भोपाल। इन दिनों देश में गुजरात चुनाव का शोर है और गुजरात के चुनावी मंचों पर रामलीला मंचन। एक जनसभा में जहां राहुल गांधी ने धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढ़ाकर और उसे छोड़कर जहां स्वयं को भगवान राम बताने की कोशिश की और कांग्रेस के जीतने के बाद ‘रामराज’ का संकेत दिया, वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘रावण’ की पदवी देकर कांग्रेस को ‘रामजी की सेना’ निरूपित कर दिया। इस प्रकार गुजरात के आम मतदाताओं को निःशुल्क मनोरंजन उपलब्ध हो रहा है, गुजरात में पहले चरण का मतदान सम्पन्न हो चुका है और तीन दिन बाद दूसरे चरण का मतदान है और आगामी गुरूवार को गुजरात व हिमाचल प्रदेश दोनों का ही राजनीतिक भविष्य तय हो जाएगा, गुजरात में जहां आम आदमी पार्टी मोदी जी की भाजपा के लिए चुनौति बनी हुई है, वहीं हिमाचल में कांग्रेस-भाजपा के बीच प्रदेश का राजनीतिक भविष्य तय होना है।
सबसे अधिक महत्व व चुनौतिपूर्ण गुजरात विधानसभा के चुनाव है, जहां मोदी का गृह प्रदेश होने के कारण प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है, गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीट है, जिनमें से लगभग आधी 89 पर पहले चरण में मतदान सम्पन्न हो चुका है और शेष 93 सीटों के लिए सोमवार को मतदान सम्पन्न होगा और उसके महज तीन दिन बाद परिणाम सामने आ जाएगें।
गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर इतनी राजनीतिक भागदौड़ इसलिए भी मची है, क्योंकि गुजरात के साथ मोदी के राजनीतिक भविष्य को भी इसी चुनाव से जोड़कर देखा जाने लगा है, महज सोलह माह बाद लोकसभा के चुनाव होना है और प्रतिपक्षी दलों का मानना है कि अगर गुजरात में मोदी की प्रतिष्ठा पर आंच आती है अर्थात् वहां भाजपा की हालात खराब होती है तो फिर लोकसभा चुनावों में भाजपा कुछ विशेष महारत हासिल नहीं कर पाएगी और तक मोदी जी का राजनीतिक भविष्य भी खतरे में नजर आएगा, क्योंकि वर्तमान में भाजपा अथार्त् मोदी और मोदी अर्थात् भाजपा मान लिया गया है। यदि हम इसी संदर्भ में गुजरात विधानसभा चुनाव परिणामों की परिकल्पना करें और वहां जीत की ताल ठोंकने वाली आम आदमी पार्टी अपने शासन का दिल्ली-पंजाब के बाद तीसरा राज्य कब्जे में ले लेती है तो फिर इसमें कोई दो राय नहीं कि आम आदमी पार्टी देश का प्रमुख प्रतिपक्षी दल बन जाएगी अर्थात् कांग्रेस से यह पद छीन लेगी, किंतु यह फिलहाल सिर्फ परिकल्पना है, क्योंकि राजनीतिक पंडित गुजरात में भाजपा की ही सरकार बनती देख रहे है, चाहे उसे मौजूदा बहुमत न भी मिले। लेकिन साथ ही यह भी मानना पड़ेगा कि गुजरात के इन चुनावों में आम आदमी पार्टी जो भी हासिल करेगी, वह उसकी महान उपलब्धि होगी, क्योंकि 2017 के चुनावों में गुजरात में ‘आप’ को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी, किंतु इस राजनीतिक परिदृष्य में आप के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल के हौसले को अवश्य दाद देनी पड़ेगी जो गुजरात में शून्य की स्थिति से ऊपर उठकर वहां अपनी सरकार बनाने के दावे पेश कर रहे है?
….किंतु यह भी सही है कि इन दिनों गुजरात के चुनावी मंच मनोरंजन के सबसे बड़े आकर्षण केन्द्र बने हुए है, जिसका ताजा उदाहरण कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का स्वयं को ‘राम’ बताकर धनुष-बाण के साथ मंच पर प्रकट होना और तीन छोड़ना तथा कांग्रेस अध्यक्ष का मोदी को ‘रावण’ सम्बोधित करना।
इस तरह कुल मिलाकर गुजरात के ये चुनाव जहां अगले लोकसभा चुनाव के परिणामों के संकेतक बने हुए है, वहीं गुजरात मतदाताओं के लिए मनोरंजन के साधन भी बने हुए है, अब यह तो अगले सप्ताह ही पता चल पाएगा कि यह ‘राजनीतिक ऊँट’ किस करवट बैठता है, अभी तो वह खड़ा ही है और उसके बाद ही देश का राजनीतिक भविष्य तय हो पाएगा।