भोपाल। जी हाँ भोपाल मे मंत्रालय के ‘सतपुड़ा की सात मंिजला इमारत में सोमवार को लगी आग अनेक कारणों से गिनीज़ बुक ऑफ रेकॉर्ड में दर्ज की जाएगी ! पहला कारण तो यह है कि इतनी बड़ी सरकारी इमारत में अग्नि शमन के आवश्यक इंतेजाम नहीं थे जो बहुमंजिला भवनों के लिए कानूनी रूप से जरूरी है ! यानि कि स्प्रिंकलर और आग लगने पर आपातकालीन निकलने की व्यवस्था। जो सरकार टाउन अँड कंट्री प्लानिंग के नियमों के अनुसार नहीं बने भवनों को जमीदोज़ करने के लिए बुल्ल्डोज़र का इस्तेमाल करे वह खुद की इमारतों में मनमाने ढंग से निर्माण करती है ! यह है सरकार का रवैया !
दूसरा कारण इस अग्निकांड का महत्वपूर्ण है वह है कि आग से बचाव के लिए हर शहर में एक फायर फाइटिंग विभाग होता हैं। वस्तुतः यह नगर महापालिका के अधीन होता हैं। राजधानी में भी है। परंतु इस विभाग के भरी भरकम अमले और उसकी मशीनरी की कलाई इस अग्निकांड में खुल गयी जब उसकी करोड़ों रुपए की ट्रक जिस पर बीस मीटर की सीढ़ी खुल ही नहीं पायी ! और अफसरान खुले मुंह देखते रहे!
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण मामला है घटना के समय भोपाल नगर निगम के अग्निशमन विभाग के लोग स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग द्वारा आयोजित शिव पुराण की कथा में आए लाखों श्रद्धालुओं को पानी पिलाने में मशगूल थे ! अब नौतपे की भद्द गर्मी में आगजनी की घटनाओं की आशंका को दरकिनार कर नगर निगम पुण्य कमाने में जोत दिया गया था। फिर क्या – जो होना था वही हुआ – बद इंतजामी !
चौथा और सबसे महत्वपूर्ण मामला है कि जब यह घटना हुई तब हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने तुरंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तथा वायु सेना की मदद के लिए राजनाथ सिंह को फोन से संपर्क किया ! अब इस आग को राष्ट्रीय आपदा ना कहे तो क्या कहंे ! अरे भाई नगर में इमारत में लगी आग को स्थानीय इंतेजामों से ही बुझाया जाएगा कोई दिल्ली से फायर फाइटिंग के लिए एनडीआरएफ़ की टीम थोड़े ही आएगी ! फिर क्यूं मुख्यमंत्री ने यह अनोखा प्रयास किया ?
वैसे सोमवार को लगी आग मंगलवार को भी सुलगती रही, चौथी मंजिल के एयर कंडीशनरों से आग की लपटे देखी गयी, पर काबू पा लिया गया। अब आते है कि क्यूं विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के तुरंत बाद ऐसी घटना कैसे हो गयी? गौरतलब है कि देवेन्द्र फड़नवीस जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे – और उन्हें एहसास हो गया था कि उनकी पार्टी चुनाव हार रही है तब भी मुंबई के मंत्रालय भवन में आग लगी थी ! है न अजीब संयोग! अब देखने की बात है कि कितनी फाइलें और किन किन विभागों की भस्मीभूत हुई ! सूचना के अनुसार तीसरे -चौथी और पाँचवी तथा छठी मंजिलों में स्वास्थ्य विभाग औए आदिम जाति कल्याण विभाग के दफ्तर थे। जिनकी फाइलें जल गयी। कहा जा रहा है कि सबसे ज्यादा घपले स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले के है, एक अनुमान के अनुसार 150 मामले ऐसे है जिनमंे भ्रष्टाचार की जांच चल रही थी। 65 मामले ईओडब्लू और लोकयुक्त के थे। अब उनमें कभी जांच नहीं हो सकेगी !
कुछ जलते सवाल !
मुख्यमंत्री को एक आगजनी के मामले में केंद्र से या कहे अपने सर्वोच्च नेत्रत्व को सूचित करने अथवा मदद मांगने के क्या कारण थे ?
वायु सेना कभी भी नागरिक क्षेत्रों में वायुयान अथवा हेलीकाप्टर से आग बुझाने का काम नहीं करती है, कम से कम मेरी याद में तो ऐसा कोई मामला नहीं आया है। केंद्रीय मदद प्राकृतिक आपदाओं अथवा बड़ी दुर्घटनाओं जैसे बालासोर की रेल्वे दुर्घटना अथवा मौजूदा तूफान के मामलों में ही अकतीव होती है वह किसी भवन में आग लगने में नहीं आती है।
तब क्या विरोधियों के इस आरोप में दम है कि वर्तमान सरकार अपने अनियमित और भ्रष्ट कार्यो के सबूतों को मिटा रही थी! वक्त ेेेबताएगा।