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कानपुर में छापे, उलटे पड़े!

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कानपुर में छापे, उलटे पड़े!
पीयूष जैन का फिर सारा तथाकथित ‘काला धन’ पेनल्टी की गंगा नहा कर सफ़ेद हो जाएगा। जैसी चर्चा हो रही है कि यह सारा ‘काला धन’ जिन लोगों का है उनकी भी चाँदी हो जाएगी। मगर सोचने वाली बात यह है कि जब नोट बंदी से काले धन की समाप्ति का दावा किया गया था तो ये काला कहाँ से आ गया? भाजपा जिसे ‘भ्रष्टाचार का इत्र’ कहने लगी थी वह रातों-रात ‘टर्नओवर’ में कैसे बदलता हुआ दिख रहा है।   हाल में कानपुर के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के यहाँ जीएसटी का छापा बहुत चर्चा में रहा। इस छापे में क़रीब 300 करोड़ रू का ‘काला धन’, सोना, चाँदी, चंदन व अन्य सामान पकड़ा गया। क्योंकि चुनाव का माहौल है और समाजवादी पार्टी का एक विधान परिषद सदस्य भी जैन है और वह इत्र का व्यापारी है इसलिए बिना तथ्यों को जाँचे सत्ता पक्ष के नेताओं, मीडिया व भाजपा की आईटी सेल ने सोशल मीडिया इस मामले को समाजवादी पार्टी का भ्रष्टाचार कहकर उछाला। इतना ही नहीं देश के प्रधानमंत्री तक ने कानपुर की जनसभा में इसे ‘भ्रष्टाचार का इत्र’ कह कर तालियाँ पिटवायीं। पीयूष जैन का मामला शायद सामने नहीं आता अगर गुजरात में कुछ दिनों पहले जीएसटी ने ‘शिखर पान मसाला’ ले जा रहे ट्रकों को न पकड़ा होता। इस ट्रक में पान मसाले के साथ करीब 200 फर्जी ई-वे बिल भी पकड़े गए। इसके बाद डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने कानपुर का रुख़ किया और वहाँ डेरा डाल दिया। जो ट्रक पकड़ा गया था वह प्रवीण जैन का था। जो इत्र कारोबारी पीयूष जैन के भाई अंबरीष जैन का बहनोई है। प्रवीण जैन के नाम पर करीब 40 से ज्यादा फर्में हैं। ग़ौरतलब है कि प्रवीण जैन के यहां छापेमारी में ही पीयूष जैन का सुराग मिला। पीयूष जैन को जैसे ही छापे की खबर मिली तो वो भाग गया। परिजनों के दबाव के बाद ही वह वापस लौट कर आया। पीयूष जैन के घर में छिपे हुए नोटों के बंडलों को देखकर जीएसटी की छापामार टीम की आंखें फटी रह गई। शायद इन अधिकारियों ने इससे पहले ऐसी अकूत दौलत देखी नहीं थी। इस छापे के  ट्रेल को देखें तो यह एक सामान्य सा छापा ही प्रतीत होता है। शुरुआती दौर में इस छापे में कोई भी राजनैतिक नज़रिया नज़र नहीं आता। लेकिन जैसे ही ‘जैन’ और ‘इत्र कारोबारी’ को जोड़ा गया वैसे ही अतिउत्साह में इसे समाजवादी पार्टी से जोड़ दिया गया और खूब शोर मचाया गया। भाजपा के सरकार में केंद्रीय मंत्रियों ने भी इस पर ट्वीट की झड़ी लगा दी। Read also इत्र की बदबूः राष्ट्रीय शिष्टाचार दरअसल, जब जीएसटी के अधिकारियों को पीयूष जैन के यहाँ इतनी बड़ी मात्रा में नगदी और सोना-चाँदी मिला तो ज़ाहिर सी बात है कि उसे आयकर विभाग को भी सूचित करना पड़ा। जब और जाँच हुई और पीयूष जैन से पूछ-ताछ हुई तो कई और राज खुले। यहाँ एक बात का जि़क्र करना रोचक है कि हमारे वृन्दावन को उत्तर भारत के व्यापारियों की सूचना का केंद्र माना जाता है। उत्तर भारत के अधिकतर व्यापारी श्री बाँके बिहारी जी के मंदिर लगातार आते हैं और व्यापार में तरक़्क़ी की प्रार्थना माँगते हैं। इन सभी व्यापारियों के वृन्दावन में तीर्थ पुरोहित या पंडे होते हैं। जिस दिन से कानपुर में यह छापा पड़ा है उस दिन से बिहारी जी के पंडों मैं लगातार यह चर्चाएं  है कि पीयूष जैन तो एक लम्बे अरसे से भाजपा और संघ परिवार को बड़ी मात्रा में चंदा और साधन प्रदान करता आया है। उसके यहाँ तो छापा गलती से पड़ गया। तभी वह कहावत कि ‘जो दूसरों के लिए कुआँ खोदता है वो खुद खाई में गिरता है’ सही साबित होती है। यदि अधिकारियों को समय रहते उसके भाजपाई होने का पता चल जाता तो शायद छापा ही न पड़ता। जानकारों की मानें तो इस मामले को भी जल्दी दबाया जाएगा। अख़बारों की रपटों से लग रहा है कि अब इस छापे में बरामद हुई भारी नकदी को अहमदाबाद के जीएसटी विभाग ने ‘टर्नओवर’ की रकम माना लिया है। हालाँकि इस बात की कोई औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन अगर ऐसा है तो टैक्स के जानकारों के मुताबिक यह भ्रष्टाचार के प्रति अधिकारियों की रहमदिली की पहली सीढ़ी है। इस ‘टर्नओवर’ में 31.50 करोड़ की टैक्स चोरी की बात कही जा रही है। टैक्स चोरी की पेनल्टी और उस पर ब्याज मिलाकर यह रकम क़रीब 52 करोड़ रुपये हो जाती है। ऐसे में पीयूष जैन केवल टैक्स व पेनल्टी की रकम अदा कर जमानत पर रिहा हो सकता है। पेनल्टी की रक़म जमा होने पर आयकर विभाग भी इस ‘काले धन’ के मामले में कार्रवाई नहीं कर पाएगा। पीयूष जैन का फिर सारा तथाकथित ‘काला धन’ पेनल्टी की गंगा नहा कर सफ़ेद हो जाएगा। जैसी चर्चा हो रही है कि यह सारा ‘काला धन’ जिन लोगों का है उनकी भी चाँदी हो जाएगी। मगर सोचने वाली बात यह है कि जब नोट बंदी से काले धन की समाप्ति का दावा किया गया था तो ये काला कहाँ से आ गया? भाजपा जिसे ‘भ्रष्टाचार का इत्र’ कहने लगी थी वह रातों-रात ‘टर्नओवर’ में कैसे बदलता हुआ दिख रहा है।
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