उमा भारती ने लंबी चुप्पी तोड़ते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर संक्रांति के बाद मध्य प्रदेश में अपनी संभावित बढ़ती सक्रियता का स्पष्ट संदेश दिया गया है.. खुद उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक सफर में आए उतार-चढ़ाव का जिक्र कर कई सवाल भी खड़े कर दिए जिसके मायने निकाले जाना लाजमी .. क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव परवान चढ़ रहे और साध्वी मध्य प्रदेश का रुख करने जा रही ..चाहे फिर उनके अपने केंद्रीय मंत्री रहते गंगा को लेकर बनाई गई अथॉरिटी .. या फिर पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश पंचज अभियान का एजेंडा और अपना मकसद उमा ने एक बार फिर मीडिया के सामने रखा.. सवाल फिलहाल सक्रिय चुनावी राजनीति से लगभग दूरी बनाकर चल रही उमा आखिर क्या चाहती है.. उनकी टाइमिंग कितनी करेक्ट है.. बड़े बदलाव की ओर पहले ही बढ़ चुकी बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव नजदीक आने तक न जाने कितने और बड़े फैसले ले सकती है .. Uma Bharti BJP MP
ऐसे में क्या केंद्र और राज्य सरकार दोनों से उनकी कुछ अपेक्षाएं हैं..तो नेतृत्व फिर इसे गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा.. जब उत्तर प्रदेश चुनाव सबसे बड़ी चुनौती तब पार्टी नेतृत्व को यह सब कुछ कितना रास आएगा… अपनी बात उमा ने पुस्तिका के माध्यम से कुछ लिखित तो कुछ यादें ताजा कर की जो मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद से जुड़ी थी .. कुछ औपचारिक तो कुछ अनौपचारिक सब कुछ पहले से निर्धारित …इसे संयोग कहें या फिर साध्वी की सोची समझी रणनीति जो उन्होंने राजनीति में अपनी भूमिका से ज्यादा सामाजिक सरोकार के जरिए सड़क की सियासत को खुले ऐलान के साथ एक नई दिशा दे दी .. मध्यप्रदेश में सड़क पर उतरकर सिंधिया पहले ही कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट कर भाजपा में आ चुके.. अब साध्वी अपनी भाजपा सरकार के रहते सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर सड़क पर उतरने जा रही हैं..
प्रदेश बीजेपी कार्यालय से दूर श्यामला हिल्स स्थित भोपाल के अपने सरकारी आवास से उमा की दो टूक वह भी शराबबंदी और नशाबंदी के मुद्दे पर गौर करने लायक था.. बिना लाग लपेट के सीधा लेकिन सशर्त ऐलान आगामी 6 माह में यदि समस्या का स्थाई समाधान सामने नहीं आया तो इस बार वह खुद सड़क पर उतर कर अभियान की अगुवाई करेंगी.. साध्वी का अपना बेबाक अंदाज इसलिए इसे चेतावनी कहे या मशवरा या फिर नसीहत जो उन्होंने यह भी कह दिया उनके अल्टीमेटम यानी अपेक्षाओं को शिव- विष्णु की जोड़ी को समय सीमा के अंदर गंभीरता से लेना होगा…नही तो फिर उनके पास अब कोई विकल्प नहीं है.. साध्वी का यह नया एपिसोड उस वक्त चर्चा का विषय बना जब मोदी सरकार के नंबर दो केंद्रीय गृहमंत्री जबलपुर के दौरे पर थे.. जहां सप्ताह संगठन से जुड़े भाजपा के शीर्ष नेता मौजूद थे.. मीडिया का पूरा फोकस अमित शाह पर बावजूद इसके साध्वी ने शालीनता और विस्तार के साथ अपनी बात रखी.. हम तौर पर जब मीडिया उनसे संपर्क और संवाद करना चाहता तो वह नहीं मिलती लेकिन इस बार खुले दिल से हर पुरानी और नई बात से जुड़े सवालों का जवाब दिया.. अमित शाह के दौरे से लौटने के बाद भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने शराबबंदी के मुद्दे पर साध्वी का यह कहकर समर्थन और उसे संजीदगी से लिया कि इस विषय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.. संगठन के मुखिया की इस बात का मतलब साफ के मुख्यमंत्री और दूसरे वरिष्ठ नेता साध्वी के इस अल्टीमेटम पर विचार जरूर करेंगे.. दूसरी तरफ इस मामले में कांग्रेस और उसके नेताओं ने चुटकी ली और उमा को याद दिलाया कि आप पहले भी कुछ इस तरह का ऐलान कर चुकी है उम्मीद है.. इस बार आप सड़क पर नजर आएंगी..
