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मप्र: सतह पर आई भाजपा की गुटबाजी

भोपाल। केवल दीपक जोशी ने ही भाजपा नहीं छोड़ी है बल्कि पूरे प्रदेश में जगह-जगह से जिस तरह से भाजपा नेताओं के बयान आ रहे हैं उससे भाजपा की अंदरूनी कलह अब सतह पर आ गई है। माना जा रहा है पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व जल्द ही गुटबाजी के नासूर का ऑपरेशन करेगा। 28 मई को संसद भवन के उद्घाटन के बाद प्रदेश पर फोकस किया जाएगा।
दरअसल, प्रदेश और देश में लगातार सरकार में रहने के कारण कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच जहां फासला बना वहीं नेताओं के बीच सत्ता में भागीदारी को लेकर प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी लेकिन अब प्रतिस्पर्धा प्रतिद्वंदिता में तब्दील हो गई है। जिसके कारण आए दिन भाजपा नेताओं के बयान सुर्खियां बटोर रहे हैं लेकिन यही सुर्खियां भाजपा नेतृत्व को शूल की तरह चुभ रही है। यही कारण है कि नेताओं को समझाइश दी जा रही है लेकिन अब नेताओं के समर्थक और परिजन भी एक – दूसरे पर तंज कसने लगे हैं। नोटिस जारी हुए हैं तत्काल जवाब लिए जा रहे हैं लेकिन चुनाव के पहले स्थाई समाधान के लिए अब पार्टी नेतृत्व ऑपरेशन करने के मूड में आ गया है और बहुत जल्द ही तस्वीर साफ होगी।

बहरहाल, जिस तरह से सागर से उठी लहरें दिल्ली तक पहुंची और दिल्ली से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, पहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, भोपाल पहुंचे। राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद नरेंद्र तोमर और कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली के लिए रवाना हुए। वहीं पहलाद पटेल अपने ग्रह ग्राम गोटेगांव पहुंचे। किसी ने भी मुलाकात के बारे में कुछ विशेष नहीं बताया लेकिन पहलाद पटेल ने फेसबुक पर अपने मित्रों का आभार जताया। जिसमें उन्होंने संकट के समय व्यस्त रहने का उपाय बताया लेकिन दूसरे दिन सुबह से ही पहलाद पटेल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबरें सोशल मीडिया पर छा गई यहां तक कि सीधे तौर पर बधाई दी जाने लगी।

शाम तक मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने इन खबरों का खंडन भी कर दिया लेकिन पार्टी में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है यह जगजाहिर हो गया और तमाम प्रकार की अटकलों पर विराम लगाने के लिए पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व जल्द ही समाधान करेगा। शुक्रवार शाम को एक बार फिर कैलाश विजयवर्गीय भोपाल पहुंचे और पार्टी नेताओं के साथ चर्चा की।
कुल मिलाकर प्रदेश भाजपा में जिस तरह से असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं। उससे पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की चिंता बढ़ गई है और अब प्रदेश में समस्याओं के समाधान के रास्ते शीघ्र दिखाई देंगे क्योंकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 और फिर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पार्टी को संगठित और सक्रिय करना जरूरी हो गया है।

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