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बेकाबू हो रहे कोरोना और कर्मचारी-अधिकारी

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बेकाबू हो रहे कोरोना और कर्मचारी-अधिकारी
दरअसल, इस समय पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के कारण हाहाकार मचा हुआ है। लोगों को जीवन बचाने की पड़ी है इससे बचने के लिए सरकार ने अनेक निर्णय लिए हैं जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। अनेक रियायतें दी है जिससे कि लोग परेशान ना हो लेकिन आज हालात संवेदनशील हो चुके हैं। कुछ अधिकारी और कर्मचारी ऐसे समय में भी गरीबों की जान लेने पर उतारू है। पिछले एक सप्ताह में तीन ऐसी घटनाएं हो गई है जिसमें पुलिस अधिकारी और कर्मचारी बेरहम नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही ये घटनाएं देखकर वैसे ही परेशान आम आदमी और दुखी हो रहा है। बहरहाल, गुना जिले की जगनपुर चक्र कि जिस भूमि पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई और पुलिस की बर्बरता को लेकर दलित परिवार को जहर पीने को मजबूर होना पड़ा। वहीं गुना जिले के महु गढ़ा निवासी धर्मेंद्र बाल्मीकि युवक को अनाज चोरी के शक में ना केवल उसकी पिटाई की वरन तोलिए से गले में फंदा लगाकर उसे मंडी प्रांगण में घसीटा, लेकिन सागर जिले की घटना और भी कष्टदायक है जहां कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव के कहने के बाद भी एक फॉरेस्ट रेंजर ने गरीब आदिवासी पर कोई रहम नहीं किया। रहली क्षेत्र की ग्राम पंचायत बेलई माफी के सरपंच पति मनीराम गौड़ को इतना परेशान किया कि उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई बताया जा रहा है कि रेंजर ने मनीराम का ट्रैक्टर जप्त कर लिया था जिसे छोड़ने के लिए मंत्री गोपाल भार्गव ने रेंजर को फोन किया था, लेकिन इसके बावजूद भी रेंजर लगातार आदिवासी को परेशान करता रहा, जिसके कारण तनाव मनीराम बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसकी हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद परिजन हिलगन तिगड्डा ढाना में चक्काजाम करने पहुंचे। जहां मंत्री गोपाल भार्गव स्वयं आदिवासियों के बीच बैठकर अधिकारियों को फोन लगाया जिसमें मौके पर कलेक्टर एसपी पहुंचे। भार्गव ने वहीं से मुख्यमंत्री चौहान से भी बात की जिससे कि आदिवासी परिवार को आर्थिक सहायता एवं दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कार्रवाई हो सके। कुल मिलाकर प्रदेश में अब लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है अब तक 21000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 700 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले राजधानी भोपाल में ही पिछले तीन दिन से लगातार 150 के आसपास मरीज मिल रहे हैं। अब प्रदेश के कुछ गांव में भी संक्रमित मरीज मिलने लगे हैं। एक तरह से कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है। कोरोना महामारी बेकाबू होती जा रही है। ऐसे में अधिकारी और कर्मचारियों कि गरीबों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई अमानवीय दृश्य दिखा रही है जिससे समाज में तनाव बढ़ रहा है। विभिन्न रिपोर्ट बता चुकी है कि लॉक डाउन के दौरान मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है। व्यापार-व्यवसाय ठप हो गए हैं। कई लोगों की नौकरियां गई है। अनेक परिवारों को भोजन की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा हsै। ऐसे दौर में यदि सरकार ने समय रहते कर्मचारियों और अधिकारियों पर खासकर पुलिसकर्मियों पर वन कर्मियों पर अंकुश नहीं लगाया तो प्रदेश में हालात बेकाबू हो सकते हैं।­
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