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लाडली बहना: आधी आबादी को साधने की होड़

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भोपाल। इस वर्ष के अंत तक होने वाले विधानसभा के आम चुनाव के लिए प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस मुद्दों पर बोली लगाने जैसी स्थिति में आ गए हैं और होड़ लगी है कौन कितनी घोषणा कर सकता है। भाजपा सरकार ने जहां “लाडली बहना” योजना लांच कर दी है वहीं कांग्रेस सरकार आने पर राशि बढ़ाने की घोषणा कर रही है।

दरअसल, प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 2023 का मुकाबला ना केवल कांटे का है वरन दिग्गज नेताओं के लिए अंतिम अवसर के रूप में भी है, इसलिए अपने अपने अनुभव के आधार पर चुनावी मुद्दों को धार दे रहे हैं और मतदाताओं को अभी से लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सत्तारूढ़ दल भाजपा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब से बने हैं तभी से सामाजिक सरोकारों से जुड़ी योजनाओं के माध्यम से सरकार में प्राथमिकता देते आ रहे हैं जिसके कारण एंटी इनकंबेंसी डायलूट करते हैं और सत्ता में वापसी भी करते रहे हैं लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ विधायकों की कमी के कारण पार्टी सत्ता में आने से रह गई और उसकी भरपाई डेढ़ साल बाद सिंधिया समर्थकों के द्वारा हो गई। सरकार भी बन गई लेकिन 2023 में सरकार बनाने की चिंता लगातार सत्ता और संगठन को बनी हुई है। इसी के तहत प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इस बार कांग्रेस “तू डाल डाल तो मैं पात पात” की स्थिति में भाजपा को चुनौती दे रही है। पंचायती राज और नगरीय निकाय के चुनाव में कड़ी टक्कर देने के बाद 2023 में सरकार बनाने के दावे भी कांग्रेस दमदारी से कर रही है और भाजपा जब-जब बढ़त लेने की कोशिश करती है तब तक कांग्रेस अटैकिंग मुद्रा में आ जाती है।

बहरहाल, “लाड़ली लक्ष्मी योजना” की सफलता के बाद शिवराज सरकार ने “लाडली बहना योजना” लागू कर दी है लेकिन तब लाड़ली लक्ष्मी योजना की तरह किसी योजना की कांग्रेस में सरकार आने पर चर्चा भी नहीं की थी लेकिन “लाडली बहना योजना” की आने पर कांग्रेस ने योजना को आगे बढ़ाने की घोषणा कर दी है। भाजपा सरकार ने “लाडली बहना योजना” के तहत प्रतिमाह पात्र महिलाओं को 1000 रुपए देने की घोषणा की है और जून माह से यह राशि मिलने भी लगेगी। फार्म भरे जाने लगे हैं लेकिन कांग्रेस भाजपा की इस योजना को फीकी करने के लिए घोषणा कर दी है कि वह है महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए अर्थात साल में 18000 रुपए देगी।

कुल मिलाकर प्रदेश में आधी आबादी को साधने की होड लग गई है और कई बार तो ऐसा दृश्य लगता है नीलामी बोली लग रही हो। जिसमें एक-दूसरे से बढ़-चढ़कर घोषणा की जाती है लेकिन भाजपा का घोषणा पत्र जहां संकल्प पत्र हो गया है। वहीं कांग्रेस का घोषणा पत्र वचन पत्र कहलाता है इसके बावजूद भी आधी आबादी किस दल के दावे पर भरोसा करती है लेकिन इतना समझ में जरूर आ गया है कि उनका महत्व राजनीति में बढ़ गया है। केवल चुनाव लड़ने में ही नहीं चुनाव लड़ाने में भी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।

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