वैसे तो सभी का बीपी दिन में एक-दो बार ड्रॉप होता है, लेकिन इस लेवल तक नहीं कि महसूस हो। जब यह 90/60 से नीचे जाता है तो इसके सिम्पटम महसूस होते हैं। ऐसा होता है कुछ खास कारणों से। जैसे खून की कमी, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, हार्ट वॉल्व में खराबी, ब्लड इंफेक्शन, इंडोक्राइन डिस्ऑर्डर, एड्रेनल इंसफीशियेन्सी, थॉयराइड, डिहाइड्रेशन, एक्सीडेंट में ब्लड लॉस, प्रेगनेन्सी में ब्लड डिमांड बढ़ना, गलत मेडीकेशन, लो-ब्लड शुगर, एक बार में ज्यादा खाना, घंटो एक्सरसाइज करने और पार्किन्सन जैसी बीमारी से।
आमतौर पर लोग हाई ब्लड प्रेशर को खतरनाक समझते हैं लेकिन लो-ब्लड प्रेशर भी कम घातक नहीं। अगर बीपी 120/80 से घटकर 90/60 पर आ जाये तो समझिये जान खतरे में। मेडिकल साइंस में हाइपोटेंशन कही जाने वाली इस कंडीशन की शुरूआत में थकान, सिरदर्द, कमजोरी और बेहोशी जैसे लक्षण उभरते हैं और ऐसा होता है दिमाग में ब्लड सप्लाई घटने से।
क्यों कम होता है ब्लडप्रेशर?
वैसे तो सभी का बीपी दिन में एक-दो बार ड्रॉप होता है, लेकिन इस लेवल तक नहीं कि महसूस हो। जब यह 90/60 से नीचे जाता है तो इसके सिम्पटम महसूस होते हैं। ऐसा होता है कुछ खास कारणों से। जैसे खून की कमी, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, हार्ट वॉल्व में खराबी, ब्लड इंफेक्शन, इंडोक्राइन डिस्ऑर्डर, एड्रेनल इंसफीशियेन्सी, थॉयराइड, डिहाइड्रेशन, एक्सीडेंट में ब्लड लॉस, प्रेगनेन्सी में ब्लड डिमांड बढ़ना, गलत मेडीकेशन, लो-ब्लड शुगर, एक बार में ज्यादा खाना, घंटो एक्सरसाइज करने और पार्किन्सन जैसी बीमारी से।
कुछ लोगों का बीपी, जन्मजात ही 90/60 या इसके आसपास रहता है, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं होता क्योंकि उनका शरीर इसी का आदी होता है।
लक्षण क्या उभरते हैं?
अगर लक्षणों की बात करें तो इसकी शुरूआत थकान, सिरदर्द या कमजोरी से होती है लेकिन बीपी कम होने के साथ सिर चकराना, जी मिचलाना, कन्फ्यूजन, डिप्रेशन, ठंड, अधिक प्यास, सांस में धीमापन, बेहोशी और नजर धुंधलाने जैसे लक्षण महसूस होते हैं। लो-बीपी के साथ तेज पल्स, धीमी सांस और ठंडी-रूखी त्वचा का मतलब है मेडिकल इमरजेंसी। ऐसे में पेशेन्ट को तुरन्त अस्पताल ले जायें।
कुछ लोगों का बीपी देर तक बैठने या लेटने के बाद अचानक उठने और कुछ का देर तक खड़े रहने से कम हो जाता है। विशेष रूप से बच्चों का। मेडिकल साइंस में इसे ऑरथोस्टेटिक कहते हैं। इसका कारण है बॉडी पोजीशन में अचानक आया बदलाव। देर तक खड़े रहने पर बच्चों का बीपी लो उस कंडीशन में होता है जब वे कुपोषित हों या इमोशनली अपसेट। ऐसे मामले भी सामने आये हैं जिनमें खाना खाने के बाद ब्लड प्रेशर कम हो गया। ऐसा बुजुर्गों के साथ होता है।
लो-बीपी की ये कंडीशन्स अपने आप नार्मल हो जाती है, समस्या तब होती है जब ब्लड सप्लाई कम होने से आर्गन्स को जरूरी ऑक्सीजन न मिले। इससे उन्हें शॉक लगता है। अगर इसका तुरन्त इलाज न हो तो जान जा सकती है।
इलाज क्या है इसका?
जहां तक लो-बीपी यानी हाइपोटेंशन के ट्रीटमेंट की बात है तो यह कारण के हिसाब से होता है। अगर कारण हार्ट डिजीज, डॉयबिटीज, ब्लड इंफेक्शन या थॉयराइड जैसी बीमारियां है तो पहले इन बीमारियों का इलाज होगा।
प्रेगनेन्सी के पहले 24 हफ्तों में बीपी कम होना आम है, कारण शरीर में हो रहे हारमोनल चेन्जेज से सर्कुलेटरी सिस्टम का विस्तार। इसमें आर्टरीज फैलती हैं और ब्लड प्रेशर घटता है। ऐसे में घबराने की बजाय ज्यादा पानी पियें। कई बार प्रेगनेन्सी में एनीमिया से भी बीपी कम होता है, अगर तकलीफ है तो डाक्टर से कन्सल्ट करें और अच्छी डाइट लें। टांगों में कम्प्रेशन Socks पहनें व लम्बे समय तक बेड रेस्ट से बचें।
घरेलू उपचार
याद रखें शरीर में पानी की कमी से बीपी गिरता है। इसलिये ज्यादा पानी पियें, खासतौर पर तब, जब एक्सरसाइज कर रहे हों। एक्सरसाइज के बीच में ब्रेक जरूर लें। सोना बाथ, हॉट टब और स्टीम रूम में देर तक ना बैठें।
अगर लो-बीपी का कारण शरीर में नमक की कमी है तो शिकंजी और ORS घोल पियें। ऐसे में 24 घंटे में 3.5 ग्राम नमक का सेवन जरूरी है। अगर बीपी, उल्टी और डायरिया से कम हुआ है तो भी पानी या नमक-चीनी का घोल पियें।
कॉफी और कैफिनेटेड चाय ब्लड प्रेशर कम होने से बचाती है। अगर बीपी 90/60 या इससे नीचे है तो पेशेन्ट को तुरन्त कॉफी या चाय पिलायें।
अगर एक बार में ज्यादा खाने से बीपी गिरता है। तो दो-दो घंटे के गैप में थोड़ा-थोड़ा खायें। तेज धूप और हाई-ह्यूमिड जगहों पर जाने से बचें, ऐसे वातावरण में डिहाइड्रेशन का रिस्क सबसे अधिक होता है।
लो-ब्लड प्रेशर (हाइपोटेंशन) भी खतरनाक
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