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राजनेताओं व दलों को आयकर से मुक्ति क्यों…?

भारत में अरबपतियों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है, भारत में हमें जो विरासत में प्रजातंत्र मिला है उसका एक प्रमुख नारा सभी के बीच समान कानून, समान नीति और समान व्यवहार शैली है, फिर एक आम आदमी और एक नेता के बीच आयकर को लेकर भेदभाव क्यों? हर महीने अपना खून पसीना बहाकर 25-30 हजार वेतन के रूप में हासिल करने वाले से सख्ती से आयकर वसूला जाता है और यह कर नहीं अदा करने पर जेल भेजने तक की सजा दी जाती है, जबकि राजनेता और उनके राजनीतिक दल द्वारा अवैध तरीके से इकट्ठे किए हुए अरबों की संपत्ति पर सरकार कोई कर वसूल नहीं करती?

इसी कारण आज एक आम नागरिक दिनों दिन गरीब होता जा रहा है और राजनेता व उनके राजनीतिक दल अपार संपत्ति के मालिक? क्या इस भेदभाव पर आज तक किसी ने भी ध्यान दिया? देश में चुनावी सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में इस असमानता पर विशेष टिप्पणी की है, इस रिपोर्ट में देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को अज्ञात स्रोतों से आय, अन्य राष्ट्रीय दलों की आय से 149.86 करोड़ रुपए अधिक है, वहीं तृणमूल कांग्रेस को ऐसे स्रोतों से 528 करोड रुपए मिले।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के साथ राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से 2000 करोड़ से अधिक रुपए मिले। इन सात राष्ट्रीय दलों को जो आय प्राप्त हुई, उनमें 83.41 फ़ीसदी राशि अज्ञात तौर पर चुनावी बांड में हुई बताई गई, जबकि अज्ञात स्रोतों से राजनीतिक दलों को हुई कुल आय का 66.04 फिसदी है। सात राष्ट्रीय दलों भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, भाकपा, माकपा और नेशनल पीपुल्स को 2172 करोड़ मिले। जबकि इन सभी दलों को 1819 करोड़ की आय चुनावी बांड के माध्यम से हुई। जबकि बहुजन समाज पार्टी एकमात्र ऐसा दल है जिसको अज्ञात स्रोतों से एक पैसा भी नहीं मिला।

इस रिपोर्ट में अज्ञात स्रोतों का भी विशेष उल्लेख किया गया है, बताया गया है कि दलों द्वारा वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में आय का स्रोत दिए बिना घोषित आए अज्ञात स्रोतों से प्राप्त आय मानी जाती है। ऐसे अज्ञात स्रोतों में चुनावी बांड, कूपन की बिक्री, राहत कोष, विभिन्न आय, स्वैच्छिक योगदान और बैठकों व मोर्चो से प्राप्त योगदान को शामिल किया जाता है।

रिपोर्ट में विशेष उल्लेख किया गया है कि भाजपा को 1161 करोड़ की आय हुई, जो कुल दलों को प्राप्त आय का 53.45 फ़ीसदी है जबकि दूसरे क्रम पर तृणमूल कांग्रेस की 528 करोड़ की आय बताई गई, जो कुल आय का 24.31 फ़ीसदी है। बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2021-22 के बीच की अवधि में राष्ट्रीय दलों को कुल 17249 करोड़ 45 लाख की राशि विभिन्न स्रोतों से मिली, जबकि इस अवधि में कूपन की बिक्री से कांग्रेस और एनसीपी को संयुक्त आय के रूप में 4398 करोड़ 51 लाख मिले।

यदि हम हमारे प्रदेश के औद्योगिक शहर इंदौर की बात करें तो वहां से 350 से लेकर 500 करोड़ का चंदा राजनीतिक दलों को दिया गया, जिसमें सवा सौ से डेढ़ सौ करोड़ तक की टैक्स चोरी बताई जा रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने एक बार कहा था कि भारत में हर विधायक अपने कैरियर की शुरूआत झूठे आयकर रिटर्न प्रस्तुत कर करता है, राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों की निजी चंदे पर निर्भरता कम करने के लिए सरकारी फंडिंग की दिशा में ठोस और ईमानदार पहल समय की मांग है। किंतु इस महान नेता के इस महत्वपूर्ण सुझाव पर उनके अपने अनुयायियों ने ही आज तक ध्यान नहीं दिया।

अब स्वयं को पाक साफ व जन हितेषी बताने वाली मोदी सरकार को अपने स्वर्गीय नेता के इस सुझाव पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देकर उसे कार्य रूप में परिणत करने पर गंभीर विचार करना चाहिए। और साथ ही आम आदमी और राजनेता के बीच व्याप्त इस गंभीर अंतर को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

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