गेस्ट कॉलम

सरकार की अदूरदर्शिता से बिगड़े हालात

ByNI Editorial,
Share
सरकार की अदूरदर्शिता से बिगड़े हालात
देश में कोराना की दूसरी लहर कहर ढा रही है। बीमारों की बढ़ती संख्या और मौतों का बढ़ता आंकड़ा भयावह है। सरकार सच्चाई छिपा रही है और जनता सच्चाई बता रही है। कोरोना ने देश के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की बदहाली को बेनकाब कर दिया है। हकीकत यह है कि अस्पतालों में पर्याप्त आक्सीजन नहीं है, बेड नहीं हैं, रेमडेसीविर इंजेक्शन नहीं हैं, वेंटीलेटर नहीं हैं एवं सक्रंमित मरीजों के लिए समुचित चिकित्सा सुविधा नहीं हैं। इस सबका मुख्य कारण है कि देश में कोरोना संक्रमण की पहली लहर को आए लगभग एक साल हो गया, लेकिन केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए कोई सुविचारित, स्पष्ट और दूरगामी कार्ययोजना नहीं बनाई। नतीजा सामने है। कोरोना संक्रमण की शुरूआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन, मेडिकल विशेषज्ञों एवं शीर्ष मीडिया के लोगों ने केन्द्र सरकार को इसके भयावह परिणाम के बारे में बताया था। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने फरवरी 2020 में कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री को आगाह किया था एवं कोविड के प्रभावी प्रबंधन की अपेक्षा की थी, लेकिन भाजपा सरकार कोविड प्रबंधन के बजाए चुनाव प्रबंधन में लगी रही। पूर्व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह ने कोरोना से हो रही तबाही का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र द्वारा सकारात्मक सुझाव दिये थे। अफसोस है कि इन सबकी बातों की अनदेखी की गई। काश! तब सुन लिया होता। सरकार यदि समय रहते कोई निर्णायक कदम उठा लेती तो आज देश में स्थिति इतनी विकराल नहीं होती। अब वक्त आ गया है कि लोगों को स्वास्थ्य सेवा बतौर सुविधा नहीं बल्कि अधिकार की तरह दिया जाए। आपदा की घड़ी में हमने अमेरिका, रूस, इंग्लैड, सिंगापुर एवं अरब आदि देशों से बहुत देर बाद मदद ली, दुनिया के ये देश भारत को आॅक्सीजन, वैक्सीन, वेंटीलेटर, व जीवन रक्षक दवाइयां मुहैया करा रहे हैं। यह मदद हम पहले भी ले सकते थे। केन्द्र सरकार ने वाहवाही पाने की ललक में अपने देश की जरूरत की परवाह किये बगैर 76 देषों में 6 करोड़ टीके भेजने का अदूरदर्शी निर्णय लिया। यह सरकार की सबसे बड़ी विफलता है कि दुनिया का अग्रणी टीका निर्माता देश अपने यहां टीके की कमी पूरा करने के लिए अब दूसरे देशों से टीका आयात करने के लिए मजबूर है। मध्यप्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से बात करके मेडिकल आॅक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्षन आदि का इंतजाम किया है। देर आए, दुरूस्त आए। लेकिन जो संजीदा सवाल हैं, उनके जवाब कौन देगा? उदाहरणार्थ - जो आॅक्सीजन एक्सप्रेस अब चलाई जा रही है, क्या वह तीन माह पहले नहीं चल सकती थी? आज जिस आर्मड मेडिकल सर्विसेस एवं डीआरडीओ से सहायता ली जा रही है, क्या वह पहले नहीं ली जा सकती थी? विभिन्न दवा निर्माता कंपनियों से व आक्सीजन निर्माता कंपनियों से जो इंजेक्शन व आॅक्सीजन अब ली जा रही है, क्या वह पहले नहीं किया जा सकता था? किस बात का इंतजार किया जा रहा था? क्या यह हद दर्जे की लापरवाही नहीं है? वे हजारों निर्दोष लोग, जिन्होंने आॅक्सीजन व इंजेक्षन की कमी से अपनी जान गवां दी, उनकी मौत का जिम्मेदार कौन है? संकट में सेहत व देश लगभग एक साल से है। इस संकट पर हमें केन्द्र सरकार की तैयारी, पालिटिकल सिस्टम की जवाबदेही पर मानवीय संवेदनाओं की दृष्टि से विचार करना होगा।  