सिंधिया के बाद साध्वी की संक्रांति बाद सड़क से सियासत और सवाल.!
शराबबंदी के मुद्दे पर पहले भी राजधानी भोपाल से बहुत कुछ कह चुकी.. साध्वी ने इस बार स्पष्ट कर दिया कि उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर गंगा अभियान था ..है ..और रहेगा ..इसलिए मध्यप्रदेश में सक्रिय होने से पहले वह गंगोत्री से गंगासागर तक की अपनी अधूरी यात्रा को हर हाल में मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी तक पूरा करना चाहेंगी…. साध्वी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके पहले 4 बार अपनी यात्रा के पूरा नहीं होने का ब्यौरा भी सामने रखा.. शराबबंदी पर आर्थिक स्रोत की भरपाई के लिए चार मॉडल विकल्प के साथ जरूर उन्होंने गिनाए..प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिना लाग लपेट के हर सवाल का जवाब देती हुई उमा भारती ने दावा किया कि शराबबंदी से होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई का प्लान उनके पास है.. और यह बात वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से 121 करेंगी.. क्योंकि इसके पहले वह शिवराज को भरोसे में पहले ही ले चुकी है ..वह भी तब जब 2018 का चुनाव हारने के बाद भी शिवराज के नेतृत्व में सरकार बनी.. साध्वी ने रायसेन से भोपाल तक की शिवराज के साथ अपनी पुरानी संयुक्त यात्रा का राज खोलते हुए उस बातचीत को सामने रखा जिसमें नई सरकार के सामने चुनौती से निपटने का प्लान साझा किया गया था.. पीढ़ी बदलाव के दौर में बदलती बीजेपी क्यों फैसले जब चर्चा में है तब उमा भारती ने कभी शिवराज से रहे अपने मतभेदों को स्वीकार किया.. तो बदलते राजनीतिक परिदृश्य में शिवराज के नेतृत्व को सक्षम और स्वीकार्य भी बता डाला.. चौहान की न सिर्फ तारीफ गिनाई बल्कि बदलाव के दौर से गुजर रही बीजेपी की चर्चित जोड़ी शिव – विष्णु से अपनी अपेक्षाएं सार्वजनिक कर दी.. जो आत्म निर्भर मध्य प्रदेश, केंद्र बेतवा परियोजना और उनके अपने मुख्यमंत्री रहते पंचज अभियान से जुड़ी थी.. सीधी स्पष्ट सलाह लेकिन नेतृत्व पर भरोसे के साथ शिवराज की जबरदस्त पैरवी… उमा ने कहा योगी और शिवराज के नेतृत्व में सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है..
