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दिग्गजों की गैरमौजूदगी में बनेगी नगर सरकार

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दिग्गजों की गैरमौजूदगी में बनेगी नगर सरकार
नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर भाजपा गंभीर.. प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भोपाल पहुंच चुके हैं.. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद लगातार नगर निगम क्षेत्र के दौरे पूरे होने के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा प्रदेश के सघन दौरे पर हैं.. छिंदवाड़ा दौरे से लौटने के साथ ही अध्यक्ष ने जो महत्वपूर्ण बैठक बुलाई वहीं चुनाव की गंभीरता को दर्शाती है .. मंगलवार को जब विधानसभा में शिवराज सरकार के बजट पर पूरे प्रदेश की नजर होगी.. उस वक्त विष्णु दत्त शर्मा नगरीय निकाय चुनाव को लेकर चिंतन और मंथन शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में अपने सहयोगियों के साथ करेंगे। इस बैठक में भाजपा प्रदेश पदाधिकारीगण, मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, प्रदेश स्तरीय नगरीय निकाय चुनाव संचालन समिति, नगरीय निकाय जिला चुनाव प्रभारी, नगर निगम चुनाव प्रभारी, नगर पालिका चुनाव प्रभारी एवं संभागीय संगठन मंत्री उपस्थित रहेंगे। भाजपा ने इस बैठक से पहले नगर निगम और जिलों के प्रभारियों का दायित्व अपने नेताओं को सौंप दिया है.. उमाशंकर गुप्ता के नेतृत्व में गठित समिति के सदस्य प्रदेश के दौड़ दौड़ का दौरा कर चुनाव की एक्सरसाइज को आगे बढ़ा चुकी है.. 3 मार्च को मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ ही कभी भी इन चुनावों की तारीख के ऐलान की संभावना बढ़ चुकी है.. भाजपा की तैयारियां अपनी जगह दुरुस्त फिर भी ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी क्या मध्य प्रदेश के उन दिन तक नेताओं की प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में आखिर क्या भूमिका होगी? जिन्हें पहले ही पश्चिम बंगाल और असम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा सौंपी जा चुकी.. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह स्वयं पश्चिम बंगाल के दौरे से पांच राज्यों के चुनाव प्रचार के लिए निकल चुके हैं संगठन महामंत्री सुहास भगतपुर उस असम की जिम्मेदारी सौंपी गई है जहां केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर भी किसान आंदोलन के बाद हो रही पंचायतों से बेफिक्र होकर नए सिरे से सक्रिय हो चुके.. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल के चुनाव की चुनौती को स्वीकार कर सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को भी नार्थ बंगाल की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई यही नहीं मध्यप्रदेश में नंबर दो गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी पश्चिम बंगाल को अपने टारगेट पर ले चुके हैं शिवराज सरकार के मंत्री विश्वास सारंग और अरविन्द भदोरिया को भी बंगाल चुनाव से जोड़ दिया गया मध्य प्रदेश के ही पूर्व संगठन महामंत्री अरविंद मेनन पश्चिम बंगाल चुनाव के सह प्रभारी के तौर पर मध्य प्रदेश के इन दिग्गज नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है यदि नगरी निकाय चुनाव मार्च के अंत तक करा लिए जाते हैं तो भाजपा के इस दिग्गज नेताओं की आखिर प्राथमिकता क्या होगी नरेंद्र मोदी अमित शाह जेपी नड्डा द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी के तहत पूरा समय पश्चिम बंगाल और असम में बिताएंगे या फिर इनकी नजर मध्य प्रदेश की नगर सरकार पर रहेगी यह सवाल इसलिए क्योंकि इस चुनाव में इन सभी नेताओं से उनके समर्थकों की न सिर्फ टिकट दिलाने की अपेक्षा होगी बल्कि वह चाहेंगे कि जीत सुनिश्चित करने के लिए यह सभी नेता मैदान में ज्यादा से ज्यादा समय अपने क्षेत्र में गुजारे सवाल क्या कैलाश विजयवर्गीय को