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अबकी बार दो 'राज'दारों की सरकार..

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अबकी बार दो 'राज'दारों की सरकार..
आखिर वह दिन आ ही गया जब गुरुवार को शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के साथ कैबिनेट के नए चेहरे सामने आएंगे, जिसको लेकर दिल्ली से लेकर भोपाल तक बैठकों का लंबा सिलसिला चला मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भाजपा नेतृत्व में जिन्हें मंत्री नहीं बनाया जा रहा उन्हें भरोसे में लेकर चर्चा की। देर रात तक मंत्री पद के दावेदारों की सूची को पार्टी द्वारा सार्वजनिक नहीं किया गया इस बीच कयासों का दौर चलता रहा.. शुक्रवार को शिवराज सरकार के 100 दिन पूरा होने पर भाजपा द्वारा मनाए जा रहे जश्न में कैबिनेट के साथ उसके नवनिर्वाचित सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल होंगे ..इस जश्न से पहले शिवराज कैबिनेट का विस्तार होने जा रहा जिस पर पिछले 3 माह से सस्पेंस बना हुआ था। राष्ट्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक चिंतन मंथन विचार विमर्श का यह दौर पिछले कई दिनों से चल रहा है .. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष जैसे दिग्गज शामिल हो चुके हैं.. किसी सरकार और उसके मुख्यमंत्री के लिए विस्तार को लेकर लंबी कवायद से समझा जा सकता है कि चुनौतियों की कमी नहीं है.. कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के बाद अस्तित्व में आई शिवराज सरकार के लिए जितनी बड़ी समस्या कोरोना से निपटना तो उससे भी बड़ी समस्या अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार साबित हुआ ..इस विस्तार में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को न सिर्फ हस्तक्षेप करना पड़ा बल्कि आम राय और सहमति बनाने के साथ सूची को अंतिम रूप दिया गया। उसे इंप्लीमेंट करने के लिए बंद लिफाफे के साथ प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को भोपाल भेजा गया.. ज्योतिरादित्य का सीधे शपथ समारोह के समय भोपाल पहुंचकर उसमें शामिल होना यानि सिंधिया फैक्टर को लेकर दिल्ली में ही राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच इस पटकथा की इबारत लिख दी गई थी.. उन पन्नों में इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों में से कौन मंत्री बनेगा यह पहले ही तय हो चुका है ..यह भी माना जा सकता है कि विभाग वितरण का काम भी पूरा किया जा चुका है... प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे की भोपाल पहुंच कर मुख्यमंत्री शिवराज प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत से विचार विमर्श के बाद जो संदेश मंत्री पद के दावेदारों तक भेजे गए ..उससे भी यही संदेश निकल कर आया की फैसला सहमति और समन्वय के आधार पर लिया जा चुका है ...बस इसे लागू किस तरह और कैसे कराया जाए इस पर भोपाल में अंतिम दौर की चर्चा हुई। दिन भर मेल मुलाकात के साथ अंतिम सूची का इंतजार मीडिया के साथ मंत्री पद के दावेदारों को भी रहा लेकिन सिंधिया खेमे के मंत्रियों तक ही खबर पहुंची .. इस खेमे में उत्साह साफ नजर आया ...जबकि भाजपा में जिम्मेदार नेता कुछ भी कहने से कतराते रहे .. सिंधिया खेमे के दो मंत्री पहले ही शपथ ले चुके हैं ..तो 10 अतिरिक्त मंत्री उनके खाते में जा सकते हैं.. जिसमें इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के दूसरे विधायक बिसाहूलाल सिंह एंदल सिंह कंसाना ,हरदीप सिंह डंग रणवीर जाटव के नाम पक्के तौर पर शामिल है ..ओ पी एस भदोरिया जैसा नाम भी चर्चा में रहा.. इसके अलावा भाजपा के तीन मंत्री पहले ही शपथ ले चुके हैं ..