यूरिक एसिड बढ़ने से ज्वाइंट्स में सूजन के साथ दर्द, ज्वाइंट टच करने पर गर्मी महसूस होने के अलावा आसपास की स्किन का रंग बदल जाता है। कई बार किडनी स्टोन से भी यूरिक एसिड बढ़ता है। ऐसी स्थिति में बैक और साइडों में दर्द, फ्रिकवेन्ट यूरीनेशन, नोजिया, वोमटिंग और ब्लड–युक्त डार्क यूरीन आने जैसे लक्षण उभरते हैं।
बदलते लाइफस्टाइल और गलत खानपान का परिणाम है शरीर में यूरिक एसिड बढ़ना। वैसे तो इसके लिये कुछ बीमारियां, जीन्स और मोटापा भी जिम्मेदार है लेकिन अधिकतर मामलों में यह हाई प्यूरिन डाइट, एल्कोहल और शुगर से बढ़ता है। क्रिस्टल बनाने में सक्षम प्यूरिन एक रंगहीन पदार्थ है जिसके ऑक्सीडेशन का रिजल्ट है यूरिक एसिड, जो प्यूरिन रिच फूड डाइजेस्ट होने पर नेचुरल वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में निकलता है। रेड मीट, ऑर्गन मीट, फिश और बियर हाई प्यूरिन खाद्य-पदार्थ हैं। लम्बे समय तक इनके सेवन से यूरिक एसिड का रिस्क बढ़ता है। अगर समय पर इसका इलाज न हो तो पीड़ित, गठिया का शिकार हो जाता है।
यूरिक एसिड बढ़ने से ज्वाइंट्स में सूजन के साथ दर्द, ज्वाइंट टच करने पर गर्मी महसूस होने के अलावा आसपास की स्किन का रंग बदल जाता है। कई बार किडनी स्टोन से भी यूरिक एसिड बढ़ता है। ऐसी स्थिति में बैक और साइडों में दर्द, फ्रिकवेन्ट यूरीनेशन, नोजिया, वोमटिंग और ब्लड-युक्त डार्क यूरीन आने जैसे लक्षण उभरते हैं।
वैसे तो किडनी, ब्लड से यूरिक एसिड फिल्टर करके यूरीन के जरिये निकाल देती है। लेकिन लगातार हाई प्यूरिन डाइट और एल्कोहल से यह इतनी अधिक मात्रा में बनता है कि पूरी तरह फिल्टर नहीं हो पाता जिससे ब्लड में इसका लेवल बढ़ने लगता है।
स्वस्थ व्यक्ति में यूरिक एसिड लेवल 6.8 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होना चाहिये। इससे अधिक होने का अर्थ है हाइपर-यूरेसीमिया। इससे ब्लड और यूरीन दोनों एसिडिक हो जाते हैं और रिजल्ट सामने आता है ज्वाइंट्स में क्रिस्टल बनने यानी गठिया के रूप में।
हाई प्यूरिन डाइट के अलावा किडनी डिजीज, डॉयबिटीज, हाइपोथॉयराइडिज्म, मेटाबोलिक सिंड्रोम, हाई ब्लड प्रेशर और सोराइसिस जैसी बीमारियां इसका रिस्क बढ़ाती हैं। रिसर्च से सामने आया कि कैंसर और कीमोथेरेपी से भी यूरिक एसिड बढ़ता है। एक बात और महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या अधिक होती है।
बढ़े यूरिक एसिड से छुटकारा पाने का सबसे आसान उपाय है डाइट में बदलाव। इसके तहत रेड मीट, ऑर्गन मीट, फिश, शेल फिश और पोल्ट्री प्रोडक्ट्स का इनटेक सीमित करें। वैसे तो यूरिक एसिड को हाई-प्रोटीन डाइट से जोड़ा जाता है लेकिन इसे बढ़ाने में शुगर की भी अहम भूमिका है। चीनी और गुड़ के अलावा फलों और शहद में मौजूद नेचुरल फ्रुकटोस के ब्रेक होने से भी प्यूरिन रिलीज होता है। ऐसे में ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिये डाइट में शुगर इनटेक कम और हाई-फाइबर फूड इनटेक बढ़ायें।
पैकेज्ड फूड खाने से पहले लेबल की जांच करें कि उसमें एडेड शुगर तो नहीं। प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से परहेज करें। शुगर की क्रेविंग होने पर ताजे फल खायें। सोडायुक्त हाई शुगर ड्रिंक्स या फ्रूट जूस दोनों अवायड करें। इनकी जगह पानी, स्पार्किलिंग वाटर, ग्रीन टी और बिना शुगर वाली कॉफी पियें। अगर बिना किडनी डिसीस के भी यूरिक एसिड हाई है तो वाटर इनटेक बढ़ायें। इससे यूरिक एसिड यूरीन के जरिये निकल जायेगा।
