
भोपाल। वर्ष 2002 में केन और बेतवा नदी को जोड़ने की योजना बनी थी जिसको अभी 2021 मैं केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इस दौरान आठ हजार करोड़ की परियोजना अब 44000 करोड़ से ज्यादा की हो गई है। और यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 8 वर्ष में परियोजना का काम पूरा हो जाएगा और तब बुंदेलखंड की बंजर धरती में बहार आने की उम्मीद बनी है। ken betwa link project
दरअसल, बुंदेलखंड की जमीन के अंदर विश्व प्रसिद्ध हीरा पन्ना से लेकर बहुमूल्य लौह अयस्क और समृद्धा से भरी पड़ी है लेकिन बुंदेलखंड की जमीन पर सूखा पलायन बेरोजगारी गरीबी दिखाई देते हैं। कृषि पर आधारित इस इलाके में पिछले कुछ वर्षों में छोटी-छोटी सिंचाई परियोजनाएं बांध बने लेकिन क्षेत्रवासियों को 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के कार्यकाल में केन और बेतवा नदी को जोड़ने की योजना बनी तब से उम्मीद लगाए। बैठे बुंदेलखंड वासियों को बार-बार निराशा हाथ लगी क्योंकि पानी के बंटवारे को लेकर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच सर्वमान्य हल नहीं निकल पा रहा था। अगस्त 2005 में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के बीच पहला समझौता हुआ लेकिन बीच-बीच में विवाद की स्थिति बनती रही लेकिन 16 वर्षों बाद अंततः इस योजना को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। 8 साल बाद जब परियोजना पूरी तरह से मूर्त रूप ले लेगी तब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के या से बुंदेलखंड क्षेत्र में ना केवल सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा जल संकट की समस्या भी हल होगी।
इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना टीकमगढ़ सागर दमोह दतिया विदिशा शिवपुरी और रायसेन जिला और उत्तर प्रदेश के बांदा महोबा झांसी एवं ललितपुर जिले को लाभ होगा। देश की पहेली इस महत्वाकांक्षी परियोजना से जहां देश में नदियों को आपस में जोड़ने की अन्य परियोजनाओं को भी रास्ता मिलेगा वहीं बुंदेलखंड में जमीन के अंदर जैसी बहार जमीन के ऊपर भी आ सकती है। इस योजना के तहत केन का पानी बेतवा नदी में भेजा जाएगा और लगभग 10, 62 नाग हेक्टेयर रकबे की वार्षिक सिंचाई हो सकेगी और लगभग 62 लाख की आबादी को पीने का पानी भी मिलने लगेगा यही नहीं 103 मेगा वाट पनबिजली और 27 मेगावार्ट सौर ऊर्जा भी पैदा होगी।
कुल मिलाकर बुंदेलखंड की तकदीर और तस्वीर बदलने वाली मांगी जा रही इस परियोजना के पूर्ण होने से रोजगार पर्यटन के क्षेत्र में भी असीम संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसे विकास का नया सूर्योदय मान रहे हैं और बुंदेलखंड के लिए यह परियोजना वरदान बता रहे हैं। बुंदेलखंड का आम आदमी भी पिछले डेढ़ दशक से इस परियोजना की मंजूरी का इंतजार कर रहा था लेकिन अब जबकि केंद्रीय कैबिनेट ने परियोजना को मंजूरी दे दी है तब उसे इस परियोजना के पूर्ण होने का इंतजार रहेगा।
जाहिर है भूखे को भोजन और प्यासे को पानी मिल जाए तो फिर उससे बड़ा सुकून कुछ नहीं होता ऐसा ही प्यासे बुंदेलखंड की बंजर धरती में केन बेतवा परियोजना से बहार आएगी यह सोच कर ही बुंदेलखंड वासी उत्साहित हैं बस अन्य योजनाओं या परियोजनाओं की तरह इसका हश्र ना हो इसकी चिंता भी है