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हमें कितना पानी पीना चाहिये और क्यों?

शरीर में पानी की कमी होते ही प्यास महसूस होती है, मुंह सूखने लगता है। अगर इसे अनदेखा किया तो सिरदर्द, थकान और स्किन ड्राइ होने लगती है, चिड़चिड़ापन हावी हो जाता है। … सेहत ठीक रहे, शरीर के अंग ठीक से चलते रहें इसके लिये रोजाना 13 कप पानी पीना चाहिये यानी करीब तीन लीटर। लेकिन ये निर्भर करता है आसपास के वातावरण और सेहत की स्थितियों पर। गर्म-ह्यूमिड वातावरण और उल्टी, दस्त, बुखार की दशाओं में इससे ज्यादा पानी की जरूरत होती है।

हमें रोजाना कितना पानी पीना चाहिये, इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय है, कोई कहता है दो लीटर, तो कोई तीन तो कोई चार लीटरक। लब्बोलुआब यही है कि यदि सेहतमंद रहना है तो खूब पानी पियो। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं। जरूरत से कम पानी पीने से सेहत खराब होना पक्का है लेकिन ज्यादा पानी, पीने से ठीक रहेगी यह जरूरी नहीं। कुछ सेहत स्थितियों  में ज्यादा पानी नुकसानदायी होती है। यह पता चला जब आज से कुछ साल पहले पद्म सम्मान से विभूषित देश के एक जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट, जो कई राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के डॉक्टर भी रहे, ने मेरे सामने एक मरीज को डांटते हुए कहा कि अगर तुमने पानी पीना कम न किया तो मैं तुम्हारा इलाज नहीं करूंगा। वजह थी मरीज का शेखी बघारना कि मैं रोज सुबह खाली पेट एक से डेढ़ लीटर पानी पीता हूं, फिर मुझे हार्ट-प्रॉब्लम क्यों? डॉक्टर ने उनसे कहा कि उम्र तुम्हारी 65,  दिल काम कर रहा 35 %  फिर इतना पानी क्यों? अरे इससे तो हार्ट पर लोड पड़ेगा और अटैक आ जायेगा। जब प्यास लगे तब पानी पियो, वह भी थोड़ा-थोड़ा, लीटरों में नहीं।

धरती पर जीवन, मतलब पानी। हम इंसान भी पानी से बने हैं। हमारे शरीर का 65% भाग पानी है। अगर हमारा वजन 100 किलो है तो उस सौ किलो में 65 किलो तो पानी ही है। वैसे पानी की मात्रा सबमें अलग-अलग होती है। जहां एडल्ट व्यक्ति में 65% वहीं छोटे बच्चों में करीब 80% पानी होता है। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह कम होकर बुढ़ापे में रह जाता है केवल 50%। अगर औसत निकाला जाये तो हम, हमेशा अपने साथ लगभग 40-42 लीटर पानी लेकर घूमते हैं। फिर भी हमें रोज पानी चाहिये क्यों?

क्योंकि हमारा शरीर है ही ऐसा। पानी की कमी से इसके फंक्शन गड़बड़ाने लगते हैं। और इनमें पहला नंबर है ब्लड के एरिथ्रोसाइट्स सेल्स का। पानी कम होते ही ये मरने लगते हैं। लगभग यही हाल दिमाग और मांसपेशियों का भी है। हमारे ब्रेन में 70% पानी होता है। इसमें कमी होते ही सिर दुखने लगता है। इसी तरह अगर मांसपेशियों को पानी न मिले तो वे भी 70% तक सिकुड़ जाती हैं। हां एक बात तो मैं बताना भूल ही गया कि हमारी धरती का भी 70% भाग पानी है। है न अजीब इत्तेफाक।

शरीर में पानी की कमी होते ही प्यास महसूस होती है, मुंह सूखने लगता है। अगर इसे अनदेखा किया तो सिरदर्द, थकान और स्किन ड्राइ होने लगती है, चिड़चिड़ापन हावी हो जाता है। कुछ के तो नाखून टूटने लगते हैं। अगर यह स्थिति दो-चार दिन रहे तो मुंह से बदबू आने लगती है और कब्ज हो जाता है। सेहत ठीक रहे, शरीर के अंग ठीक से चलते रहें इसके लिये रोजाना 13 कप पानी पीना चाहिये यानी करीब तीन लीटर। लेकिन ये निर्भर करता है आसपास के वातावरण और सेहत की स्थितियों पर। गर्म-ह्यूमिड वातावरण और उल्टी, दस्त, बुखार की दशाओ में इससे ज्यादा पानी की जरूरत होती है।

