जब से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है, सुशासन, आधारभूत ढांचे का विकास और नीतिगत सुधार— उत्तरप्रदेश का भाग्य बदलने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इसमें व्यावहारिक नीतियां, धरातल उसका क्रियान्वन, भ्रष्टाचार मुक्त शीर्ष नेतृत्व, कड़े कानून व्यवस्था और निवेशकों की सुरक्षा का प्रभावी प्रबंधन, स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष है।
क्या भारत की प्रगति, बिना उत्तरप्रदेश के विकास के संभव है? जनसंख्या के संदर्भ में विश्व के पांचवे सबसे बड़े देश से अधिक आबादी उत्तरप्रदेश में बसती है। जब भारत का संकल्प वित्तवर्ष 2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है, तो क्या यह कई अर्थों में विशाल राज्य— उत्तरप्रदेश द्वारा निर्याणक छलांग लगाए बिना मुमकिन है? प्रदेश के हालिया घटनाक्रम को देखें और वर्तमान विकास कार्यों, कानून-व्यवस्था के साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति से परिपूर्ण नीतियों का ईमानदार आकलन करें, तो उत्तरप्रदेश का भविष्य उज्जवल लगता है।
गत 12 फरवरी को लखनऊ में तीन दिवसीय ‘उत्तरप्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ (यूपीजीआइएस) संपन्न हुआ। इसमें प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने देश-दुनिया से 33 लाख 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त होने का दावा किया है, जिससे 93 लाख रोजगार का सृजन होने का भी अनुमान है। इसके लिए 19 हजार से अधिक समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए हैं। निवेशकों ने इस बार भी जहां नोएडा, गाजियाबाद से सुसज्जित पश्चिमांचल क्षेत्र में सर्वाधिक रुचि दिखाई है, तो उन्होंने विकास के मामले में दशकों तक पिछड़े रहे पूर्वांचल और बुंदेलखंड में भी क्रमश: 9।54 लाख करोड़ रुपये और 4।28 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव दिया है।
यह सब एकाएक नहीं हुआ है। वर्ष 2017 के बाद उत्तरप्रदेश कई सुखद परिवर्तनों से गुजर रहा है। वर्तमान उत्तरप्रदेश साढ़े 21 लाख करोड़ रुपयों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ देश की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वित्तवर्ष 2015-16 में यह 11 लाख करोड़ करोड़ रुपये, तो वित्तवर्ष 2016-17 में साढ़े 12 लाख करोड़ रुपये थी। यही नहीं, 2016-17 में प्रदेश का निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर एक लाख 56 हजार करोड़ रुपये हो गया है।
जब से प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है, सुशासन, आधारभूत ढांचे का विकास और नीतिगत सुधार— उत्तरप्रदेश का भाग्य बदलने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इसमें व्यावहारिक नीतियां, धरातल उसका क्रियान्वन, भ्रष्टाचार मुक्त शीर्ष नेतृत्व, कड़े कानून व्यवस्था और निवेशकों की सुरक्षा का प्रभावी प्रबंधन, स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष है। मोदी सरकार की ‘रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म’ (‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’) रूपी आर्थिक दृष्टिकोण के अनुरूप, योगी सरकार ने उत्तरप्रदेश को औद्योगिक निवेश का गढ़ बनाने हेतु 25 से अधिक निवेश-आकर्षक नीतियां लागू की हैं, जिनमें पर्यटन, कपड़ा, ‘लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम’ (एमएसएमई), विद्युत वाहन, रक्षा और आईटी-आईटीईएस आदि शामिल हैं।
