मध्य प्रदेश

आवभगत से अचंभित आदिवासी

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आवभगत से अचंभित आदिवासी
भोपाल। प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरा देश 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा और प्रदेश में तो प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूरी पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस एवं जयस संगठन भी 15 नवंबर को अपने-अपने ढंग से आदिवासियों की आवभगत करने और आत्मीयता दिखाने आतुर है। शायद आदिवासी भाइयों को इतने आदर सत्कार की आदत नहीं है इसी कारण पूरा समाज अचंभित भी है गौरवान्वित भी है और सुनहरे भविष्य के लिए उत्साहित भी है। दरअसल, प्रदेश और देश की राजनीति में कब कौन केंद्र में आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता जैसा कि इस समय प्रदेश और देश की राजनीति का फोकस आदिवासी वर्ग पर बना हुआ है। 15 नवंबर को जहां प्रदेश में जनजातीय गौरव दिवस का भव्य आयोजन हो रहा है। जिसमें विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच रहे हैं। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी सरकार और भाजपा संगठन दिन रात एक किए हुए हैं। शायद ही कभी किसी कार्यक्रम को इतनी शिद्दत के साथ तैयारियां की गई। हो भले ही सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही हो लेकिन इस कार्यक्रम के लिए बजट की कोई कमी नहीं है। भगवान बिरसा मुंडा के होल्डिंग्स से राजधानी भोपाल पाट दिया गया है।  अखबारों में भी फुल पेज के फीचर छप रहे हैं। सत्ताधारी दल भाजपा की इन तैयारियों को देखकर विपक्षी दल कांग्रेस और आदिवासियों का संगठन जयस भी सक्रिय हो गया है और भले ही सत्ताधारी दल जैसे साधन और संसाधन उपलब्ध ना हो लेकिन अपनी हैसियत दिखाने के लिए जी तोड़ कोशिशें की जा रही है और पूरी तरह से आदिवासी समाज भगवा रंग में ना रंग जाए के लिए विपक्षी दल कांग्रेस जहां 15 नवंबर को जबलपुर में जनजातीय सम्मेलन करने जा रही है। जिसमें पार्टी महाकौशल के आदिवासियों को विशेष रूप से आमंत्रित कर रही है आदिवासियों के बीच पार्टी अपनी पेठ 2018 के चुनाव की तरह 2023 के चुनाव में बनाए रखना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस ने 6 अगस्त को बड़वानी में और 18 सितंबर को राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह के शहीदी दिवस पर जबलपुर में आयोजन किया था जबकि सत्ताधारी दल भाजपा ने इसी दिन जबलपुर में आदिवासियों का बहुत बड़ा सम्मेलन किया था जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विशेष रूप से आए थे और 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी भोपाल में इस कार्यक्रम में आ रहे हैं। दो प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा आदिवासियों के बीच काम करने वाला जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन जयस 15 नवंबर को शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर सम्मेलन करने जा रहा है। जिसके दो बड़े आयोजन बेतूल और जबलपुर में होंगे। इसके अलावा धार जिले में बिरसा मुंडा की प्रतिमा का लोकार्पण भी किया। जाएगा। बहरहाल जनजातीय गौरव दिवस पर देश का सबसे बड़ा आयोजन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में होने जा रहा है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष रुप से आ रहे हैं और सत्ताधारी दल भाजपा ने इस आयोजन के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। जिस तरह की तैयारी हो रही है उसे देख कर आदिवासी समाज अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर सकता है क्योंकि सरकार और संगठन क्या-क्या अधिकतम हो सकता है। उस पर पूरी शक्ति से काम कर रही है यहां तक कि अब तक हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर किए जाने की चर्चा थी लेकिन अब गौड रानी कमलापति के नाम पर किए जाने की उसे सो रही है। मध्य प्रदेश परिवहन विभाग की सचिव वंदना शर्मा ने शुक्रवार को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा है और उसमें कहा गया है कि भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती दिनांक 15 नवंबर को भारत सरकार द्वारा जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया है। 16 मी सदी मैं भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था ऐसा माना जाता है कि उस समय गोंड राजा सूरज सिंह शाह के पुत्र निजामशाही से रानी कमलापति का विवाह हुआ था। रानी कमलापति ने अपने पूरे जीवन काल में अत्यंत बहादुरी और वीरता के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया गोंड रानी कमलापति की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाए रखने एवं उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति स्वरूप 15 नवंबर 2021 को जनजाति गौरव दिवस के उपलक्ष में राज्य शासन द्वारा हबीबगंज रेलवे स्टेशन भोपाल का नामकरण रानी कमलापती रेलवे स्टेशन के रूप में किए जाने का निर्णय लिया गया है अतः हबीबगंज रेलवे स्टेशन भोपाल का नामकरण रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किए जाने के संबंध में अभिलंब कार्यवाही किए जाने का अनुरोध है। Read also राजनीति क्या सचमुच विकल्पहीन यही नहीं जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक पहचान की अक्षुण्णता और स्वाभिमान के साथ प्रगति यात्रा मैं भाजपा सरकारों का कब कब कितना योगदान है। इसको लेकर उल्लेखनीय निर्णय प्रसारित और प्रचारित किए जा रहे हैं। जिसमें जनसंख्या के अनुपात में 21% से अधिक बजट प्रावधान कर के आदिवासियों को योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न गांव के माध्यम से योजनाएं संचालित कर जनजाति वर्ग के हित कार्य को लाभान्वित किया जा रहा है। कुल मिलाकर जनजातीय गौरव दिवस पर आदिवासी समाज के स्वागत और सत्कार में सत्ताधारी दल भाजपा ने राजधानी भोपाल में कोई कसर नहीं छोड़ी है। शायद यही कारण है कि कांग्रेश और जयस ने भी इसी दिन प्रदेश में विभिन्न जगहों पर आयोजन करके पूरी तरह से आदिवासियों के भगवा रंग में रंगे जाने से रोकने की कोशिश की है लेकिन सभी दलों और संगठनों द्वारा जिस तरह से आदिवासियों के प्रति आत्मीयता दिखाई जा रही है और उनके आदर सत्कार में पलक पावडे बिछा जा रहे हैं। उससे यह वर्ग जरूर गौरवान्वित उत्साहित तो महसूस कर ही रहा होगा। अपने सुनहरे भविष्य के लिए भी आशान्वित होगा
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