धर्म कर्म

श्रावण महिने की अंतिम सोमवारी

Share
श्रावण महिने की अंतिम सोमवारी
सावन का चौथा और आखिरी सोमवार 8 अगस्त को है। श्रावण मास के अन्य दिनों व सोमवारों की भांति ही अंतिम सोमवारी को भी शिब पूजा का विधान है। सावन में शुद्ध जल से शिव का अभिषेक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।अत्यंत फलदायी मानी जाने वाली सावन सोमवार व्रत के दिन व्रत रखकर महादेव का जलाभिषेक करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। श्रावण के महीने को भगवान शिव का महीना माना जाता है। इस वर्ष 2022 में श्रावण का मास 14 जुलाई से शुरू हुआ है, और चातुर्मास का पहला महीना यह सावन 12 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। श्रावण शिव का प्रिय मास है। और इस मास में प्रत्येक दिन शिव के विशेष पूजा- अर्चा, अभिषेक किये जाने का विधान है। शिव अपने मस्तक पर चन्द्र को धारण करते हैं। चन्द्र को सोम भी कहा जाता है, और सप्ताह का यह दूसरा दिन चन्द्र को समर्पित होने के कारण इसे सोम वार के नाम से जाना जाता है। श्रावण में सोमवार पूजा का विशेष महत्व है। सावन के प्रत्येक सोमवार के दिन दूध, जल और बेलपत्र से शिव की पूजा करने से मनचाहा वरदान मिलने की मान्यता होने के कारण इस दिन शिव मन्दिरों, शिवालयों में भक्तों के द्वारा विधि- विधानपूर्वक शिवार्चना का विशेष महत्व है। सावन का चौथा और आखिरी सोमवार 8 अगस्त को है। श्रावण मास के अन्य दिनों व सोमवारों की भांति ही अंतिम सोमवारी को भी शिब पूजा का विधान है। सावन में शुद्ध जल से शिव का अभिषेक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।अत्यंत फलदायी मानी जाने वाली सावन सोमवार व्रत के दिन व्रत रखकर महादेव का जलाभिषेक करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। युवक-युवतियां भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सावन सोमवार का व्रत रखते हैं और शिव-पार्वती की विधिवत पूजा कर उनसे अच्छे जीवनसाथी की कामना करते हैं। सावन के हर सोमवार की भांति चौथे औऱ अंतिम सोमवार पर भी अति शुभ योग बन रहा है। 8 अगस्त को श्रावण का चतुर्थ व अंतिम सोमवार है। इस दिन सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्रदा एकादशी भी है। सावन के आखिरी सोमवार पर रवि योग भी बनेगा। एक साथ तीन संयोग होने से इस दिन का महत्व तीन गुना हो गया है । मान्यताओं के अनुसार एकादशी और सावन सोमवार का व्रत एक साथ होने से देवों के देव महादेव और सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु की भी कृपा मिलेगी। सावन में शिव के अभिषेक का विशेष महत्व है। यह कई प्रकार की होती है, और सभी प्रकारों के अभिषेक के पृथक- पृथक फल बताये गये हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ तथा दुग्धाभिषेक करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। सावन सोमवार के दिन दही से शिव का अभिषेक करने पर शिव कृपा से जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। सावन में गाय के घी से शिव का अभिषेक करना शुभ माना गया है। सावन सोमवार को शिव का घृताभिषेक करने से स्वास्थ्य से संबंधी समस्याएं दूर होने की मान्यता है। सावन सोमवार को गंगाजल से शिव का अभिषेक करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। सावन के आखिरी सोमवार के साथ इस दिन एकादशी का व्रत भी होने के कारण इस दिन भगवान शिव के साथ विष्णु की भी पूजा भी करना उत्तम फलदायक और दोनों की कृपा प्राप्ति का योगदायक सिद्ध होगा। इस दिन स्नानादि के बाद शिवलिंग का जलाभिषेक कर षोडोपचार से शिव का पूजन करना चाहिए। उन्हें बेलपत्र, पुष्प, भोग अर्पित करना चाहिए। शिव पूजा पश्चात भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए। सावन पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु को पीले पुष्प अर्पित कर विधिवत पूजा कर घी का दीपल लगाना चाहिए। विष्णुसहस्रनाम का पाठ उत्तम फलदायी माना गया है। सोमवार और एकादशी का शुभ संयोग होने से इस दिन किए दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होने का योग माना गया है। इसलिए पूजा के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, का श्रद्धानुसार दान करना चाहिए। सावन में भगवान शिव के साथ विष्णु की आराधना का भी विधान है। सावन माह में कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी और शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी पर भगवान श्रीविष्णु की पूजा का विधान है। सावन के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस वर्ष श्रावण पुत्रदा एकादशी 8 अगस्त 2022 को है । पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख पाने के लिए बहुत फलदायी माना जाता है। इस बार का व्रत बहुत खास माना जा रहा है क्योंकि सावन पुत्रदा एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। श्रावण मास पुत्रदा एकादशी तिथि आरंभ - 7 अगस्त 2022, रात 11 बजकर 50 मिनट से होगा और एकादशी तिथि का समापन - 8 अगस्त 2022, रात 9:00 बजे होगा । उदया तिथि के अनुसार इस बार सावन पुत्रदा एकादशी व्रत 8 अगस्त 2022 को मान्य है। सावन पुत्रदा एकादशी और सावन का चौथा सोमवार एक ही दिन पड़ रहे हैं । इस दिन पद्म योग और रवियोग का संयोग बन रहा है । ज्योतिष के अनुसार सावन सोमवार के साथ एकादशी व्रत करने से दोगुना फल मिलेगा। शिव और विष्णु की कृपा से संतान के सारे कृष्ट दूर होते हैं । पद्म योग में विष्णु जी की पूजा से पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। पुत्रदा एकादशी का व्रत अपने नाम स्वरूप संतान सुख पाने के लिए रखा जाता है। इस दिन संतानहीन दंपत्ति को भगवान विष्णु करना चाहिए। ब्रह्ममुहूर्त में चांदी के लौटे में दूध में मिश्री मिलाकर पीपल की जड़ में चढ़ाने से योग्य संतान की प्रप्ति होगी।
Published

और पढ़ें