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टाइगर बोला हम ‘दो’ हमारे निशाने पर वो ‘दो’..

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टाइगर बोला हम ‘दो’ हमारे निशाने पर वो ‘दो’..
शिवराज कैबिनेट का विस्तार आखिर हो ही गया वह भी तब जब सरकार अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने का जश्न मनाने जा रही है.. उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए आयोजित इस वर्चुअल रैली में शिवराज, विष्णु दत्त ,प्रहलाद पटेल के साथ ज्योतिरादित्य भी उपचुनाव वाली 24 विधानसभा क्षेत्रों के साथ प्रदेश की सभी 230 सीट के कार्यकर्ता और जनता से रूबरू होंगे.. इस रैली के जरिए शिवराज सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचा कर भाजपा उपचुनाव के लिए माहौल बनाएगी तो नजर ज्योतिरादित्य पर भी रहेगी जो पिछले दिनों जेपी नड्डा के साथ दिल्ली के मंच पर नजर आए थे। लेकिन पहली बार जहां उन्हें उपचुनाव का सामना करना उस मध्य प्रदेश के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.. इस रैली के ठीक 1 दिन पहले शिवराज के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक बार फिर केमिस्ट्री मजबूत नजर आई। वह बात और है मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों के वर्चस्व और भाजपा के पुराने वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी चर्चा का विषय बनी रही.. सिंधिया ने 90 दिन बाद न सिर्फ चुप्पी तोड़ी जिन्होंने सीधे बिना लाग लपेट के कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी को निशाने पर लिया .. लगे हाथ स्पष्ट कर दिया विस्तार से बात वो वर्चुअल रैली के दौरान करेंगे.. फिर भी सिंधिया अपने चिर परिचित अंदाज में ही नजर आए .. कांग्रेस में रहते मंच और सहयोगी नेता और कार्यकर्ता भले ही बदल गए ..लेकिन उनके तेवर जब वह अपने विरोधियों को निशाने पर लेते ... काफी हद तक वही अंदाज देखा गया लेकिन गोल पोस्ट बदल चुका था.. किसी व्यक्ति विशेष का नाम लेकर आरोप लगाने से बचते रहे सिंधिया ने खुलकर कांग्रेस की उस जोड़ी को सामने रखकर अपनी बात कही .. जिन्होंने पिछले 3 माह में उन्हें पानी पी पीकर कोसा.. यूं तो उन्होंने भाजपा में रम जाने यही भविष्य की राजनीति करने और बड़े लक्ष्य को लेकर काम करने का संकल्प लिया। तो एक साथ कई सियासी संदेश पहुंचाने में कोई कोताही भी नहीं बरती .. कैबिनेट विस्तार कार्यक्रम के दौरान उनकी भाव भंगिमाऐं यदि उनके आत्मविश्वास को दर्शा रही थी तो यह भी जता रही थी.. कि भाजपा से जुड़ने का उनका फैसला सही साबित हुआ .. मुख्यमंत्री शिवराज के साथ उपचुनाव पर केंद्रित बैठक जिसमें मंत्री विधायक भी शामिल हुए यह बताने के लिए काफी था कि विकास के एजेंडे पर पर चुनाव भाजपा लड़ेगी.. तो इस लक्ष्य को वो प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के नेतृत्व में शिवराज और ज्योतिरादित्य मिलकर हासिल करेंगे.. मंत्रिमंडल में कुछ वरिष्ठ जनों की नाराजगी और दूसरे संतुलन से जुड़े सवालों को यह कहकर सिंधिया ने बड़ा संदेश दे दिया कि जो कुछ सामने आया वह भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को भरोसे में लेकर ही लिया गया.. यानी किसने क्या खोया क्या पाया और किसकी क्या अपेक्षा अब इससे आगे बढ़कर चुनाव में जाना होगा। विवादित मुद्दों से दूरी बनाकर सिंधिया ने जब भी मंच और मौका मिला तब खासतौर से कार्यकर्ताओं से मुखातिब होकर आक्रामक अंदाज और चेतावनी भरे लहजे में कांग्रेस की उस जोड़ी को आगाह कर सावधान किया ..