भोपाल। 6 अप्रैल 1980 को भाजपा की स्थापना हुई थी। आज पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा तो कर ही रही है, देश में पहले स्थान पर बनी हुई है लेकिन जिस तरह से विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न दलों से चुनौतियां मिल रही है उससे भाजपा को पहले स्थान पर बने रहने की चुनौती भाजपा के सामने है। BJP Foundation Day
दरअसल, जिस तरह ऊंचाई पर पहुंचने से ज्यादा कठिन ऊंचाई पर टिके रहना है। भाजपा भी लगभग इसी स्थिति से गुजर रही है। चार दशक में ही शून्य से शिखर पर पहुंची भाजपा देश के साथ – साथ अधिकांश राज्यों में सत्ता पर काबिज है। संघ का एक अनुषांगिक संगठन होने के साथ-साथ भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है। पूरे देश में कांग्रेस ही भाजपा को चुनौती दे सकती है लेकिन इस समय कांग्रेस के हाथ से एक के बाद एक राज्य खिसकते जा रहे हैं और क्षेत्रीय दल विकल्प बन रहे हैं। हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में कांग्रेस का बजाने वाला पंजाब राज्य भी हाथ से निकल गया और वहां आप पार्टी की सरकार बनी जिसने कांग्रेस के गढ़ दिल्ली को पहले ही ध्वस्त कर दिया है।
भाजपा को भी दिल्ली में सरकार बनाना भी मुश्किल हो गया है। जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल सरकार में हैं वहां कांग्रेस तो किनारे हो ही रही है भाजपा को भी वहां सेध लगाना आसान नहीं रहा। चाहे पश्चिमी बंगाल हो दिल्ली, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश हो और अब 2024 के लिए क्षेत्रीय दल भाजपा को रोकने के लिए आपस में गठबंधन कर रहे हैं।
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बहरहाल, देश की सबसे बड़ी पार्टी का दबंग राष्ट्रीय नेतृत्व पार्टी को लगातार आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। लोकसभा के साथ-साथ अब राज्यसभा में भी पार्टी ने 101 सांसदों का रिकॉर्ड बना दिया है। पार्टी लगातार विस्तार पर जोर दे रही है। इसके लिए वह किसी भी प्रकार के समझौते या गठबंधन से भी परहेज नहीं कर रही है और सरकार में आने के बाद धीरे-धीरे उन मुद्दों को हल कर रही है जिनको लेकर वर्षों नारे लगाते रहे हैं। चाहे राम मंदिर का मामला हो या कश्मीर में धारा 370 का, पार्टी पीढ़ी परिवर्तन के दौर से भी गुजर रही है लेकिन जरूरत के हिसाब से ही नियमों को सहज – सरल बना दिया जाता है। पार्टी में उन्हीं नेताओं को वरीयता देने का क्रम शुरू हो गया है। जिनमें हर हाल में चुनाव जीतने का मादा हो चाहे वे किसी भी क्राइटेरिया में आते हो।
पार्टी ने पूरे देश में दिग्गज नेताओं का जनाधार वाले नेताओं का जो दल बदल कराया है। उससे पार्टी ने भविष्य की रूपरेखा भी तैयार कर ली है। पार्टी की निगाहें इस समय सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग पर हैं। इन्हें पार्टी से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित हो रही है और कार्यक्रम भी इन वर्गों को प्रभावित करने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं। जैसा कि इस बार पार्टी के स्थापना दिवस 6 अप्रैल से 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती तक पार्टी इन वर्गों के बीच सेवा सप्ताह मनाने जा रही है।
कुल मिलाकर चार दशक में भाजपा जिन ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। अब सबसे बड़ी चुनौती उन् ऊंचाइयों पर टिके रहने की है एक तरफ जहां विपक्षी दल लामबंद हो रहे हैं। वहीं महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी उछल रहे हैं।