मध्य प्रदेश

इस “महाघोटाले” के सामने तो तमाम पुराने “घोटाले” फीके पड़ गए

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इस “महाघोटाले” के सामने तो तमाम पुराने “घोटाले” फीके पड़ गए
भोपाल। अपना देश घोटालों के लिए हमेशा से ही मशहूर रहा है। सरकारें आती जाती रहीं, पार्टियां बदलती रहीं पर घोटाले अपनी जगह मौजूद रहे, वैसे तो घोटालों का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन “नौ सो करोड़ का विजय माल्या घोटाला” “एक लाख छियत्तर करोड़ रूपये वाला टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला” “सत्तर हजार करोड़ रूपये का कॉमन वेल्थ घोटाला” “चौसठ सौ करोड़ रूपये का बोफोर्स घोटाला” “ग्यारह हजार चार सौ करोड़ का नीरव मोदी घोटाला” “छत्तीस सौ करोड़ का अगस्ता वेस्टलैंण्ड हेलीकाप्टर घोटाला” “दस हजार करोड़ रूपये का हर्षद मेहता घोटाला” “चौदह हजार करोड़ का सत्यम घोटाला” ये तमाम घोटाले ज्यादा याद आते हैं वैसे तो इन घोटालों की संख्या एक सैकड़ा से भी ज्यादा है लेकिन ये घोटाले हैं जो लोगों की जुबान पर अभी भी चढ़े हैं , लेकिन इन तमाम घोटालों को पानी पिलाने एक नया महाघोटाला हुआ है और वो है “नीबू घोटाला”l पंजाब की कपूरथला जेल के अधीक्षक ने ऐसा भयानक नीबू घोटाला किया कि पूरी सरकार हिल गयी। जेल के अधीक्षक गुरनाम लाल ने एक झटके में में “पचास किलो नीबू” की खरीद कर डाली , पचास किलो नीबू एक बार में खरीदना कोई आम बात है क्या । आदमी एक नीबू खरीदने के पहले दस बार सोचता हो उस वक्त उन महाशय ने एक मुश्त पचास किलो नीबू खरीद डाले और खरीदे तो खरीदे उनमें से एक भी नीबू या उसके रस की दो चार बूंदें भी उस जेल के कैदियों को नसीब नहीं हुई वे पचास किलो नीबू कंहा चले गए ये किसी को पता भी नहीं चला। लेकिन कहते हैं कि पाप कभी छिपता नहीं है सो शिकायत हो गयी कि भाईजी ने पचास किलो नीबुओं की खरीद कर डाली है और जब ये खबर सामने आई तो लोगों ने उस अधीक्षक की दिलेरी पर दंतों तले ऊँगली दबा ली, इतना बड़ा घोटाला वो भी सरकार की नाक के नीचे , सरकारों को लगा ये तो बड़ी बेइज्जती वाली बात है कि उसे पता भी नहीं चला और इतना भीषण घोटाला हो गया बस क्या था तत्काल में जांच कमेटी बैठी और नीबू घोटाले के आरोपी जेल अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया। अपने हिसाब से तो उसे सस्पेंशन की जो सजा दी गयी है वो उसके घोटाले के हिसाब से काफी कम है, जब देश में एक एक नीबू के लाले पड़े हो उस दौरान उसने एक बार में पचास किलो नीबू खरीद डाले इससे बड़ा गुनाह तो और कोई हो ही नहीं सकता। दरसल अधीक्षक ने सोचा होगा की लोग बाग़ अपने बाल बच्चों के लिए सोना चांदी खरीदकर रखते हैं एफ डी बनाते हैं ताकि भविष्य में उनके काम आ सके तो क्यूँ न हम अपने बाल बच्चो के लिए नीबू खरीद कर रख लें जब बच्चे बड़े होंगे, उनकी पढ़ाई लिखाई में, ब्याह शादी में पैसों की जरूरत होगी तो ये नीबू बेचकर सारा इंतजाम कर लेंगे लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि कुछ विघ्न संतोषी उनकी शिकायत कर देंगे लेकिन एक बात तो हैं उस जेल अधीक्षक ने ये पचास किलो नीबू किधर छिपाकर रखे है ये पुलिस अभी तक भी पता नहीं लगा पाई हैं। दो क्वार्टर के बाद भी नशा नहीं उज्जैन के एक दरुये ने प्रदेश के गृह मंत्री को शिकायत भेजी है की उसने एक दारू की दूकान से “दो क्वार्टर देशी शराब” खरीदी