लखनऊ। आम आदमी पार्टी यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में दिल्ली में हिट रहे 'फ्री बिजली' की 'यूएसपी' के अलावा भाजपा के हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे को गरमा कर चुनाव की तैयारी में है। इसके अलावा वह शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों के सहारे भी चुनाव मैदान में उतरेगी। इस रणनीति के संकेत पिछले दिनों आप पार्टी द्वारा अयोध्या में निकाली गयी तिरंगा संकल्प यात्रा के बाद से मिले हैं। इस यात्रा में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह लाव लश्कर के साथ शामिल हुए थे। (Arvind Kejriwal AAP Party)
मनीष सिसोदिया ने यूपी में भाजपा सरकार को हटाने के संकल्प के साथ निकाली "तिरंगा संकल्प यात्रा" के समापन पर लोगों को मैसेज देने की कोशिश की कि सिर्फ भाजपा ही हिन्दुत्व की झंडाबरदार नहीं है। मनीष सिसोदिया, यूपी प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह व प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह आदि ने अपनी आस्था का मैसेज देने के लिए मंदिरों में दर्शन किये और साधू संतों का आशीर्वाद लिया।
उत्तरप्रदेश में आप की चुनावी रणनीति का जिम्मा राज्यसभा सांसद संजय सिंह के कंधों पर है। यूपी का प्रभार संभालने के साथ ही संजय सिंह ने राम मंदिर के लिए खरीदी जमीन में घोटाले का मुद्दा उछालकर सियासत को गर्माया था। इसके बाद से वे नमामि गंगे परियोजना में घोटाले और कोरोना में सरकारी अस्पतालों की बदहाली, कोरोना व डेंगू से हो रही मौतों का मुद्दा उठा सियासी हल्कों में "आप" पार्टी की मजबूत चुनौती का अहसास करा चुके है। इससे राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा काफी परेशान दिख रही है। यही कारण है कि विभिन्न जिलों में संजयसिंह पर कई मुकदमे ठोंक दिये गये हैं।
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पार्टी के सूत्रों के अनुसार संजय सिंह पार्टी के अकेले चुनाव मैदान में जाने के साथ ही एक अलग मोर्चा बनाने की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। इस क्रम में वे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिल चुके हैं। इसके अलावा वे सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर से भी गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा कर चुके हैं। संजय सिंह कई मौकों पर कह चुके हैं कि यूपी में भाजपा को हराने के लिए आप एक मजबूत मोर्चा बनाकर चुनाव मैदान में उतरेगी।
आप की 'तिरंगा संकल्प यात्रा' के लिए पिछले दिनों अयोध्या पहुंचे दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आम आदमी पार्टी को अयोध्या के संतों ने आशीर्वाद दे दिया है। रामलला से भी आशीर्वाद मिला है। सिसोदिया के बयान से साफ है कि आप चुनाव में राम मंदिर और हिन्दुत्व के मुद्दे पर पीछे नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश में अरविंद केजरीवाल एक मात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो भगवान राम से प्रेरणा लेकर सरकार चला रहे हैं।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने यात्रा के समापन पर हुई मीटिंग में कार्यकर्ताओं को भगवान राम के आदर्शों पर चलकर राजनीति करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि यूपी में सरकार बनी तो दिल्ली की तरह श्रीराम के आदर्शों का अनुसरण करते हुए अच्छी शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर काम होगा।
इस समय सबसे ज्यादा चर्चा आम आदमी पार्टी के उस वायदे की हो रही है, जिसमें पार्टी ने कहा है कि यदि उनकी सरकार बनती है तो 300 यूनिट तक फ्री बिजली मिलेगी। खासकर मंहगाई से रूबरू महिलाओं में इसकी चर्चा होती हुई है। यूपी में लोग हिसाब लगाने लगे हैं कि यदि ऐसा होता है तो हर महीने उन्हें कितने का फायदा होगा।
कुछ लोगों का मानना है कि दिल्ली में तो उसने बिजली के सहारे सरकार बना ली, पर जाति, धर्म और सम्प्रदाय में बंटे यूपी जैसे राज्य में उसे इससे कितना फायदा होगा, यह आने वाला समय ही बतायेगा। यूपी के राजनीतिक समीक्षकों का मामना है कि दिल्ली और यूपी में फर्क बड़ा है। दिल्ली में फ्री बिजली का वायदा काम कर गया लेकिन यूपी में ये मुद्दा 'मिसफायर' भी कर सकता है। यूपी में उसी पार्टी को चुनाव में वोट मिलते हैं जिसके पास अपना कुछ कैडर वोटरों को बूथ तक लाने का काम करता है। दिल्ली में आप का कैडर तैयार हो गया था जिसका उन्हें लाभ मिला। लेकिन यूपी में अभी ऐसा नहीं है। हालांकि फ्री बिजली जैसे लोक लुभावन वायदों का असर फ्लोटिंग वोटरों पर पड़ता है। लेकिन यूपी जैसे राज्य में जहां लोग जातिगत खेमे में बंटे हैं, फ्लोटिंग वोटरों की संख्या लगभग 10 फीसदी मानी जा सकती है। ऐसे में ये सभी किसी एक पार्टी के साथ हो भी जाएं तब भी वे चुनाव परिणाम को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पायेंगे।
कांग्रेस पार्टी ने 2017 के चुनाव से पहले “कर्जा माफ और बिजली बिल हाफ” का नारा दिया था। राहुल गांधी ने इसे लेकर यूपी में कई पदयात्राएं भी की थीं। लेकिन कांग्रेस यूपी में कोई करिश्मा नहीं कर पायी। राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा खड़ा करने और लगातार भाजपा से संघर्ष करते रहने की छवि बनाने के बावजूद कैडर वोट खो चुकी कांग्रेस को यूपी में सिर्फ उन्हीं सीटों पर जीत मिली, जहां से उसके उम्मीदवारों की अपनी पकड़ मजबूत थी।
यूपी में तीनों मजबूत पार्टियों - भाजपा, सपा और बसपा के पास अपना मजबूत कैडर है। इन पार्टियों के पास कम से कम 20 से 25 फीसदी संख्या के कैडर वोट हैं। इसमें दस फीसदी फ्लोटिंग वोटरों के जुड़ते ही इन पार्टियों के चुनावी समीकरण बदल जाते हैं और पार्टी नंबर एक या दो की लड़ाई में नजर आने लगती है। यानी जिस पार्टी को अपने कैडर के अलावा दस फीसदी फ्लोटिंग वोट अतिरिक्त मिल जाए तो उसकी सरकार बन जाएगी। यूपी में भी फ्री बिजली जैसे मुद्दों से आम आदमी पार्टी कुछ हद तक फ्लोटिंग वोट तो हथिया सकती है। लेकिन कैडर तैयार नहीं होने के कारण वह जीतने लायक समीकरण बना पायेगी, इसमें संदेह है। पर यदि आम आदमी पार्टी सपा या किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लडेगी तो यूपी में भी गुल खिला सकती है।
आप लड़ेगी 'फ्री बिजली' की 'यूएसपी' पर
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