केन्द्र सरकार ने वैक्सीन के लिए बजट में लगभग 35000 करोड़ रूपए का प्रावधान किया था। यह राशि देश के 90 करोड़ पात्र लोगों को दोनों टीके लगवाने के लिए पर्याप्त थी, लेकिन यह राशि कहां खर्च की गई, किसी को मालूम नहीं है। अब नए फैसलों के तहत वैक्सीन तीन तरह की दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है। क्या इससे काला बाजारी नहीं बढ़ेगी? त्रिस्तरीय वैक्सीन मूल्य का फैसला भारत सरकार की सबसे बड़ी अदूरदर्शिता का प्रमाण है। गांव गांव में कोरोना फैल रहा है, इसकी रोकथाम के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डाॅक्टर, पैरामेडिकल स्टाॅफ एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पर्याप्त संख्या हो, दवाई की समुचित व्यवस्था हो, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जिला स्वास्थ्य केन्द्र में आरटीपीसीआर टेस्ट एवं सिटी स्केन की व्यवस्था होनी चाहिए। ग्रामीण स्वास्थ्य आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डाॅक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के कई पद रिक्त हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डाॅक्टर के लगभग 23 प्रतिशत पद खाली हैं। इस बात का पूरा ध्यान रखना जरूरी है कि गांव से लोगों का पलायन न हो तथा गांव में जो कोरोना सक्रंमित मरीज पाए जाएँ उनके लिए परमिट वाली बस सुविधा मुहैया कराई जाए ताकि वो नजदीक के शहर या जिले में अपना इलाज समय पर करा सकें। वक्त आ गया है कि कोरोना उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम पर ज्यादा से ज्यादा फोकस हो। होम आईसोलेशन - कोरोना से बचने के लिए हर व्यक्ति को जागरूक होना होगा और खुद का बचाव करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता एवं देश के अनेक जाने-माने विषेषज्ञ डाॅक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के 85 प्रतिषत मरीजों का घर पर ही इलाज हो सकता हैै। इसके लिए लोगों को सुरक्षित होम केयर के बारे में समुचित जानकारी दी जाए और उन्हें  घर में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं। कोरोना संक्रमण अब हवा में है, ऐसी स्थिति में कोरोना के मरीजों को बेहतर विकल्प, होम आइसोलेषन है। टीकाकरण अभियान - कोरोना संक्रमण की श्रंखला को रोकने के लिए टीकाकरण की सख्त आवश्यकता है। सभी पात्र लोगों को टीकाकरण आवष्यक रूप से कराना चाहिए। टीकाकरण अभियान में भीड़ उमड़ रही है। शासन और प्रशासन के पास पर्याप्त इंतजामात नहीं है, अमले और अनुभवी स्टाफ की भारी कमी है। सरकार को आगामी कम से कम तीन माह की समयबद्ध कार्ययोजना बनानी चाहिए, कार्ययोजना की मानिटरिंग होनी चाहिए। तय किये गये दिषा निर्देषों का परिपालन होना चाहिए एवं जवाबदेही तय होनी चाहिए। आज सवाल सरकार की नीयत पर नहीं है, बल्कि उसकी कार्यशैली पर है। समय आ गया है कि केन्द्र और राज्य सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के लिए मिलकर कदम उठाएं। स्वास्थ्य को लोगों की सुविधा के लिए नहीं बल्कि अधिकार की तरह दिया जाए। आने वाले समय में सरकार की प्राथमिकता बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना होना चाहिए। स्वास्थ्य के सामाजिक अनुबंध को मजबूत किया जाना चाहिए। लेखक: सुरेश पचौरी
Published

और पढ़ें