Read also प्रदेश की राजनीति में अब्बाजान और चचाजान से वार
ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है उत्तर प्रदेश में जब योगी के नेतृत्व में चुनाव लड़े जाने का सस्पेंस पहले ही खत्म हो चुका है.. और उसके बाद गुजरात का नया मॉडल मुख्यमंत्री और पूरे मंत्रियों के बदलाव के साथ सामने आया तब साध्वी भोपाल से योगी के साथ शिवराज के नेतृत्व को सराह रही थी.. लगातार समय-समय पर ट्वीट कर प्रधानमंत्री की तारीफ करती रही उमा ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के विकास और उसे मिली एक नई पहचान के लिए उनके सरकार की उपलब्धियों को लेकर बहुत कुछ गिना दिया.. बावजूद इसके केंद्रीय जल संसाधन मंत्री रहते गंगा अभियान और अविरल गंगा को लेकर लिए गए फैसलों की याद ताजा कर साध्वी मुद्दों पर टिके रह कर अपनी बात लगातार दोहराती रही.. सवाल जवाब के बीच में साध्वी भावुक भी नजर आई जब उन्होंने कहा कि वह आखरी सांस लेने से पहले गंगा से किए गए अपने वादों को पूरा होता हुआ देखना चाहती..पूर्व मुख्यमंत्री उमा के मन की बात पूरी होने के साथ जबसवालों का सिलसिला शुरू हुआ.. तो बदलती बीजेपी गुजरात का नया मॉडल ..सारे घर के बदल डालो से जुड़े सवाल पर ज्यादा कुछ कहने से पहले यह कह कर वह बची कि उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.. दरअसल उनसे यह पूछा गया था कि क्या मध्य प्रदेश में अगला चुनाव शिवराज के नेतृत्व में होना चाहिए… उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के फैसले का इंतजार करने का इशारा किया.. क्योंकि सवाल ही मध्य प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन और शिवराज के विकल्प से जुड़ा था ..बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस पचड़े में नहीं पड़ने वाली.. बावजूद इसके पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह शिवराज की बड़ी शुभचिंतक के तौर पर नजर आई.. लेकिन कुछ उनकी अपेक्षाएं भी मुख्यमंत्री से बनी रहेंगी..प्रेस कॉन्फ्रेंस में बॉडी लैंग्वेज के साथ उमा की दो टूक.. खरी खरी और बेबाकी ही गौर करने लायक नहीं थी.. बल्कि उनकी साफगोई भी सुनने और समझने लायक थी.. क्योंकि जिस भाजपा में नेता सिर्फ अब सुनते और सिद्धांत मतभेद पर बोलने का साहस नहीं जुटा पाते.. वहां साध्वी ने साफ कर दिया कि वह सच को छुपा सकती.. ..लेकिन झूठ बोलकर कतई नहीं.. क्योंकि रणनीति बनाकर वह कुछ भी नहीं कहती.. एक बार फिर उनके तेवर और तल्ख टिप्पणी देखने लायक थी..
जब उन्होंने कहा कि वह अपने पास पावर चाहती हैं लेकिन उसका अपना मकसद तो उसकी वजह भी है.. राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो जाने के बाद रामराज्य की आवश्यकता जताती रही उमा ने कहा कि वह चाहती है कि नीति बदलने का पावर उनके पास रहे जिससे अन्याय के खिलाफ गरीबों की लड़ाई को वह लड़ सके.. मध्य प्रदेश की समुचित विकास के लिए उन्होंने बड़े बदलाव की आवश्यकता जताई.. आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के एजेंडे को पंचज से जुड़े अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए पूरा किया जा सकता है..मध्यप्रदेश में कॉन्ग्रेस कितनी बड़ी चुनौती और दिग्विजय सिंह कमलनाथ भाजपा का संकट क्या बढ़ा सकते हैं.. कुछ ऐसे सवालों पर साध्वी ने सिक्किम की तर्ज पर विपक्ष के सफाए की संभावनाओं को बखूबी सिंधिया की भाजपा में एंट्री से जोड़ दिया.. 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने के उनके पुराने ऐलान की याद दिलाई गई तो कहा चुनाव तो वह लड़ेगी लेकिन कहां से लड़ेंगे यह पार्टी नेतृत्व फैसला करेगा..केंद्रीय जल संसाधन मंत्री रहते उमा भारती महत्वाकांक्षी रिवर लिंक परियोजना के मुद्दे पर अपनी भूमिका और उपलब्धियों को सामने रखना नहीं भूली.. तो लगे हाथ यह भी साफ कर दिया कि मतभेद उनके जगजाहिर है .. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को जल मार्ग से जोड़ते हुए विकास के लिए जरूरी बताया.. केंद्रीय स्तर पर कई विभागों के बीच सहमति जरूरी है.. बुंदेलखंड की जिस धरा से निकल कर पहले राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा का बड़ा चेहरा बनी और पार्टी के बड़े आंदोलनों और कार्यक्रमों का हिस्सा उस पृथक बुंदेलखंड की मांग पर अपनी सहमति और समर्थन जताया जरूर लेकिन स्पष्ट कर दिया कि जन समर्थन के अभाव में मतभेद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के स्थानीय नेतृत्व को लेकर अभी खत्म नहीं हुए.. पृथक बुंदेलखंड की मांग करने वाले आंदोलनकारियों को उमा ने अपना समर्थन दिया.. और बताया कि भाजपा संगठन की कार्यशैली और उसका ढांचा उत्तर प्रदेश में पृथक राज्य पर ही केंद्रित रहा है.. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के लोग इससे फिलहाल सहमत नहीं और जन समर्थन भी पक्ष में नहीं..