और एक बार में ही उसे अपने गले में उतार डाला लेकिन उसे नशा नहीं चढ़ा इसलिए इस मामले की जांच की जाए और उस शराब दूकान के ठेकेदार पर कार्यवाही की जाए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो अपनी शिकायत लेकर “कज्यूमर फोरम” भी जाएगा , क्योंकि सवाल नशे का है जिस बात के लिए उसने दो क्वार्टर गटक डाले और अगर उसे नशा नहीं आया तो ये उसके साथ अन्याय हैं आबकारी विभाग ने भी उसकी शिकायत लेकर उसे आश्वासन दिया हैं कि वे इस मामले की गहराई से जांच करेंगे और यदि ऐसा हुआ हैं तो शराब दूकान दार पर कार्यवाही की जायेगी, अब आबकारी विभाग इसकी जांच कैसी करेगा ये भी तो सवाल है.। पहले तो अपने किसी दरुये कर्मचारी को दो क्वार्टर पिलवाना पेड़ेगा और यदि सचमुच में उसको भी नशा नहीं चढ़ेगा तो मान लिया जाएगा कि उस दरुये की शिकायत में दम है और यदि उसे चढ़ गयी तो ये मान लिया जाएगा कि जिन भाई जी ने शिकायत की है उनका “रियाज” बढ़ चुका है और दो क्वार्टर में उनका कुछ नही उखड़ता फिर उन्हें सलाह दी जाएगी कि हुजूर अब अपना कोटा बढ़ाओ और दो क्वार्टर की बजाय कम से कम चार कवार्टर सूंटो तब आपको सुरूर आएगा आपका लीवर दो क्वार्टर से सेटिस्फाइड नहीं होता उसे बर्बाद करने के लिये कम से कम चार क्वार्टर की जरूरत पड़ेगी, इसलिए अपनी भी उनसे यही अपील है कि एक बार में चार क्वार्टर पीयो और उसके बाद भी नशा न आये तब शिकायत करो। बेचारा लाउडस्पीकर क्या दिन थे “लाऊड स्पीकर” के, कोई भी आयोजन हो और लाउडस्पीकर की जरूरतं न पड़े ऐसा तो हो ही नहीं सकता था। “रात्रि जागरण हो" “भगवत कथा हो” “अखंड रामायण हो” “जगराता हो" “नेताओं की सभा हो “अजान” हो पंद्रह अगस्त छबीस जनवरी में “देशभक्ति के गीत हो” “शादी हो ब्याह हो” “सांस्कर्तिक आयोजन” हो या फिर “साहित्यिक आयोजन” ऐसी कौन से जगह थी जंहा लाऊड स्पीकर के बिना काम चल जाता हो , लेकिन अचानक पूरा देश इस बेचारे लाऊड स्पीकर के पीछे हाथ धोकर पड़ गया। अच्छे भले मंदिरों में, मस्जिदों में टंगे थे एक ही झटके में उतारने का आदेश आ गया बरसों से कंगूरों पर चढ़े ये बेचारे लाऊड स्पीकर फर्श पर आ गए इसी को कहते हैं “अर्श से फर्श” पर आ जाना।कितने सालों तक इन नेताओं की आवाज हजारो लोगों तक पंहुचाई लेकिन ये ही नेता इतने बेवफा निकलेंगे ये कभी भी इन लाऊड स्पीकरों ने सोचा नहीं था , अरे भाई ये तो सोच लेते कि हमारा तो काम ही है आवाज तेज करना और जिस काम के लिए हमें बनाया गया है तो वो ही काम तो हम करेंगे , लेकिन किसी ने कुछ नहीं सोचा हमारी बरसों की सेवा का ऐसा सिला मिला। अब हमें अपनी चिंता से ज्यादा उन "डीजे" की होने लगी है जो हमसे कई गुना शक्तिशाली हैं जिसकी आवाज से “हार्ट अटैक” आ सकता है, आदमी “बहरा” हो सकता है गर्भवर्ती महिलाओं का गर्भपात हो सकता है उसकी भी लाई लुटने में अब ज्यादा वक्त नहीं है जैसा हमरे साथ हुआ है वैसा ही तुम्हारे साथ होने वाला है भैया डीजे, अपनी मदद करने वाला अब इस देश में कोई नहीं बचा है समझ लेना अपनी जिंदगी इतने ही दिनों की थी। सुपर हिट ऑफ़ द वीक “कभी कभी तुम आदमी मालूम पड़ते हो लेकिन कभी कभी तुम्हारा व्यवहार औरतों जैसा हो जाता है क्या बात है” श्रीमान जी से उनके दोस्त ने पूछा “ये सब मेरे पूर्वजों का दोष है मेरे आधे पूर्वज मर्द थे और आधे औरत” श्रीमन जी ने उसे समझा दिया
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