अनेक अड़चनों, अभावों में इस बार का फीफा फुटबॉल विश्वकप मध्य एशिया के कतर में खेला जा रहा है। यह दूसरा ही फुटबॉल विश्वकप है जो एशिया में खेला जा रहा है। इसलिए भारत और अन्य एशियाई देशों में इस विश्वकप के प्रति खास उत्साह दिख रहा है। एशियाई देशों में आशा भी जगी है।
फीफा फुटबॉल विश्व कप 2022, कतर: अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संघ (फीफा) द्वारा आयोजित विश्वकप दुनिया का सबसे लोकप्रिय और आकर्षक खेल का महोत्सव माना जाता है। दुनिया भर की निगाहें हर चार साल पर होने वाले इस विश्वकप पर लगी ही रहती है। खूबसूरत खेल फुटबॉल के प्रेमी इसमें होने वाले उलटफेर के लिए भी उत्सुक और उत्साहित रहते हैं। अनेक अड़चनों, अभावों में इस बार का फीफा फुटबॉल विश्वकप मध्य एशिया के कतर में खेला जा रहा है। यह दूसरा ही फुटबॉल विश्वकप है जो एशिया में खेला जा रहा है। इसलिए भारत और अन्य एशियाई देशों में इस विश्वकप के प्रति खास उत्साह दिख रहा है। एशियाई देशों में आशा भी जगी है।
लगातार बदलते समय में उलटफेर ही नई दिशाएं दर्शाता है। खेल हो या जीवन, उसमें होने वाले उलटफेर नए लोगों को नई उर्जा, नया जोश दे जाते है। अगर आशाओं के मुताबिक ही खेल, और जीवन चलता रहे तो निरसता पसरती है। उससे सभी का उबना निश्चित है। अपन अपने ही कूप-मंडूप को संसार, और अपने ही खेल को विश्व विजयी समझने लग जाते हैं। खेल में, और जीवन में जब सिंहासन डोलते हैं तो आम लोगों के उत्साह और उमंग को अपन नज़रअंदाज नहीं कर सकते। इसलिए नए उत्साह, नई उमंग के लिए उलटफेर अच्छे हैं।
खूबसूरत माने गए इस फुटबॉल खेल में अब तक यूरोप और दक्षिण अमेरिकी देशों का ही बोलबाला रहा है। फुटबॉल खेल में एशिया के देश इन पच्छिम परस्त देशों के पिछे ही खेलते, चलते रहे हैं। एशिया में पहली बार फुटबॉल विश्वकप की मेज़बानी करने का मौका जापान और दक्षिण कोरिया को सन् 2002 में मिला थ। और इस बार एशिया के कतर देश में हो रहा है। खूबसूरत खेल से जुड़ी आर्थिकी के ही कारण यह संभव हो सका है। आर्थिक नफ़े-नुकसान के कारण ही यह मेज़बानी का उलटफेर हुआ। मेज़बान देश को उनकी मेज़बानी के कारण विश्वकप खेलने का मौका भी मिलता है। इस बार कतर को यह अभूतपूर्व मौका मिला है।
फुटबॉल विश्वकप के कतर में होने से फीफा पर उंगलिया भी उठी हैं। आयोजन का कतर में होना भी अपने आप में एक घटना रही। ज्यादातर देशों की फुटबॉल संघ कतर को आयोजन के लिए योग्य नहीं मान रहे थे। फिर भी फीफा ने कतर को मौका दिया। इसका कारण माना जा रहा है कि इस चयन में फीफा के भीतर भ्रष्टाचार हुआ। मेज़बानी चयन प्रक्रिया में धन का उपयोग किया गया। फिर कतर में फुटबॉल के प्रति न तो प्रेम रहा है, न ही वहां खेल के प्रति लगाव ही देखा गया। जिन देशों ने कतर में विश्वकप की मेज़बानी का विरोध किया था उसके कारण भी सभी को जानने जरूरी हैं। सन् 2010 में कतर का विश्वकप मेज़बानी करना तय हुआ था। तभी से प्रवासी मजदूरों की होती आ रही मृत्यू ने सभी को हैरान और दुखी किया है। विश्वकप के लिए काम करने गए प्रवासी मजदूरों की कतर में हालत गुलामों जैसी बदतर रही है। कतर में मानव अधिकार का भी मुद्दा बना। आधी आबादी के, यानी नारी के अधिकार का भी कतर में उलंघन होता ही रहा है जिसपर दुनिया भर की पैनी नज़र है। इन सब विरोधी मुद्दों के बावजूद कतर में फुटबॉल विश्वकप शुरू हो गया है।
शुरूआत भी शानदार रही। दो उलटफेर ऐसे हो गए हैं जिससे फुटबॉल में एशिया का मनोबल ही बड़ा। अर्जेंटीना को सऊदी अरब ने हराया, और जर्मनी को जापान ने हरा दिया। ये दोनों उलटफेर जहां खूबसूरत खेल में रोमांच भरते हैं वहीं जीतने वाले देशों में खेल को लोकप्रियता प्रदान करते हैं। जापान और सऊदी अरब का जीतना एशिया में भी खेल को खेलने का उत्साह और लगन दे गया। विश्व क्रिकेट को अगर भारत के धन से चलाया जा सकता है तो विश्व फुटबॉल को एशियाई देश के धन से क्यों नहीं चलाया जा सकता? ऐसे ही दुनिया की आर्थिकी घूमती रहती है।
भारत आज तक फुटबॉल विश्वकप में भाग नहीं ले पाया है। हालांकि इस खेल की लोकप्रियता भारत में भी बहुत है। लेकिन अपन अभी भी विश्व स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं। इसी साल फीफा ने 17 साल से कम लड़कियों का फुटबॉल विश्वकप भारत में कराया था। इसका आयोजन यहां की राजनीति के कारण लगभग छीन लिया गया था। क्योंकि सही-गलत की जगह नफ़े-नुकसान देखने की नीयत ऐसे ही नतीजे निकालती।
जीवन में खेल उतना ही जरूरी है जितना खेल का जीवन। कतर हो या कनाडा खूबसूरत खेल का आनंद लेते रहिए। उलटफेर का उत्सव मनने दीजिए।