अकेले उत्तर प्रदेश में पृथक राज्य का निर्माण दूसरे अतिरिक्त क्षेत्रों के समावेश से ही संभव है..देश की राजनीति में पिछड़ा वर्ग एक बड़ा मुद्दा बन चुका है.. खुद उमा भारती पिछड़े वर्ग से आती है ..जिनकी पहचान भगवा भी है कट्टर हिंदुत्व की रही.. कभी संघ का प्रिय चेहरा रहे इस जाने पहचाने फायर ब्रांड लीडर ने बदलते राजनीतिक परिदृश्य में मुस्लिम कट्टरवाद पर भी अपनी बात रखी तो मोदी के बचाव में खुलकर सामने आई..पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर अपनी सहमति जताते हुए उमा भारती ने निजी क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने की आवश्यकता भी जता डाली… राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछड़ा वर्ग को एक बड़ा मुद्दा बना दिया तो मध्यप्रदेश में शिवराज इस मुद्दे को धार दिए हुए मोदी और शिवराज दोनों पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं ..उमा भारती ने अपने राजनीतिक सफर के साथ एक प्रवचन कर्ता और भाजपा प्रेम की पूरी कहानी को सामने रखने के साथ ना सिर्फ लंबी चुप्पी तोड़ी.. बल्कि शिवराज के नेतृत्व की जमकर तारीफ और एक बार फिर 2023 में भाजपा की सरकार बनने का दावा कर डाला.. बावजूद इसके अपने इरादे भी जता दिए ..साध्वी की माने तो चुनाव जीतना उनके लिए कोई चुनौती नहीं.. चाहे फिर विधानसभा हो या लोकसभा मध्य प्रदेश हो या उत्तर प्रदेश से .. इस बार भी फैसला पार्टी नेतृत्व को करना है.. लेकिन अब गंगोत्री से अधूरी गंगासागर की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद वह मध्यप्रदेश में सक्रिय होंगी.. इसके लिए उन्होंने शराबबंदी और नशाबन्दी के मुद्दे को चुना. सशर्त समय सीमा के अल्टीमेटम के साथ सड़क पर इस अभियान की अगुवाई खुद करने का ऐलान भी कर दिया है.. साध्वी का व्यक्तिगत मानना है कि सख्त कानून या जनमत के दबाव में यह फैसला लागू किया जा सकता है .. कानून यदि शिवराज सरकार को बनाना है तो महिलाओं से जोड़कर इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने की ठान ली है.. वह भी यह सफाई देते हुए कि इसे सरकार के खिलाफ आंदोलन न समझा जाए.. क्योंकि हम बातचीत करके किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते.. यह वह समय होगा जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव परवान चढ़ा होगा ..देखना दिलचस्प होगा उमा का गंगा अभियान जिसका उनका अपना एजेंडा जग जाहिर.. पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बार उनके साथ खड़ा नजर आएगा ..सवाल यह भी जब मकर संक्रांति के बाद मध्य प्रदेश में आकर सड़क पर मोर्चा खोलेगी.. उस वक्त पीढ़ी परिवर्तन के दौर में बदलती बीजेपी के अंदर उमा के इस अभियान को क्या प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर लिया जाएगा.. या फिर साध्वी के संग भाजपा संगठन और सरकार कदमताल करती हुई नजर आएगी.. या फिर ऐसी स्थिति बनने से पहले कोई फार्मूला सामने आ चुका होगा.. यह तो बात हुई उमा भारती के मन की बात और उनके इरादे और सक्रिय सियासत से दूर सामाजिक सरोकार की.. सवाल आखिर चर्चित गुजरात मॉडल के बीच मध्य प्रदेश में भाजपा की दिशा क्या होगी.. फिलहाल जब अमित शाह सत्ता और संगठन के शीर्ष नेतृत्व के साथ जबलपुर दौरे के दौरान जब मिल रहे थे.. उससे ठीक पहले आखिर उमा ने मध्यप्रदेश में अपनी सक्रियता का सशर्त ऐलान क्यों कर दिया ..