जिसे वह अंदर से बहुत अच्छी तरह जानते हैं.. महाराज का जोश ए जुनून देखने लायक था ..जिन्होंने बिना लाग लपेट के सीधा हमला नाम ले कर बोला.. बल्कि अपने ऊपर किए गए हम लोगों की याद दिलाते हुए पलटवार के साथ सीधी चुनौती दे डाली ..आ देखें जरा किसमें कितना है दम.. भाजपा पार्टी फोरम और मीडिया से चर्चा के दौरान कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का नाम लेकर संदेश पहुंचा दिया कि टाइगर अभी जिंदा है.. इस लाइन को ज्योतिरादित्य ने प्रदेश भाजपा दफ्तर में भाजपा की सदस्यता लेने आए अपने समर्थकों से मुखातिब होकर भी दोहराया। जब ज्योतिरादित्य कांग्रेस की जोड़ी पर निशाना साध रहे थे तब मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा तालियां बजाने को मजबूर हुए.. जब शिवराज सिंह चौहान ने ज्योतिरादित्य की इस लाइन को और आक्रमक अंदाज में आगे बढ़ाया तब इसी मंच पर मौजूद ज्योतिरादित्य और वीडी शर्मा चेहरे पर अपनी खुशी के बीच हंसी भी नहीं रोक पाए.. इनके चेहरे पर मास्क लेकिन मुस्कान और काफी हद तक खिलखिलाहट छुपाए नहीं छुप रही थी.. शिवराज ने जो समा बांधा उससे लगा कि सिंधिया को अब पूरी तरह से यह भरोसा हो गया कि मंत्रिमंडल विस्तार में अंदर खाने कोई मतभेद नहीं रह गए। जो विवाद होंगे भी उसे पार्टी सुलझा लेगी.. सिंधिया संतुष्ट नजर आए कि भाजपा और उसके नेता उस बड़े लक्ष्य को लेकर संजीदा और गंभीर जिसके लिए उपचुनाव बड़ी चुनौती के तौर पर सामने हैं ..अपने उद्बोधन में मोदी, शाह, नड्डा ,शिवराज विष्णु दत्त के योगदान की याद दिलाते हुए बीजेपी के पथ पर आगे बढ़ने का संकल्प ज्योतिरादित्य ने लिया.. सिंधिया ने यदि अपने समर्थक कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के हवाले कर उन पर वरद हस्त बनाए रखने के साथ उनके सम्मान की लड़ाई आगे लड़ने का आग्रह किया.. तो शिवराज ने इस्तीफा देने वाले विधायक के इस फैसले को त्याग से जोड़ प्रणाम कर रिश्तो को भावनात्मक तौर पर मजबूत किया.. ज्योतिरादित्य ने इशारों इशारों में नेता से ज्यादा संगठन उसके कार्यकर्ता के महत्व को रेखांकित कर कहीं ना कहीं उपचुनाव में एकजुटता की आवश्यकता जताई.. भाजपा से हाल ही में सांसद बने सिंधिया ने शिवराज और विष्णु दत्त की जोड़ी को भरोसे में लेकर पार्टी को प्रदेश और देश में मजबूत बनाने में जिस तरह जोर दिया वह गौर करने लायक था। कोरोना काल की अपनी मजबूरी का हवाला देकर जिस तरह चिंतन मंथन कर भाजपा को समझने की कोशिश का उन्होंने खुलासा किया उसे यह समझा जा सकता है.. कभी कांग्रेस में जिस नेता विशेष के गुट को लेकर वो राजनीति करते रहे अब भाजपा में सब कुछ वह संगठन और कार्यकर्ता की दम पर ही कर आगे बढ़ेंगे ..यह कार्यक्रम भाजपा की सदस्यता लेने वाले उन कार्यकर्ताओं पर केंद्रित था जो 30 से 40 साल कांग्रेस में बिताने के बाद महाराज के साथ भाजपा में चले आए.. शायद इस बदलते रिश्ते और नई अपेक्षाओं को यदि सिंधिया ने शिवराज और विष्णु दत्त से अवगत कराया.. तो मुख्यमंत्री शिवराज ने भरोसा दिलाया कि जो अपना कैरियर दांव पर लगा कर आए .. उन्हें निराश नहीं किया जाएगा.. शिवराज ने स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया यह सरकार तभी बनी जब सत्ता को ठोकर मार कर पद की परवाह न करते हुए नेता और कार्यकर्ता प्रदेश के विकास और सिद्धांतों की खातिर भाजपा से जुड़े। