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तनाव से कैंसर तक में तुलसी उपयोगी!

जरनल ऑफ आर्युवेदा एंड इंटीग्रेटिव मेडीसन्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एंटी-एंग्जॉयटी और एंटी-डिप्रेसेन्ट्स प्रॉपर्टीज से भरपूर तुलसी स्ट्रेस दूर करने में किसी भी मार्डन दवा से कम नहीं। रिसर्च से सामने आया कि फार्माकोलॉजिकल प्रॉपर्टीज के कारण तुलसी का पूरा पौधा एडॉप्टोजेन की तरह काम करता है। एडॉप्टोजेन वह नेचुरल सब्सटेंस हैं जिससे हमारा शरीर- कैमिकल, फिजिकल, इन्फेक्शियस और इमोशनल स्ट्रेस बर्दाश्त करने के साथ दिमागी संतुलन बनाये रखता है।

इन दिनों आप किसी से भी बात करें, सभी को कोई न कोई स्ट्रेस है। बड़ों को कमाई का तो बच्चों को पढ़ाई का। वास्तव में स्ट्रेस ही वो फैक्टर है जिससे शुरूआत होती है सेहत बिगड़ने की। बीपी हो, डॉयबिटीज हो या डिप्रेशन सबकी जड़ में स्ट्रेस। स्ट्रेस बर्दाश्त न कर पाने पर लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं। करोड़ों-अरबों की दवा इंडस्ट्री चलती है स्ट्रेस की वजह से। लेकिन इसका सबसे आसान इलाज है रोजाना एक कप तुलसी की चाय।

जरनल ऑफ आर्युवेदा एंड इंटीग्रेटिव मेडीसन्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एंटी-एंग्जॉयटी और एंटी-डिप्रेसेन्ट्स प्रॉपर्टीज से भरपूर तुलसी स्ट्रेस दूर करने में किसी भी मार्डन दवा से कम नहीं। रिसर्च से सामने आया कि फार्माकोलॉजिकल प्रॉपर्टीज के कारण तुलसी का पूरा पौधा एडॉप्टोजेन की तरह काम करता है। एडॉप्टोजेन वह नेचुरल सब्सटेंस हैं जिससे हमारा शरीर- कैमिकल, फिजिकल, इन्फेक्शियस और इमोशनल स्ट्रेस बर्दाश्त करने के साथ दिमागी संतुलन बनाये रखता है। इससे मेटाबॉलिज्म इम्प्रूव, एजिंग प्रोसेस स्लो, सहनशीलता में बढ़ोत्तरी और भारी माहौल में कम स्ट्रेस महसूस होता है। थकान दूर होने के साथ गहरी नींद, याद्दाश्त बेहतर और सेक्सुअल कमजोरी जैसी समस्यायें ठीक होती हैं।

शोध में शामिल लोगों को रोजाना 500 मिलीग्राम तुलसी एक्सट्रैक्ट दिया गया तो उनमें एंग्जॉयटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन के लक्षण तेजी से घटे और वे ज्यादा सोशल हुए। अगर घर में तुलसी है तो बाजार से तुलसी एक्सट्रैक्ट खरीदने की जरूरत नहीं। इसके स्थान पर तुलसी चाय पियें। चाय में ताजी-सूखी पत्तियां, फूल, डंडियां कुछ भी प्रयोग कर सकते हैं। कैफीन फ्री तुलसी चाय के नियमित सेवन से योगा जैसी शांति मिलती है। थॉट प्रोसेस क्लियर और मेमोरी इम्प्रूव होती है।

खांसी-जुकाम-बुखार के इलाज में तुलसी का प्रयोग जग-जाहिर है, रोग-नाशिनी होने की वजह से हमारे देश में सदियों से लोग तुलसी को पूजते आ रहे हैं, इसका नाम इतने सम्मान से लिया जाता है कि इसे तुलसा जी कहते हैं। और तो और इसे समर्पित तुलसी विवाह के नाम से एक त्योहार तक मनाया जाता है। हमारे चिर-प्राचीन ग्रन्थों में इसे शरीर, दिमाग और आत्मा के लिये टॉनिक माना गया है। इसकी पत्तियां, पुष्प-मंजरी, बीज, तना, जड़ सब अलग-अलग बीमारियां ठीक करने वाली औषधियां हैं।

इसकी एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वॉयरल, एंटी-फंगल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एनालजेसिक प्रॉपर्टीज, इंफेक्शन, सूजन और दर्द दूर करने के साथ तेजी से जख्म हील करती हैं। कई देशों में सर्जरी के बाद जल्दी हीलिंग के लिये तुलसी का प्रयोग होता है।