क्या साध्वी अपनी लाइन नए सिरे से आगे बढ़ा रही या फिर बदलती बीजेपी में शिवराज का बचाव इसका एक बड़ा मकसद था .. हमें याद रखना होगा कुछ दिन पहले ही ट्वीट के जरिए उन्होंने परिवारवाद के मुद्दे पर पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष दोनों का बचाव खुलकर किया था… बड़ा सवाल गंगा अभियान को लेकर क्या पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व से उनके मतभेद यदि थे तो क्या वह सुलझ गए हैं.. तो दूसरी ओर क्या यह मान लिया जाए उमा जो 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चार प्रमुख शहरों में शामिल थी क्या अब उस उत्तर प्रदेश से वह पूरी तरह से दूरी बना चुकी है.. जिस उत्तर प्रदेश के चुनाव में राम मंदिर गंगा अभियान के एक बार फिर मुद्दा बनने से इनकार नहीं किया जा सकता.. जिनसे खुद भगवाधारी साध्वी जुड़ी रही.. तो क्या मध्यप्रदेश में उनकी सक्रियता सामाजिक सरोकार से जोड़कर मुद्दा आधारित उनकी सियासत क्या पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ मध्य प्रदेश नेतृत्व को रास आएगी.. लाख टके का सवाल पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रही बदलती बीजेपी में जब अटल आडवाणी युग के अधिकांश नेता या तो खुद घर बैठ गए या किनारे लगा दिए गए तब उमा भारती आखिर मोदी शाह और नड्डा की बीजेपी में कहां कैसेऔर कब फिट होंगी.. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह जरूर कह दिया कि कोई उनको दरकिनार नहीं कर सकता.. यानी मैदान छोड़ने को तैयार नहीं.. क्योंकि उनकी अपनी कुछ प्राथमिकताएं और संकल्प है जिसे वह पूरा होता देखना चाहेंगी.. मोदी की मुरीद उमा मुद्दा आधारित मतभेद सहर्ष स्वीकार करती.. देखना दिलचस्प होगा अपने जिद्दी स्वभाव के लिए पहचाने जाने वाली साध्वी उमा भारती क्या मकर संक्रांति के बाद मध्य प्रदेश में अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में सफल होंगी तो कैसे.. राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा जिसने कभी मंडल की तोड़ कमण्डल की राजनीति के जरिए सफलता के पायदान चढ़ी थी.. अब जब एक बार फिर मोदी का पिछड़ा वर्ग कार्ड और योगी का भगवा लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सरकार की वापसी की गारंटी माना जा रहा.. तब भगवाधारी कभी फायर ब्रांड नेता माने जाने वाली साध्वी उमा भारती जो पिछड़ा वर्ग का भी प्रतिनिधित्व करती है आखिर किस भूमिका में कहां नजर आएंगी..