जीवन मंत्र

स्तन कैंसर से बचना संभव

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स्तन कैंसर से बचना संभव
आपको पता नहीं होगा है कि 2019 में देश में, इससे कोई दो लाख से अधिक महिलाओं की असमय मृत्यु हुई। वैसे तो मेडिकल एडवांसमेंट से इसका इलाज सम्भव है। लेकिन इलाज न कराने पर जिंदगी केवल 5 साल। अपने देश में हर साल स्तन कैंसर के दस लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं।..  इलाज के दौरान बाल झड़ना, भूख न लगना, इरेगुलर पीरियड्स, रात में पसीना, वजाइनल ड्राइनेस और स्किन टेक्चर में बदलाव जैसी समस्यायें होती हैं, ऐसे में मानसिक रूप से मजबूत रहने के लिये परिवार और मित्रों का सपोर्ट बहुत जरूरी है। स्तन कैंसर (स्तन) के मायने है कि  शारीरिक सुन्दरता तो गई, साथ में जान पर भी बन आई। आपको पता नहीं होगा है कि 2019 में देश में, इससे कोई दो लाख से अधिक महिलाओं की असमय मृत्यु हुई। वैसे तो मेडिकल एडवांसमेंट से इसका इलाज सम्भव है। लेकिन इलाज न कराने पर जिंदगी केवल 5 साल। अपने देश में हर साल स्तन कैंसर के दस लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं। क्यों होता है स्तन कैंसर? इसमें सेल्स मल्टीपिलीकेशन प्रोसेस, अनकंट्रोल्ड होने से बने सेल्स,  शरीर के हेल्दी सेल्स, नष्ट करने लगते हैं, परिणाम कैंसर ग्रोथ। ये ग्रोथ शरीर में कहीं भी हो सकती है, इसके स्तन में होने का रिजल्ट है स्तन कैंसर। स्तन (स्तन) की लॉब्यूल ग्लैंड, मिल्क प्रोड्यूस करती है जो डक्ट से होता हुआ निपल तक आता है। स्तन कैंसर, स्तन सेल्स में पनपकर, लॉब्यूल्स और डक्ट में फैलता है। कभी-कभार स्तन के फैटी टिश्यू भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। इसकी शुरूआत, स्तन में गांठ बनने से होती है जो एक से ज्यादा भी हो सकती हैं। अगर समय पर पता न चलें तो यह लिम्फ नोड से होता हुआ शरीर के दूसरे भागों में फैलने लगता है। लक्षण क्या स्तन कैंसर के? इसके कॉमन लक्षण हैं स्तन में गांठ, पेन, लालामी, निपल से ब्लड या फ्लूड रिसाव, स्किन पीलिंग, स्तन साइज-शेप में सडन चेन्जेज, निपल का इनसाइड मुड़ना, बगलों में गांठ और सूजन। लेकिन इन लक्षणों का मतलब हमेशा कैंसर नहीं होता, नॉन कैंसरस गांठों से भी यही लक्षण उभरते हैं। अगर स्तन में तेज दर्द और गांठ के कॉम्बीनेशन से कैंसर का संदेह हो, तो चिन्ता मुक्त होने के लिये डाक्टर से मिलें। जहां तक स्तन निपल से फ्लूड रिसाव की बात है तो यह इंफेक्शन से भी होता है। स्तन पेन को लेकर ज्यादा चिन्तित न हो यह पीरियड्स में हारमोनल इम्बैलेंस, बर्थ-कंट्रोल पिल्स लेने, हारमोन थेरेपी और गलत साइज की ब्रा पहनने से भी होता है। याद रखें स्तन लम्प में पेन उतना खतरनाक नहीं है जितना कि नयी पेनलेस गांठ बनना। डॉक्टर इसे स्तन कैंसर का कॉमन लक्षण मानते हैं। इसके साथ निपल शेप में चेन्जेज, पीरियडस के बाद पेन और गांठ खत्म न होना तथा गांठ में कोने महसूस होना स्तन कैंसर की शुरूआत हो सकती है। स्तन कैंसर की एडवांस स्टेज में, वन स्तन इनलार्जमेंट, लम्प साइज बढ़ना, ऑरेन्ज पील स्किन टेक्सचर, वजाइना पेन, वेट लॉस, बढ़ी लिम्फ नोड और स्तन में वेन्स दिखाई देने लगती हैं। रेयर मामलों में स्तन (स्तन) कैंसर, पुरूषों में भी होता है। पुरूष स्तन में बनी गांठ के कैंसररस होने के चांस महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा होते हैं। किन्हें ज्यादा रिस्क? उम्र बढ़ने के साथ इसका रिस्क बढ़ता है, अधिकतर मामलों में 55 या इससे ज्यादा उम्र की महिलायें इसका शिकार होती हैं। डेली ड्रिंकिंग, बीआरसीए जीन म्यूटेशन, छोटी उम्र में पीरियड्स, 35 के बाद पहली डिलीवरी, हैवी स्तन, हारमोन थेरेपी और लेट मेनोपॉज से स्तन कैंसर का रिस्क बढ़ता है। इसके दो टाइप हैं-इनवेसिव और नॉनइनवेसिव। इनवेसिव कैंसर, स्तन डक्ट और ग्लैंड से स्तन के दूसरे भागों में फैलता है जबकि नॉन इनवेसिव कैंसर ओरिजनल टिश्यू से आगे नहीं फैलता। कैसे बचें स्तन कैंसर से? जागरूकता ही स्तन (स्तन) कैंसर से बचा सकती है। इसका रिस्क कम करने के लिये डेली ड्रिंकिंग बंद करें, स्मोकिंग छोड़ें, वजन घटायें, हेल्दी डाइट लें और नियमित व्यायाम करें। 40 के बाद महिलायें, साल में एक बार स्तन जांच करवायें। 50 से ऊपर की महिलाओं के लिये साल में एक बार मेमोग्राफी जरूरी है, लेकिन 75 से अधिक उम्र होने पर नहीं। यदि BRCA जीन म्यूटेशन की फैमिली हिस्ट्री है तो चैकअप के समय डाक्टर को जरूर बतायें। समय-समय पर खुद भी स्तन की जांच करें। इसके लिये मन्थ में कोई एक दिन फिक्स करें। स्तन में चेन्जेज नजर आते ही डाक्टर से मिलें। कैंसर डिटेक्ट होने पर तुरन्त इलाज शुरू करें, इसमें देरी जानलेवा हो सकती है। इसके ट्रीटमेंट में स्टेज, टाइप और गांठ का साइज मायने रखता है। ज्यादातर मामलों में सर्जरी की जाती है साथ में कीमोथेरेपी, टारगेट थेरेपी, रेडियेशन और हारमोन थेरेपी की जरूरत भी पड़ती है। नजरिया शरीर और दिमाग दोनों पर इसका निगेटिव असर होता है। इलाज के दौरान बाल झड़ना, भूख न लगना, इरेगुलर पीरियड्स, रात में पसीना, वजाइनल ड्राइनेस और स्किन टेक्चर में बदलाव जैसी समस्यायें होती हैं, ऐसे में मानसिक रूप से मजबूत रहने के लिये परिवार और मित्रों का सपोर्ट बहुत जरूरी है। यदि कैंसर ग्रस्त स्तन, रिमूव की जाती है तो घबरायें नहीं, प्लास्टिक सर्जन से मिलें और स्तन रिकंस्ट्रक्शन के बारे में सलाह लें। सर्जरी के बाद वजन न बढ़ने दें, खानें में फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें, शुगर कम करें, ज्यादा पानी पियें, डीप ब्रीद और नियमित व्यायाम को अपनी आदत में शामिल करें।
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