है मेरे घूसे से ही टूट जाएगा.. ताला तोड़ना नहीं है खुलवाना है.. इसी के साथ अयोध्या आंदोलन का बड़ा चेहरा रहीं उमा भारती की पुरानी भूमिका जिसने उन्हें राजनीति में एक बड़ा मुकाम भी हासिल कर आया.. कुछ दिन पहले ही शराबबंदी के मुद्दे पर राजधानी स्थित एक दुकान पर पत्थर मारने की अपनी सांकेतिक पहल पर उनके अपने ट्वीट के बाद इस बार साध्वी सियासत के लिए जरूरी सतर्कता और सजगता के साथ सामने आई..
उन्होंने मुद्दा आधारित अपनी दृढ़ता दिखाई और बिना कुछ कहे संकेत दिया कि पार्टी नेतृत्व ने भले ही उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंप रखी हो.. लेकिन समाज निर्माण के लिए जरूरी भूमिका निभाना उन्हें आता है.. यानी जनता की नब्ज पर हाथ रख शायद उन्हें भी नई सियासी पारी के लिए सही समय का इंतजार है.. वह हमेशा ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व की तारीफ करती रही है.. कुछ तनातनी और संवादहीनता से उपजे विवाद को छोड़ दिया जाए तो शिवराज से अपने रिश्तो को उन्होंने कमजोर नहीं होने दिया.. रामराजा दरबार में उमा के साथ मंच साझा करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें न सिर्फ मध्य प्रदेश के विकास की नींव रखने का श्रेय दिया था बल्कि उन्हें सोशल रिफॉर्मर भी बताया था…