भोपाल। समय से पहले प्रदेश में विधानसभा के 2023 के चुनाव की न केवल तैयारियां तेज हो रही है वरन उम्मीदवारों की भी तलाश अभी से की जाने लगी है। इसके पीछे दोनों ही दलों के वे तर्क है जो उन्हें सरकार बनाने की उम्मीद बना रहे है। सत्तारूढ़ भाजपा जहां 2018 के परिणाम को स्वीकार ही नहीं रही। वहीं कांग्रेस उससे भी ज्यादा सीट जीतने का दावा कर रही है।
दरअसल, प्रदेश में 2023 के विधानसभा के चुनाव में तब ऐसा पहली बार होगा जब दोनों ही दलों के सत्ता और विपक्ष कार्यकाल का मूल्यांकन होगा। कांग्रेस जहां डेढ़ वर्ष तक सत्ता में रही। वहीं चुनाव तक साढ़े तीन साल विपक्ष की भूमिका में रहते हुए हो जाएंगे। वहीं भाजपा डेढ़ साल के विपक्षी कार्यकाल और साढ़े तीन साल सरकार के पूरे कर लेगी। ऐसे में दोनों ही दलों के पास अपनी - अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने और विपक्षी दल की खामियां गिनाने का अवसर एक साथ मिलेगा और दोनों ही दलों के दावे और तर्क इस तरह हैं जिसमें चुनाव का इंतजार ऐसे हो रहा है जैसे केवल वही सत्ता में आएंगे। वैसे तो 2018 के पहले तक कांग्रेस सत्ता में आने की दुविधा के बीच चुनाव लड़ती आई है। खासकर 2003 में मिली करारी पराजय के बाद 2008 और 13 में भी सरकार न बनाने के कारण हताश निराश हो चुकी थी लेकिन कुछ ही महीनों की सक्रियता और कांग्रेस नेताओं की एकता ने उसे सरकार बनाने का मौका मिल गया।
यही कारण है कि पार्टी इस बार सरकार गिरने के बाद से ही सरकार बनाने की उम्मीदें अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जगाती आ रही है। उसके कार्यक्रम भी अब भाजपा की तर्ज पर घर-घर चलो और बूथ को मजबूत बनाने के हो रहे हैं। यही नहीं पार्टी ने अभी से संभावित उम्मीदवारों को चिन्हित करना शुरू कर दिया है और पहली बार पार्टी समय से पहले उम्मीदवारों को हरी झंडी दे देगी। पार्टी का ऐसा कॉन्फिडेंस इसके पहले पिछले 20 वर्षों में कभी दिखाई नहीं दिया। शायद यही वजह है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा भी अब कांग्रेस मुक्त प्रदेश बनाने की बात नहीं कर रही बल्कि कांग्रेस को चुनौती मानकर प्रदेश में वोट 51 प्रतिशत करने और बूथ को मजबूत करने के लिए बेहद व्यवस्थित ढंग से बूथ विस्तारक कार्यक्रम चला रही है। जिसमें मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश के दिग्गज नेता भी बूथ पर अपना अमूल्य समय देने जा रही है। पार्टी इस दौरान कार्यकर्ताओं का जो आंकड़ा एकत्रित कर रही है उसमें डिजिटलाइजेशन का प्रयोग चुनाव के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका में हो सकता है। कार्यकर्ताओं के यह फोन नंबर पार्टी कार्यालयों के साथ-साथ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पास भी पहुंचेंगे।
कुल मिलाकर प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस समय से पहले जिस तरह से 2023 के विधानसभा के आम चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। उसमें दोनों ही दलों के तर्क और दावे इतनी मजबूत है कि अभी से चुनाव जैसा माहौल बूथ स्तर पर बनने लगा है “तू डाल डाल मैं पात पात” की तर्ज पर दोनों ही दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जहां कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, वहीं पार्टी के कार्यक्रम भी एक से बढ़कर एक दे रहे हैं।
तर्क से हो रही तेईस की तैयारियां तेज...
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