लखनऊ। उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार मंगलवार शाम थम जाएगा। सूबे की ये दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) की रही हैं। रामपुर सीट पर आजम खान और आजमगढ़ सीट पर मुलायम परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। आजमगढ़ सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को चुनाव मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है। यादव-मुस्लिम, दलित बहुल लोकसभा क्षेत्र में गुड्डू जमाली सपा को नुकसान पहुंचा रहे हैं ।जिसके चलते आजमगढ़ में सपा मुखिया अखिलेश यादव को छोड़कर पूरा सैफई परिवार चुनाव संभालने को उतरा हुआ है। सहयोगी दल के नेता भी सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के पक्ष में यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं, इसके बाद भी आजमगढ़ को लेकर सपा की चिंता खत्म नहीं हो रही है।
इसकी मुख्य वजह है, बसपा मुखिया मायावती का खेला गया सियासी दांव। आजमगढ़ सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भोजपुरी फिल्म के अभिनेता दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’ को चुनाव मैदान में उतार कर यादव दांव खेला। तो बसपा मुखिया मायावती ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के रूप में मुस्लिम कार्ड खेलकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। अब सपा को यहां अपने यादव और मुस्लिम कोर वोटबैंक को संभालने की चिंता है। सपा के यादव नेताओं को भाजपा ने अपने साथ मिलाकर यहां सपा मुखिया अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के खिलाफ जबरदस्त चक्रव्यूह रच हुई है। जिसे देखते हुए समूचा सैफई परिवार आजमगढ़ में जुटा हुआ है
प्रोफेसर रामगोपाल यादव यहां आजमगढ़ के पार्टी कार्यालय में जमे हैं। जबकि सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के चचेरे भाई और फिरोजाबाद के पूर्व सांसद अक्षय यादव जनसंपर्क कर रहे हैं। वही धर्मेंद्र यादव मजार से लेकर शिवमंदिर तक आस्था दर्शाते हुए लोगों से मिल रहे हैं और छोटी छोटी सभाओं में पहुंचकर वह खुद बोलने के बजाय स्थानीय नेताओं, जातीय क्षत्रपों की ओर माइक बढ़ा रहे हैं। कुल मिलकर आजमगढ़ में सपा नेता हर किसी से मिलकर यहां यह संदेश देने में जुटे हैं कि आजमगढ़ से उनका उनका नाता सैफई जितना ही खास है।
यह संदेश इसलिए भी दिया जा रहा है क्योंकि बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली ने यहां ‘अपना भाई बनाम बाहरी’ का नारा चला दिया है। गुड्डू जमाली वर्ष 2014 में बसपा के टिकट पर मुलायम सिंह यादव के खिलाफ उतरे थे, तो उन्हें 2.66 लाख वोट मिले थे। त्रिकोणीय मुकाबले में मुलायम सिंह महज 63 हजार वोटों से जीते थे। जमाली मुस्लिमों को अपनी नुमाईंदगी और इस्तेमाल होने से बचने की नसीहत दे रहे हैं। तो मायावती ने आजमगढ़ के लोगों से गुड्डू जमाली को जिताने की अपील करते हुए कहा है कि गुड्डू जमाली कई बार विधायक रहे हैं और उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी धर्मों के लोगों की मदद की है। दूसरी पार्टियों में ऐसे उम्मीदवार इस समय में कहीं नजर नहीं आते। मुस्लिम समाज के बीच गुड्डू जमील के पक्ष में माहौल बनने से रोकने के लिए ही अखिलेश यादव ने आजम खान की आजमगढ़ में चुनावी सभाएं कराई लेकिन वह खुद अभी तक आजमगढ़ में चुनाव करने नहीं पहुंचे हैं। जिसे लेकर आजमगढ़ में चुनाव प्रचार में जुटे सपा नेता ओर पदाधिकारी भी हैरान हैं।
इन नेताओं के अनुसार, आजमगढ़ में अब तक के 19 चुनावों में 13 बार यादव बिरादरी के उम्मीदवार की जीत हुई है. वर्ष 1978 और 2009 के उपचुनाव में यहां से मुस्लिम चेहरे को ही नुमाइंदगी मिली. ऐसे में तीसरे चुनाव में भी ‘कौम की रहनुमाई’ की सोच से आजमगढ़ आगे बढ़ता है या नहीं, चुनाव की धुरी इसी पर टिकी है. इसके बाद भी अखिलेश यादव अभी तक यहां चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे हैं, जबकि उनके इस्तीफ़ा देने के कारण ही इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को यहां चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव को निशाना बनाया था. जिसके बाद अखिलेश यादव के यहां चुनाव प्रचार ना करने आने को लेकर सवाल उठा तो सपा नेताओं ने कहा कि अखिलेश यादव इस आत्मविश्वास में हैं कि आजमगढ़ और रामपुर की दोनों सीटें वह जीत रहे हैं. इसलिए अखिलेश यादव आजमगढ़ और रामपुर प्रचार करने नहीं आए हैं. सपा नेताओं के इस दावे के इतर सैफई परिवार के सभी लोग समूचे आजमगढ़ में मुस्लिम समाज के लोगों को बसपा और गुड्डू जमाली के बहकावे में ना आने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि इन्हें पता है कि दलित और मुस्लिम समाज के वोटों का बटवारा धर्मेंद्र यादव की राह को मुश्किल करेंगा. इसलिए अब चुनावों के अंतिम दिनों में सपा नेता अपने एमवाई समीकरण को एकजुट रखने पर जोर दे रहे हैं. ताकि बसपा मुखिया मायावती की चुनावी सियासत सपा को ज्यादा नुकसान ना पहुंचा सके.
आजमगढ़ लोकसभा उप चुनाव एक नजर में
पार्टी : प्रत्याशी
भाजपा: दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’
सपा : धर्मेंद्र यादव
बसपा : शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली
कुल वोटर : 18,38,593