भोपाल। बुंदेलखंड में मजबूत जड़ें जमा चुकी भाजपा को चुनौती देने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का फोकस इस इलाके में बना हुआ है 1 सप्ताह के भीतर दो पूर्व मुख्यमंत्री इस इलाके में ललकार चुके हैं लेकिन जिस तरह से भाजपा के नेता क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं उससे कांग्रेस की चुनौती आसान नहीं है।
दरअसल बुंदेलखंड का इलाका ऐसा है जहां पिछले दो दशक से लगातार भाजपा 4 लोकसभा के चुनाव जीत रही है और विधानसभा की 26 सीटों में से भी अधिकांश सीटें भाजपा के खाते में जाती हैं लेकिन इस बार कांग्रेस बुंदेलखंड में भाजपा को चुनौती देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है दमोह उपचुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेश इस इलाके में उत्साहित हुई है और वह एक एक सीट को जीतने की रणनीति बना रही है एक तरफ जहां भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मजबूत सीटों को टारगेट करते हुए 3 दिन तक इस इलाके में डेरा डाला और भाजपा सरकार के तीन मंत्रियों गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और गोविंद राजपूत के क्षेत्र में कांग्रेसियों को उत्साहित किया और उसके बाद गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने बीना में आमसभा करके भाजपा पर हमला बोला।
बहरहाल बुंदेलखंड के खजुराहो संसदीय सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सांसद हैं वही दमोह लोकसभा से पहलाद पटेल जो केंद्रीय मंत्री हैं और टीकमगढ़ से वीरेंद्र कुमार सांसद है केंद्र मंत्री हैं सागर से युवा सांसद राजबहादुर है वही प्रदेश सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव भूपेंद्र सिंह गोविंद सिंह राजपूत और बृजेंद्र सिंह बुंदेलखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं कांग्रेस को बुंदेलखंड में पिछले 5 वर्ष में तगड़े झटके भी लगे हैं जब गोविंद राजपूत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए बड़ा मलहरा और दमोह के विधायक कांग्रेश छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए पूर्व मंत्री बृजेंद्र राठौर का निधन हो गया और अरुणोदय चौबे घर बैठ गए इस इलाके में कांग्रे स्कोर नया नेतृत्व खड़ा करना है क्षेत्र के जातीय समीकरणों को साधने के लिए पार्टी प्रयास कर रही है पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को सागर संभाग का प्रभारी बनाया गया है जिससे यादव बहुल इलाके में सेध लगाई जा सके। बुंदेलखंड में तमाम प्रकार के झटके लगने के बाद दमोह विधानसभा का उपचुनाव जब से कांग्रेसी ने जीता है जोकि भाजपा का और पूर्व मंत्री जयंत मलैया का गण था तब से कांग्रेश बुंदेलखंड में अपनी उम्मीद देखने लगी है और दूसरी तरफ भाजपा तब से बुंदेलखंड को लेकर सतर्क और सावधान हो गई है। कुल मिलाकर एक बार फिर बुंदेलखंड प्रदेश की राजनीति में आकर्षण का केंद्र बन गया है जहां अंगद की तरह पांव जमा चुके भाजपा नेताओं को कांग्रेसी दिग्गजों ने हिलाना डुलाना शुरू किया है।