भोपाल। अधिकांश राज्यों और केंद्र में सत्तारूढ़ दल भाजपा इस समय कहीं चेहरा बदलने की, कहीं चेहरे चमकाने की राजनीति कर रही है। पार्टी नेताओं के बीच भले ही असमंजस की स्थिति बन रही हो लेकिन चेहरों की राजनीति भाजपा के लिए अब तक तो फायदे में रही है। madhya pradesh politics
दरअसल, भाजपा में भले ही यह कहा जाता है कि व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश लेकिन चुनावी राजनीति के लिए भाजपा में चेहरे को दल से आगे करने की राजनीति भी खूब जमती है। पहले वर्षों तक कहा गया “अबकी बारी अटल बिहारी” फिर कहा गया “अबकी बार मोदी सरकार” कुछ इसी तरह के नारे राज्यों में भी लगाए जाते रहे हैं। प्रदेश में फिर भाजपा फिर शिवराज का नारा खूब चला पार्टी कि रणनीति पार्टी के साथ साथ चेहरे के फायदे भी चुनाव में लिए जाएं इसके लिए समय-- समय पर पार्टी चेहरों को चमकाने की राजनीति भी करती है।
बहरहाल, 2018 में सरकार न बन पाने का एक कारण पार्टी को ग्वालियर चंबल इलाके में अपेक्षित सफलता का न मिलना भी था। इसी कारण पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में ले आई और अब सिंधिया के चेहरे को चमकदार बनाया जा रहा है। बुधवार को तीन दिवसीय दौरे पर ग्वालियर पहुंचे ज्योतिराज सिंधिया का जोरदार स्वागत किया गया। सरकार और संगठन की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी गई। पार्टी सिंधिया का स्वागत करके ना केवल उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण बना रही है बल्कि विपक्षी दलों के उन नेताओं को भी संदेश दे रही है। यदि भाजपा में आते हैं तो फिर सिंधिया जैसा महत्त्व उनका भी बढ़ेगा और इसी बहाने पार्टी 2023 की तैयारी कर रही है और इस बार ग्वालियर चंबल इलाके से पार्टी को अधिकतम सीटें मिलने की उम्मीद रहेगी क्योंकि इस इलाके में भाजपा और सिंधिया का प्रभाव संयुक्त रुप से काम करेगा। इस इलाके में जातीय उतार - चढ़ाव भी समय-समय पर होता रहता है जिसे पार्टी सिंधिया के सहारे साधना चाहती है।
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कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद सिंधिया को जिस तरह से पार्टी महत्व दे रही है। उससे पार्टी नेताओं के बीच भले ही खलबली मची हो लेकिन पार्टी के रणनीतिकार समझ रहे हैं। 2023 का चुनाव इतना आसान नहीं है इसके लिए अतिरिक्त उपाय करना पड़ेगें। अन्य प्रदेशों की तरह मध्य प्रदेश की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी ऐसी नहीं है जहां आसानी से निर्णय लिए जा सके।
कुल मिलाकर पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी आगामी चुनाव की तैयारी में जुट गई है और इसके लिए कहीं चेहरों को बदला जा रहा है तो कहीं चेहरों को चमकाया जा रहा है।
कहीं चेहरा बदलने तो कहीं चेहरा चमकाने की राजनीति
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