बिना भरोसे में लिए इंदौर नगर निगम से लेकर मालवा निमाड़ अंचल के टिकट बांटे जा सकेंगे इस क्षेत्र में भी भाजपा के अंदरूनी समीकरण ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के पार्टी में शामिल होने के बाद नीचे तक बदल चुके हैं तो यही स्थिति केंद्रीय मंत्री पहलाद पटेल के दबदबे वाले जबलपुर से लेकर बुंदेलखंड के दमोह क्षेत्र में भी बनती है दमोह में तो उपचुनाव का शंखनाद कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राहुल लोधी के नाम के ऐलान के साथ शिवराज सिंह प्रह्लाद पटेल और विष्णु दत्त कर चुके हैं इस सीट पर जयंत मलैया और उनके परिवार के साथ उनके समर्थकों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का दतिया डबरा हो या फिर प्रभाव वाला ग्वालियर चंबल क्षेत्र उनके समर्थकों और पार्टी दोनों को उनकी मौजूदगी का इंतजार रहेगा ग्वालियर चंबल क्षेत्र से ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को तो असम राज्य का चुनाव प्रभारी ही बना दिया गया है उनके अपने मुरैना ग्वालियर के अलावा पूरे प्रदेश में समर्थकों की उनसे अपेक्षाएं बढ़ना लाजिमी है पिछले डेढ़ दशक में मध्यप्रदेश में विधानसभा से लेकर लोकसभा और नगरी निकाय चुनाव में नरेंद्र तोमर बड़ी भूमिका निभाते रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की इन चुनावों में भाजपा से अपेक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है नरेंद्र और ज्योति समर्थकों में टकराहट की स्थिति को यदि टालना है तो फिर नरेंद्र सिंह की चुनाव में भोपाल ग्वालियर में मौजूदगी जरूरी मानी जाएगी भिंड क्षेत्र में तेज तर्रार सहकारिता मंत्री अरविन्द भदोरिया की गैरमौजूदगी में इन चुनाव का जोखिम क्या भाजपा मोल लेगी.. राजधानी भोपाल का प्रतिनिधित्व करने वाले विश्वास सारंग से युवाओं की अपेक्षा खासतौर से उनके अपने विधानसभा क्षेत्र के अंदर और बाहर की आखिर कैसे पूरी होगी.. पांच राज्यों के चुनाव को लेकर आने वाले समय में मध्य प्रदेश के मंत्रियों विधायकों और सांसदों के साथ संगठन के नेताओं को भी अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की मौजूदगी में होने वाली महत्वपूर्ण बैठक के बाद पार्टी टिकट चयन की प्रक्रिया के क्राइटेरिया और जीत के फार्मूला को अंतिम रूप दे सकती है.. जिला स्तर पर नगरीय निकाय चुनाव को लेकर बनाए गए प्रभारी खासतौर से नगर निगम की जिम्मेदारी सौंपे जाने के साथ ही अब चुनाव साले जाने की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई है.. चाहे फिर कोरोना वैक्सीन की नई मुहिम और परीक्षाओं का कार्यक्रम ही क्यों न हो.. तो सवाल क्या नगर सरकार के चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा जल्द ही जिलों का प्रभार अपने मंत्रियों को सौंप देगी.. सवाल अभी तक प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और उनके दो सह प्रभारी के प्रदेश स्तर के दौरे शुरू नहीं हुए हैं। बड़ा सवाल क्या संगठन महामंत्री सुहास भगत की असम में प्रभावी मौजूदगी के बाद क्या सह संगठन महामंत्री हितानंद किस जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही बढ़ जाएगी.. या फिर सुहास भगत से लेकर कैलाश विजयवर्गीय प्रहलाद पटेल नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा जैसे प्रदेश के बड़े नेता समय निकालकर इन चुनाव का हिस्सा बने रहेंगे.. तो क्या शिवराज और विष्णु दत्त की भाजपा उपचुनाव में जीत के साथ अपनी सरकार स्थिर हो जाने के बाद जीत को लेकर आश्वस्त है या फिर वह जोखिम मोल लेने का मानस बना.. सवाल कमलनाथ कांग्रेस की जमावट के बीच जब दिग्विजय सिंह गैर राजनीतिक मंच के जरिए किसान महापंचायत कि सफलता सुनिश्चित करने में जुड़ चुके हैं तो क्या किसान नगरीय निकाय चुनाव में दूसरे राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी बड़ा मुद्दा बनेगा।
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