महिलाओं को रोजाना 9 कप यानी 2 लीटर,  प्रेगनेन्सी में 10 कप और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान 12 कप पानी पीना चाहिये। हां बच्चों का काम 6 से 8 कप में चल जाता है। इस सम्बन्ध में रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने बॉडी वेट के आधार पर भी पानी की मात्रा तय की है। रिसर्च के अनुसार हर 20 किलो बॉ़डी वेट पर 1 लीटर पानी की जरूरत होती है। अगर आपका वजन 80 किलो है तो दिनभर में करीब 4 लीटर पानी पियें।

ये तो बात हुयी कि कितना पानी पीना चाहिये, आइये अब समझें कि पानी पीना क्यों जरूरी है?

पानी पीते ही मूड बदल जाता है, अच्छा महसूस होने लगता है, कभी सोचा क्यों? तो जबाब है पानी पर शरीर की तमाम प्रक्रियायें डिपेन्ड हैं। ये ब्लड के जरिये पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को पूरे शरीर में पहुंचाने का काम करता है। ब्लड का प्लाज्मा वास्तव में पानी ही है। खून में करीब 55%  प्लाज्मा और बाकी 45% रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स बगैरा होते हैं।

शरीर से टॉक्सिक एलीमेंट्स निकालने का काम पानी ही करता है। यूरीनेशन के जरिये किडनीज पानी को फिल्टर करके टॉक्सिक एलीमेंट्स यूरीन के साथ बाहर निकाल देती हैं। इस तरह रोजाना शरीर से कम से कम डेढ़ लीटर पानी निकल जाता है। पानी न हो तो इम्यून सिस्टम भी काम नहीं करेगा। इसीलिये शरीर की जरूरत के मुताबिक सही मात्रा में पानी पीना जरूरी है।

अच्छी सेहत के लिये जरूरी है भोजन के सभी पोषक तत्वों का शरीर में लगना। और ऐसा तभी होगा जब आप सही मात्रा में पानी पियें। आप जो भी खाते हैं पानी उसे छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ता है। फिर इसी पानी के जरिये शरीर इन न्यूट्रियेन्ट्स को सोखता है ताकि ये सभी ऑर्गन्स तक पहुंच जायें। कुछ पोषक-तत्व तो घुलते ही पानी में हैं,  पानी की कमी होने पर शरीर इन्हें ठीक से एब्जार्ब नहीं कर पाता और ये जस के तस बाहर निकल जाते हैं।

पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है पसीने वाले मौसम यानी गर्म-ह्यूमिड वातावरण में। पसीना शरीर का टेम्प्रेचर मेन्टेन रखता है। गर्मी के कारण शरीर में मौजूद पानी और नमक, पसीना बनकर त्वचा से बाहर आ जाता है। जब गर्मी से पसीना वेपोरेट होता है तो शरीर ठंडा रहता है। ऐसे में जरूरत होती है और ज्यादा पानी पीने की ताकि डिहाइड्रेशन न हो। यही बात लागू होती है एक्सरसाइज करने वालों पर। इन्हें ज्यादा पानी पीना चाहिये, ताकि एक्सरसाइज में पसीने से कम हुए पानी की भरपाई हो और शरीर की जरूरी प्रक्रियायें ठीक से चलती रहें।

वजन कम करने में पानी का अहम रोल है आप सोच रहे होंगे कैसे? तो ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं। पानी पीने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, क्योंकि पानी के टेम्प्रेचर को बॉडी टेम्प्रेचर तक लाने में शरीर की कुछ एक्सट्रा कैलोरीज खर्च हो जाती हैं। भोजन से पहले एक ग्लास पानी पीना और भी इफेक्टिव है, इससे पेट भरा महसूस होता है और भूख कम लगती है।

लोगों में किडनी स्टोन की समस्या होती ही पानी कम पीने से है। अगर सही मात्रा में पानी पीते रहें तो यूरीन के साल्ट्स और मिनिरल्स इसमें घुलकर बाहर निकलते रहेंगे, लेकिन पानी की कमी से ये ठोस क्रिस्टल यानी किडनी स्टोन बन जाते हैं।

