लगता है कि जैसे एशियाई देश इस बार नया इतिहास रचने के इरादे से मैदान में उतरे हैं। भले ही मेजबान क़तर और ईरान को अपने शुरूआती मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा लेकिन सऊदी अरब जापान और दक्षिण कोरिया ने अपने पहले मैच में गज़ब का प्रदर्शन कर यूरोप और लेटिन अमेरिका के देशों को हैरान जरूर किया है।
खेल और जंग में कभी भी कुछ भी हो सकता है लेकिन जैसा फीफा वर्ल्ड कप में चल रहा है उसे देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे एशियाई देश इस बार नया इतिहास रचने के इरादे से मैदान में उतरे हैं। भले ही मेजबान क़तर और ईरान को अपने शुरूआती मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा लेकिन सऊदी अरब जापान और दक्षिण कोरिया ने अपने पहले मैच में गज़ब का प्रदर्शन कर यूरोप और लेटिन अमेरिका के देशों को हैरान जरूर किया है। अर्जेंटीना के साथ जो कुछ हुआ शायद ही किसी को उम्मीद रही होगी।
खिताब की दावेदार टीमों में शामिल की जा रही मेस्सी की टीम को कोई एशियाई टीम भी हरा सकती है ऐसा कम से कम अर्जेंटीना के समर्थकों ने नहीं सोचा होगा। सितारा खिलाडियों से सजी जो टीम विश्व चैम्पियन रही हो और जिसके पास कप्तान मेस्सी जैसा खिलाडी है उसको ऐसा दिन देखना पड़ सकता है,लगभग अविश्वसनीय सा है। वैसे खेल में कभी कभार ऐसा हो जाता है। लेकिन यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। जापान ने जर्मनी को पीट कर यह दिखा दिया कि एशिया की फुटबाल बदल रही है।
जहां तक विश्व कप में एशियाई देशों की बात है तो सऊदी अरब की जीत किसी एशियाई देश की तीसरी जीत है। शुरूआती मैचों में मेजबान क़तर और ईरान की पराजय के बाद यह माना जा रहा था कि अर्जेन्टीना के सामने सऊदी अरब शायद ही टिक पाए। कई फुटबाल दिग्गजों ने उसे खिताब जीतने की प्रबल दावेदार बताया था। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 36 मैचों में अर्जेंटीना ने अजेय रहने का रिकार्ड कायम किया था लेकिन किसको पता था कि कोई एशियाई देश उसके अजेय रिकार्ड को भंग कर देगा।
सितारा खिलाडियों से सजी जर्मन टीम की पराजय की कल्पना भी शायद ही किसी ने की होगी लेकिन जापान ने उसकी हेंकड़ी निकल दी। भले ही कोरिया के हाथों उरुग्वे बच निकला लेकिन लगातार तीन एशियाई देशों का अजेय रिकार्ड अभूतपूर्व प्रदर्शन ही कहा जाएगा फुटबाल की गहरी समझ रखने वाले एक्सपर्ट्स और पूर्व खिलाड़ी कह रहे हैं कि अत्यधिक आत्मविश्वास और कप्तान मेस्सी पर अत्यधिक निर्भरता अर्जेंटीना को भारी पड़े तो जर्मनी और उरुग्वे का अंक गंवाना भी बेहतर टीमों के लिए खतरे की घंटी कहा जा रहा है।
सम्भवतया अर्जेंटीना की हार ऊंची रैंकिंग वाली टीमों के लिए चेतावनी थी और बाद में जापान ने एक और धमाका कर बड़े कद वाली टीमों को चेता दिया। कोरिया ने भले ही उरुग्वे से ड्रा खेला लेकिन लगातार तीन नतीजों से साफ़ हो गया है कि एशियाई सरजमीं पर आयोजित होने वाला विश्व कप एक बार फिर बड़े उलटफेर कर सकता है। यह न भूलें कि 2002 में जब जापान और कोरिया ने सयुंक्त मेजबानी में विश्व कप का आयोजन किया था तो कोरिया ने पुर्तगाल इटली और स्पेन को हरा कर चैम्पियन ब्राजील जर्मनी और टर्की के बाद तीसरा स्थान अर्जित किया था। अर्जेंटीना, जर्मनी और उरुग्वे जैसे पूर्व विश्व चैंपियनों पर एशियाई चुनौती का भारी पड़ना एशियाई फुटबाल को गौरवान्वित करता है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है।
बदल रहा है फुटबाल एशिया
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