
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार की सुबह यह कहकर कि मंथन होने पर अमृत निकलता है, विष शिव पी जाते हैं। कई प्रकार के कयासों को जन्म दे गया। ऐसे कौन से शिवराज सिंह के प्रिय नाम थे जो मंत्रिमंडल में नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि शाम तक जो खबरें आ रही थी उनमें लगभग वे नाम शामिल है जिन्हें शिवराज सिंह चाह रहे थे।
दरअसल मंत्रिमंडल विस्तार करने के लिए जितना अधिक समय लिया गया है उतने ही अधिक विवाद भी साथ में हो लिए। पार्टी की योजना जहां अधिकतम युवा एवं नए चेहरों को शामिल करने की थी,
वहीं परिस्थितियां वरिष्ठ एवं अनुभवी मंत्रिमंडल की बन गई है। यही कारण है मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विवादों का पटाक्षेप कितना हो पायेगा, कहां नहीं जा सकता। संगठन में पीढ़ी परिवर्तन करना आसान था लेकिन सरकार में यह काम करना उतना ही मुश्किल है क्योंकि मंत्री बनने वालों में कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने कड़ी मेहनत करके अपना मजबूत आधार बनाया हुआ है और उनकी उपेक्षा करना एक तरह से अन्याय करना है।
बहरहाल, बुधवार को कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में आनंदी पटेल ने शपथ ले ली है और आज 11:00 बजे मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। देर शाम तक मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच लंबी बैठक चली जिसमें एक-एक नाम पर गंभीरता से विचार किया गया और एक-एक करके फोन पर मंत्री बनने वाले विधायकों को सूचित किया गया कि वे राजधानी भोपाल पहुंचे। सबसे पहले कांग्रेस से आए उन पूर्व विधायकों को सूचना दी गई जिनका मंत्री बनना बहुत पहले से तय था। बाद में भाजपा के वरिष्ठ विधायकों को सूचित किया गया।
हालांकि कुछ ऐसे विधायकों से भी भोपाल में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है जिनका नाम मंत्रिमंडल की सूची में फिलहाल नहीं है लेकिन ऐन वक्त पर यदि कोई परिवर्तन होता है तो वे भोपाल में उपस्थित रहे। सीएम हाउस में चली बैठक के दौरान जिन वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जा रहा है उनको समझाने का काम भी किया गया। आज के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद शीघ्र ही प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी कर लिया जाएगा जिसमें मंत्री न बन पाने वाले कुछ वरिष्ठ विधायकों को प्रदेश पदाधिकारी बनाया जाएगा।
देर शाम तक एक-एक करके वरिष्ठ विधायकों को सीएम हाउस में बुलाया गया और उन्हें समझाइश दी गई।
जिस तरह से सोशल मीडिया में अलग-अलग मंत्रिमंडल की सूचियां चल रही है, उस लिहाज से अंतिम स्थिति शपथ लेने पर ही स्पष्ट हो पाएगी। पिछले कुछ मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान भी एन वक्त पर नाम काटे एवं जोड़े गए थे। ऐसा ही कुछ परिदृश्य इस बार भी बन रहा है। पार्टी किसी भी प्रकार की बगावत को रोकने का हर संभव प्रयास कर रही है क्योंकि पार्टी नहीं चाहती मंत्रिमंडल के गठन के बाद कांग्रेस सरकार में जिस तरह से लगातार असंतोष पनपा वैसी स्थिति भाजपा सरकार में बने।
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार को लंबे समय तक टालकर धीरे -धीरे परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाया एवं जिस तरह से पहले पांच मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में अपनों को नहीं देख पा रहे थे आज के मंत्रिमंडल के विस्तार में उनके अपने शपथ करते हुए दिखेंगे। हालांकि वे सभी नाम फिर भी शामिल नहीं हो सके जिनके लिए उन्होंने लंबे समय तक जोड़ तोड़ की। इस मंत्रिमंडल विस्तार में सत्ता और संगठन का समन्वय भी दिखेगा और शिवराज में कितना विष पिया यह भी दिखेगा।