क्रिकेट मैच में मैच टाई होने के बाद जो रोमांच सुपर ओवर में होता है वही रोमांच आज मध्यप्रदेश विधानसभा में देखने को मिलेगा पिछले एक पखवाड़े से सड़क पर छड़ा संग्राम आज सदन में करो या मरो की स्थिति को लिए होगा यह मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच तो है ही यह राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष के बीच शक्ति और अधिकारों की भी जोर आजमाइश है।
क्योंकि शनिवार को जहां राज्यपाल ने निर्देशित किया था सोमवार को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट ही एकमात्र कार्य होगा वही रविवार शाम को जो विधानसभा की कार्य सूची जारी हुई है
उसमें केवल राज्यपाल का अभिभाषण और उसका कृतज्ञता प्रस्ताव शामिल किया गया है फ्लोर टेस्ट का कोई उल्लेख नहीं है। रविवार शाम को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर आदेशित किया है की विधानसभा के अंदर फ्लोर टेस्ट बटन दबाकर नहीं बल्कि हाथ उठाकर किया जाना चाहिए।
दरअसल मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा राजनीतिक संग्राम छिड़ गया है जिसमें दोनों ही दलों के नेता करो या मरो की स्थिति में आ गए जो जीता वही सिकंदर की तर्ज पर जोड़-तोड़ और गुणा भाग की राजनीति चरम पर है। विधानसभा की कार्यसूची देखकर उसमें फ्लोर टेस्ट का उल्लेख न होने पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और सचेतक नरोत्तम मिश्रा रात 9:30 बजे फिर से राज्यपाल से मिलने गए और उन्हें बताया कि आपके आदेश की अवहेलना हो रही है समाचार लिखे जाने तक राज्यपाल ने इस ज्ञापन पर क्या एक्शन लिया है पता नहीं चल सका।
बहरहाल आज से शुरू हो रहे बजट सत्र को लेकर प्रदेश ही नहीं पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है कि मध्यप्रदेश में कर्नाटक की तरह ही लंबे समय तक खींचने वाला नाटक चलेगा जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी दखल देना पड़ेगा या फिर राज्यपाल या विधानसभा अध्यक्ष कोई ऐसा हल निकलवा लेंगे जिससे कि सियासी सुपर ओवर में कोई परिणाम आ ही जाए मध्यप्रदेश में गांव गांव में सरकार को लेकर जिज्ञासा है एक ही प्रश्न है
सरकार रहेगी या जाएगी मुख्यमंत्री कमलनाथ का कॉन्फिडेंस गजब का है के हर बार कह रहे हैं कि सरकार को कोई खतरा नहीं है जबकि भाजपा नेता यहां तक कह रहे हैं सरकार तो गिर चुकी है या अल्पमत में आ चुकी है फ्लोर टेस्ट की जरूरत है दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा राजनैतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि जिस तरह से दोनों ही दलों के विधायकों से किसी का संपर्क नहीं हो पा रहा है ऐसी स्थिति में मौजूदा स्थिति में जो जहां है उस पर ही निर्भर रहेगा मुश्किल से एक दो विधायक इधर से उधर हो सकते।
मध्य प्रदेश की राजनीतिक घटनाक्रम पर दिल्ली में भी भाजपा नेताओं की बैठकों के दौर चले जबकि भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ में दोपहर में जहां मंत्रियों के साथ कैबिनेट की बैठक की वहीं शाम को मुख्यमंत्री निवास पर विधायक दल की बैठक करके पुनः सभी को विश्वास दिलाया है की सरकार को कोई संकट नहीं है।
कांग्रेस विधायक सुबह ही जयपुर से भोपाल पहुंच चुके थे और एक होटल में रुके है जबकि गुरुग्राम में रुके भाजपा विधायक देर रात तक भोपाल नहीं पहुंचे ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि भाजपा को यह विश्वास नहीं हुआ कि आज सदन में फ्लोर टेस्ट होगा तो फिर शायद ही भाजपा के विधायक भोपाल आए और विधानसभा में जाएं 22 बागी विधायक पहले से ही बेंगलुरु में रुके हैं और उनके भोपाल आने की अभी कोई संभावना नहीं है। कुल मिलाकर आज सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यही है कि विधानसभा के अंदर फ्लोर टेस्ट होगा कि नहीं क्योंकि कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का कोई उल्लेख नहीं है ऐसे में सियासत का सुपर ओवर कब खेला जाएगा कुछ कहा नहीं जा सकता।