यूरिक एसिड हाई होने पर सभी तरह के एल्कोहलिक ड्रिंक अवॉयड करें विशेष रूप से बियर। कारण, एक तो इनमें प्यूरिन पदार्थ अधिक होते हैं साथ ही शरीर में पानी की कमी हो जाती है। एल्कोहलिक पेय पदार्थ, प्यूरिन के एक अन्य स्रोत न्यूक्लियोटाइड्स का मेटाबोलिज्म बढ़ाते हैं, जिससे यूरिक एसिड बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। वैसे तो लो-प्यूरिन एल्कोहलिक ड्रिंक भी शरीर में प्यूरिन प्रोडक्शन बढ़ाते हैं, इसलिये यूरिक एसिड बढ़ने पर शराब से पूरी तरह परहेज करें।
रिसर्च से सामने आया कि बिना चीनी वाली कॉफी, बढ़े यूरिक एसिड लेवल को दो तरह से कम करती है। पहला प्यूरिन ब्रेक करने वाले एंजाइम की कार्य-क्षमता घटाकर, जिससे यूरिक एसिड बनने की प्रक्रिया धीमी होती है। दूसरा यूरीनेशन के जरिये शरीर के यूरिक एसिड निकालने की प्रक्रिया तेज करके। इसलिये दिन में कम से कम दो कफ कॉफी जरूर पियें लेकिन बिना चीनी के।
मोटापा, यूरिक एसिड बढ़ने का बड़ा कारण है। मोटापे से यूरिक एसिड बनने का प्रोसेस तेज होने के साथ यूरीनेशन के जरिये शरीर से इसके निकलने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। वजन कम करने के लिये हेल्दी डाइट प्लान, एक्सरसाइज तथा योगा जैसे तरीके अपनायें लेकिन क्रैश डाइटिंग न करें।
यदि डॉयबिटीज के साथ यूरिक एसिड बढ़ गया है तो ब्लड शुगर कंट्रोल करें अन्यथा किडनी खराब होने का रिस्क बढ़ेगा। ऐसे में हाई फाइबर डाइट अपनायें। वयस्कों को रोजाना 22 से 34 ग्राम फाइबर लेना चाहिये। इसके लिये डाइट में चने, मसूर की दाल, नट्स, बॅाउन राइस, किनुआ, जई, पालक, ब्रोकली, सेब और पियर्स शामिल करें। इससे यूरिक एसिड कम होने के साथ ब्लड शुगर और इंसुलिन लेवल बैलेंस रहता है। हाई-फाइबर डाइट से देर तक पेट भरा रहता है जिससे कैलोरी इनटेक कम और मोटापा भी घटता है। याद रहे डाइट में अचानक फाइबर बढ़ाने से डाइजेशन खराब हो सकता है इसलिये खाने में धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ायें।
शोध से पता चला कि हाई विटामिन C इनटेक, यूरिक एसिड घटाने में मदद करता है। इसलिये डाइट में विटामिन C से भरपूर फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ायें। वयस्क व्यक्ति को रोजाना कम से कम 120 मिलीग्राम विटामिन C जरूर लेना चाहिये। इसके लिये डाइट में शामिल करें संतरे, कीवी, स्ट्रॉबेरीज, खरबूजा, चकोतरा, ब्रॉकली, टमाटर और हरी मिर्च। आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह से विटामिन C सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
यूरिक एसि़ड कम करने में चेरी और चेरी का जूस बहुत फायदा करता है। चेरी में एंथोसायनिन, एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी कम्पाउंड होते हैं। इसके अलावा यह फाइबर और विटामिन सी का भी अच्छा स्रोत है। यदि नाश्ते में मुठ्ठी भर चेरी या एक कप चेरी जूस लें तो यूरिक एसिड और गाउट से जल्द निजात मिल सकती है।
कुछ दवाएं और सप्लीमेंट भी यूरिक एसिड बढ़ा देते हैं जैसे एस्प्रिन, डॉयूरेटिक, विटामिन बी-3 (नियासिन), साइक्लोस्पोरिन, टैक्रोलिमस जैसे इम्युनोसप्रेसेंट, टीबी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली पायराजिनामाइड, पार्किन्सन के इलाज में प्रयोग होने वाली लेवोडोपा, बीटा ब्लॉकर्स और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने वाली दवायें। अगर इन दवाओं से यूरिक एसिड बढ़ा है तो इस सम्बन्ध में डॉक्टर से बात करें।
डाइट, एक्सरसाइजेज और लाइफस्टाइल में बदलाव से बढ़े यूरिक एसिड को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। अगर डॉक्टर ने यूरिक एसिड कम करने के लिये कोई दवा लिखी है तो वह समय पर लें और उसका पूरा कोर्स करें। डाइट, एक्सरसाइज और दवाओं का सही संयोजन यूरिक ऐसिड से जल्द निजात दिलाने में मदद करता है।