उत्तरप्रदेश में भारतीय रेलवे का सबसे बड़ा संजाल (लगभग 9,000 किलोमीटर) होने के साथ 13 चालू और निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3,200 किलोमीटर है। यहां अधिकतर राजमार्गों को आपातकालीन स्थिति में भारतीय लड़ाकू जहाजों के परिसचालन हेतु बनाया गया है। उत्तरप्रदेश, देश का ऐसा एकमात्र राज्य है, जहां आने वाले समय में पांच अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे होंगे। क्षेत्रीय संपर्क योजना के अंतर्गत, सात अन्य घरेलू हवाईअड्डे चालू हो चुके हैं, तो आठ निर्माणाधीन है। प्रयागराज और वाराणसी रूपी प्रमुख निर्यात केंद्रों को पश्चिम बंगाल में हल्दिया बंदरगाह से जोड़ने वाला भारत का पहला अंतर्देशीय जलमार्ग भी निर्माणाधीन है।
मोदी सरकार के ‘वोकल फॉर लोकल’ योजना के अनुरूप, 90 लाख से अधिक एमएसएमई, योगी सरकार के समर्थन से उत्तरप्रदेश में सक्रिय हैं। ‘एक जिला, एक उत्पाद’ रूपी केंद्रीय नीति, प्रदेश की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही है। यहां कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और डेयरी क्षेत्र में अपार अवसर उपलब्ध हैं। उत्तरप्रदेश, देश में खाद्यान्नों, दूध और गन्ना का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा कपड़ा उद्योग-प्रधान राज्य है। यहां पर्यटन क्षेत्र भी निवेशकों की प्राथमिकता में है। सरकार आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए रामायण, महाभारत और बौद्ध सर्किट सहित एक दर्जन योजनाओं को विकसित कर रही है। भारत के कुल मोबाइल निर्माण में उत्तरप्रदेश का योगदान 45 प्रतिशत है। ‘स्टार्टअप इंडिया’ के अंतर्गत, प्रदेश में 7,600 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हैं।
यूपीजीआइएस से पहले, योगी सरकार स्वतंत्र भारत की पहली ऐसी सरकार है, जिसके प्रतिनिधियों ने वैश्विक उद्योग जगत को आमंत्रित करने के उद्देश्य से 16 देशों के 21 नगरों का दौरा किया था। इस दौरान योगी सरकार को 7 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव के एमओयू प्राप्त हुए। निसंदेह, इस प्रकार के भारी निवेश उत्तरप्रदेश ही नहीं, अपितु शेष भारत के लिए भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। यक्ष प्रश्न है कि जो प्रदेश, जो कुछ वर्ष पहले तक ‘बीमारू राज्य’ और ‘अपराध की राजधानी’ जैसी नकारात्मक संज्ञाओं से परिभाषित था— वहां एकाएक व्यापक परिवर्तन कैसे आ गया?
इसका बहुत बड़ा कारण योगी सरकार की अपराध और अराजकता विरोधी नीति-कानूनों में निहित है। यदि उत्तरप्रदेश में पहले की भांति कानून-व्यवस्था भंग होती या जानमाल पर खतरे की आशंका बनी रहती, तो क्या यहां कोई उद्योगपति लाखों-करोड़ रुपयों का निवेश करना पसंद करता? लूटपाट-चोरी के साथ महिला-बाल अपराध की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2021 में देश में कुल अपराधों में उत्तरप्रदेश का स्थान 23वां है।
मजहबी-जातिगत भेदभाव किए बिना हजारों अपराधियों के विरूद्ध गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए उनकी सैंकड़ों-हजार करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति कुर्क की गई है, तो उनकी अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर भी चला है। बिना किसी बलप्रयोग और बिना किसी विरोध-प्रदर्शन के विभिन्न धार्मिकस्थलों (मंदिर-मस्जिद आदि) में लगे सवा लाख लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई तक कर दी गई।
ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से सुसज्जित उत्तरप्रदेश उपजाऊ भूमि, प्राकृतिक संपदा, देश की सबसे बड़ी युवा शक्ति और विशेष भौगोलिकता के मामले में धनवान रहा है। तब भी इस राज्यों को ‘बीमारू राज्य’ बनाने में वे विभाजनकारी मजहबी-जातिगत तत्व जिम्मेदार रहे, जिन्होंने दशकों तक सत्ता-अधिष्ठान के आशीर्वाद के साथ भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं की सांठगांठ से अपराध को संगठित व्यापार बनाए रखा। पहली बार उत्तरप्रदेश इन विकृतियों से मुक्त नजर आ रहा है।