शोध से सामने आया कि इसके ताजे फूल ब्रोन्काइटिस के इलाज में कारगर हैं। पत्तियों और बीजों का अगर काली-मिर्च के साथ सेवन किया जाये तो मलेरिया ठीक हो जाता है।

जहां तुलसी पाउडर और पिल्स – डाइरिया, नौजिया, वोमटिंग और बुखार ठीक करते हैं वहीं इसका एक्सट्रैक्ट अल्सर और नेत्र रोग में लाभकारी है।

तुलसी से बनी क्रीम मुहांसे, स्कॉर, केलॉइड्स, एक्जिमा और इसका ऑयल इन्सेक्ट बाइट का इफेक्टिव ट्रीटमेंट है।

हाई-एंटीऑक्सीडेंट होने की वजह से ये कार्सिनोजेनिक सेल्स की ग्रोथ रोककर कैंसर से बचाती है। शरीर को डिटॉक्स करने के साथ वातावरण में मौजूद टॉक्सिक एलीमेंट्स से हमारी रक्षा करती है शायद इसीलिये हमारे पूर्वजों ने इसे घर-आंगन और बाग-बगीचों में लगाना शुभ माना।

हाई बीपी और टाइप-2 डॉयबिटीज के मरीजों के लिये तुलसी का नियमित सेवन रामबाण है। यह वजन, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल कम करने के साथ इंसुलिन रजिस्टेंस से छुटकारा दिलाती है। शोध से सामने आया कि 30 दिन रोजाना तुलसी एक्सट्रैक्स लेने से मेटाबॉलिक स्ट्रेस घटा और ब्लड शुगर लेवल में 26.4 प्रतिशत की कमी आयी। अगर कोलेस्ट्रॉल की बात करें तो LDL यानी खराब कोलेस्ट्रॉल कम और HDL यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ा। कोलेस्ट्रॉल में यह कमी ब्लड के साथ किडनी, लीवर और हार्ट सभी जगह हुयी। और ऐसा हुआ तुलसी की पत्तियों में पाये जाने वाले ऑयल यूजीनॉल से।

तुलसी के इन गुणों की वजह से यदि आप डॉयबिटीज कंट्रोल करने की सोच रहे हैं तो पहले डॉक्टर से बात करें। क्योंकि डॉयबिटीज की दवा या इंसुलिन के साथ इसका सेवन, ब्लड शुगर खतरनाक लेवल तक कम कर देता है।

एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण ऑर्थराइट्स के इलाज में तुलसी चाय बहुत लाभकारी है। इससे सूजन और ज्वाइंट पेन कम होता है। दो चम्मच तुलसी पाउडर एक कप उबलते पानी में 5-6 मिनट डालकर रखें और फिर इसका सेवन करें।

अगर पोषक तत्वों की बात करें तो विटामिन A, C, कैल्शियम, जिंक, ऑयरन और क्लोरोफिल से भरपूर तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल कुकिंग में होता है। इससे खाने का पोषण और फ्लेवर दोनों बढ़ते हैं।

मुंह की दुर्गंध और सर्दी-खांसी में राहत के लिये बहुत से लोग तुलसी की पत्तियां चबाकर खाते हैं। शोध से सामने आया कि अगर चबाकर खानी हैं तो पत्तियों की संख्या 5 से अधिक नहीं होनी चाहिये अन्यथा दांत खराब हो जायेंगे।

याद रहे तुलसी एक औषधीय पौधा है, और औषधि का जरूरत से ज्यादा सेवन कभी नहीं करना चाहिये। इससे सेहत सुधरने की बजाय खराब होने लगती है। यही बात लागू होती है तुलसी पर। ज्यादा मात्रा में तुलसी खाने से स्पर्म काउंट घटता है और फर्टीलिटी कम हो जाती है। महिलायें, प्रगेनेन्सी में इसके सेवन से बचें, इससे मिसकैरिज का रिस्क बढ़ता है। इसमें मौजूद अरसोलिक एसिड से मेन्सुरल साइकल डिस्टर्ब हो जाता है।

तुलसी के एक्टिव कम्पाउंड यूजीनॉल की ज्यादा मात्रा नौजिया, डाइरिया और हार्टबीट तेज करने के अलावा लीवर को नुकसान करती है। स्ट्रेस घटाने के लिये ज्यादा मात्रा में तुलसी सेवन का परिणाम ड्राउजीनेस के रूप में सामने आता है।

एक बात और कभी-भी प्रदूषित वातावरण में उगी तुलसी का सेवन न करें। ऐसी जगहों पर उगी तुलसी में टॉक्सिसिटी बढ़ जाती है।

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