अगर आप चाहते हैं कि डाइजेशन ठीक रहे और कॉन्सटीपेशन न हो तो डॉयटरी फाइबर के साथ पानी भी जरूरी है। शरीर में पानी की कमी होने पर वेस्ट प्रोडक्ट सूखकर आंतों में चिपक जाते हैं, जिससे डॉयजेशन बिगड़ने के साथ बीमारियों का रिस्क बढ़ता है। इसलिये रोजाना ढाई से तीन लीटर पानी जरूर पियें ताकि वेस्ट प्रोडक्ट घुलकर डॉयजेशन सिस्टम से बाहर निकल जायें।

शरीर में पानी की कमी का मतलब है त्वचा पर महीन रेखायें और झुर्रियां यानी जल्द बुढ़ापा। जबकि पानी पीने से त्वचा हाइड्रेट रहती है  और ब्लड सप्लाई इम्प्रूव होती है। जिससे स्किन हेल्दी और चेहरा ब्राइट नजर आता है। इसलिये खुद को हाइड्रेट रखें।

अगर क्रैम्पस पड़ रहे हैं तो समझिये आपने काफी देर से पानी नहीं पिया। मांसपेशियों में ऐंठन का मेन कारण है शरीर में पानी की कमी। डिहाइड्रेशन से मांसपेशियां सिकुड़ने का रिजल्ट सामने आता है क्रैम्पस और जोड़ों की चिकनाई कम होने के रूप में। इसलिये प्यास लगते ही पानी पियें।

जरूरी नहीं कि स्ट्रेस का कारण कोई आर्थिक-सामाजिक समस्या हो, कई बार शरीर में पानी की कमी से भी स्ट्रेस और थकान महसूस होती है। पानी कम होते ही ब्रेन टिश्यूज सिकुड़ने से स्ट्रेस महसूस होता है। शरीर में पानी की सही मात्रा हार्ट को प्रभावी ढंग से ब्लड पम्प करने में मदद करती है जिससे ऑक्सीजन व अन्य जरूरी पोषक तत्व शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंच जाते हैं। इसलिये स्ट्रेस और थकान फील होते ही तुरन्त पानी पियें।

बहुत से लोग सोचते हैं कि चाय, कॉफी, एल्कोहलिक ड्रिंक्स जैसे बियर बगैरा से शरीर में पानी की कमी पूरी हो जाती है। लेकिन यह गलत है। कैफीन हो या एल्कोहलिक ड्रिंक पानी की कमी पूरी करने के बजाय शरीर में पानी कम कर देते हैं यानी डिहाइड्रेशन। ये यूरीनेशन के जरिये शरीर से ज्यादा पानी बाहर निकाल देते हैं। याद रखें, शरीर में पानी की कमी केवल पानी से ही पूरी होगी किसी और से नहीं।  कुछ हेल्थ कंडीशन्स विशेषरूप से किडनी डिसीस में पानी सीमित करें। टोटल लिक्विड इनटेक 1 या सवा लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिये। इसके अलावा हार्ट, लीवर और थॉयराइड जैसी प्रॉब्लम्स में कितना पानी पीना है इस बारे में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

आप शरीर की जरूरत के मुताबिक पानी पी रहे हैं या नहीं इसका पता लगाने के लिये दो बातों पर ध्यान दें। पहला ये कि मुंह तो नहीं सूख रहा। अगर हां तो शरीर में पानी की कमी है। दूसरा यूरीन कलर। गहरे पीले रंग का यूरीन शरीर में पानी की कमी दर्शाता है। ऐसे में डेली वाटर इनटेक बढ़ायें।

और अंत में एक जरूरी बात, कभी भी पानी खड़े होकर न पियें। खड़े होकर पानी पीने से ये लीवर के सम्पर्क में आये बिना सीधे पेट में जाता है जिसकी वजह से इसमें मौजूद मिनिरल्स बगैरा लीवर और डायजेशन सिस्टम तक नहीं पहुंच पाते। इसके अलावा हार्ट और लंग्स की फंक्शनिंग भी डिस्टर्ब होती है जिससे ऑक्सीजन लेवल गड़बड़ा जाता है।

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