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर ताबड़तोड़ हमले बोले चाहे फिर बल्लभ भवन को दलालों का अड्डा बना देने का आरोप हो या फिर उनकी सरकार की योजनाओं को बंद कर देने का शिवराज ने इनकम टैक्स छापे की याद ताजा कर कुछ नया संदेश जरूर देने की कोशिश की.. सवाल खड़ा होना लाजमी है.. अपनी 100 दिन की सरकार की उपलब्धियों के साथ क्या 15 माह की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को उपचुनाव में भाजपा बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है.. यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवराज और ज्योतिरादित्य ने एक दूसरे की पीठ थपथपाई.. दोनों ने सड़क की लड़ाई और चुनावी मैदान में आने के लिए कांग्रेस को कहकर ललकारा .. शिवराज तो यह भी कह गए कि यदि कोरोना नही होता तो अभी तक भोपाल से लेकर मुरैना तक हम दोनों धूम मचा चुके होते.. मुख्यमंत्री चौहान ने कमलनाथ को दिग्गी राजा से सावधान रहने की सलाह दी तो उन्हें नहीं समझ पाने पर खूब चुटकी ली.. दोनों के निशाने पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह बने रहे ..दोनों ने नरेंद्र मोदी अमित शाह जेपी नड्डा की तारीफ में कोई कसर नहीं छोड़ी। शिवराज कैबिनेट के विस्तार के साथ राजभवन से लेकर बल्लभ भवन मुख्यमंत्री निवास और प्रदेश भाजपा कार्यालय में संवाद विचार-विमर्श और बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा...मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत लेकर आया शिवराज कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित विस्तार जिसमें ग्वालियर चंबल क्षेत्र का वर्चस्व और ज्योतिरादित्य समर्थकों का दबदबा तो भाजपा के अंदर असंतुष्ट नाराजगी शिकवा शिकायत छुपाए नहीं छुप सकी.. चाहे फिर वह पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की चिट्ठी और उठाए गए सवाल के साथ मंत्री नहीं बन पाए कुछ नेताओं की कसक .. से लेकर मंदसौर तक छुटपुट विरोध प्रदर्शन… जातीय, क्षेत्रीय, राजनीतिक संतुलन के साथ कई जिलों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलना दिन भर चर्चा का विषय बना रहा। व्यक्तिगत तौर पर शिवराज समेत दिल्ली में दखल रखने वाले भाजपा के दूसरे दिग्गज नेताओं के समर्थकों की अनदेखी को लेकर भी बहस होती रही ..बावजूद इसके जिम्मेदार पदों पर रह चुके जिसमें पूर्व मंत्री शामिल किसी ने खुलकर पार्टी नेतृत्व को सवालों के घेरे में नहीं लिया .. वह भी तब जब पुरानी पीढ़ी के शिवराज के कई भरोसेमंद नेता मंत्री बनते बनते रह गए ..तो सिंधिया खेमे से अप्रत्याशित तौर पर कई दूसरे विधायकों की भी लाटरी खुल गई.. कुल मिलाकर मंत्रिमंडल विस्तार के साथ शिवराज और ज्योतिरादित्य की नई जोड़ी उभर कर सामने आई.. जिसने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी को चुनौती देकर उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया।
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