और उसके करीब डेढ़ दर्जन मंत्री शामिल किए जा सकती ..यानी यह संख्या बढ़कर भाजपा की 18 तक पहुंच सकती है। इनमें जिनके नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी उनमें नेता प्रतिपक्ष रह चुके वरिष्ठ गोपाल भार्गव को अध्यक्ष या फिर मंत्री बनाया जाना है। तो भूपेंद्र सिंह, विश्वास सारंग ,संजय पाठक के अलावा प्रमुख दावेदारों में जगदीश देवड़ा, अरविन्द भदोरिया, मोहन यादव, चेतन कश्यप ,रामकिशोर कावरे ,प्रेम सिंह पटेल, रामखेलावन सिंह पटेल पर अंतिम सहमति बनाने के प्रयास जारी रहे.. राजेन्द्र शुक्ल और विजय शाह को लेकर भी अंतिम फैसला सुनाया जाना बाकी है.. लाइन में यशपाल सिसोदिया से लेकर रमेश मेंदोला ,उषा ठाकुर भी है ..जिन पूर्व मंत्रियों पर सहमति नहीं बनी उनमें पारस जैन, रामपाल सिंह, गौरीशंकर बिसेन ,सुरेंद्र पटवा, जालम सिंह पटेल के नाम प्रमुख माने जाते.. कुल मिलाकर सिंधिया खेमे के 10 नए तो शपथ लेने वाले भाजपा के मूल नेता की संख्या 15 कब पहुंच सकती है. यानी संदेश साफ है यह दो 'राज'दारों की सरकार होगी.. दिल्ली में दखल रखने वाले कई केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के लिए अपने समर्थकों को एडजस्ट करवाना आसान नहीं होगा। एक शिवराज जो मुख्यमंत्री के तौर पर नेतृत्व कर रहे तो दूसरे महाराज जो सांसद बन चुके और जिन्हें मानसून सत्र से पहले केंद्रीय मंत्री बनाया जाना लगभग पक्का है.. उनकी दिलचस्पी अपने समर्थक मंत्रियों के माध्यम से मध्यप्रदेश में बनी रहेगी.. जिन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना वो इस्तीफा दे चुके सिंधिया समर्थक को दोबारा विधानसभा में पहुंचाने के लिए शिवराज और ज्योतिरादित्य की जोड़ी इस चुनाव प्रचार का मुख्य आकर्षण बनने वाली है.. दोनों मंत्रिमंडल विस्तार के साथ 22 विधानसभा क्षेत्रों के विकास के एजेंडे को अंतिम रूप देने जा रहे हैं.. मंत्रिमंडल विस्तार के साथ यह भी तय हो जाएगा कि ऑपरेशन लोटस के पहले चरण में भाजपा के संपर्क में आने वाले सपा बसपा निर्दलीय विधायकों में से आखिर कौन कब मंत्रिमंडल का हिस्सा बनेगा। जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया था.. कैबिनेट विस्तार के अंतिम और निर्णायक चरण में हमेशा भोपाल में सही समय पर सक्रिय रहने वाले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की गैरमौजूदगी भी चर्चा का विषय बनी रही जिन्हें ऑपरेशन लोटस पार्ट वन का सूत्रधार माना जाता.. देखना दिलचस्प होगा शिवराज कैबिनेट के इस विस्तार के बाद भाजपा का डैमेज कंट्रोल रंग लाता है या फिर उसके लिए यह कमजोर कड़ी साबित होगा और कांग्रेस इसका फायदा उठाएगी तो कैसे.. कुल मिलाकर 15 साल पूर्व में जिस भाजपा की सरकार रही पर डेढ़ साल बाद किए गए तीन माह पुरानी शिवराज के कैबिनेट विस्तार से जब आगे बढ़ेगी तो उनके साथ कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की भविष्य की भाजपा में आखिर क्या भूमिका होगी। कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के बाद पहले ही मध्य प्रदेश की राजनीति में इतिहास लिखा जा चुका है अब शिव सरकार चला कर दिखाना ही नहीं बल्कि शिवराज और महाराज के लिए कमलनाथ सरकार के मुकाबले ज्यादा बेहतर और स्थाई सरकार देने की चुनौती होगी.. भाजपा के लिए इसके अलावा नई चुनौती प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की नई टीम के गठन के साथ आने वाली है तब खड़ा जरूर होगा कि सत्ता में दखल और रसूख को रेखांकित कर चुके ज्योतिरादित्य के समर्थकों की आखिर इस संगठन में क्या जगह होगी।
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