मैं बार-बार सोचता हूं कि इस बार गपशप अलग हो। मतलब भारत दुर्दशा को छूने वाली नहीं। उसमें मोदी, उनकी सरकार, हिंदूशाही का जिक्र नहीं आए। दिल्ली की भारत सत्ता के नैरेटिव से कुछ अलग हो। हाशिए की उन बातों पर लिखा जाए, जिनकी अनदेखी है। जैसे फरवरी में उत्तर-पूर्व में तीन राज्यों के चुनाव हैं। त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड में चुनाव हैं तो उस बहाने उत्तर-पूर्व की राजनीति को देखें या दिल्ली पर लिखा जाए, जिसे लेकर मैं इस दुविधा में हूं कि मकर संक्रांति तक दिल्ली लौटें या नहीं? दरअसल मैं सर्दियों में दिल्ली की जगह दूर मेवाड़ में अधिकाधिक रहने की कोशिश करता हूं। यहां मेरे लिए प्रदूषित ठंड से दूर खिली धूप वाली सहज सर्दी में पढ़ना-लिखना सुकूनदायी लगता है। लेकिन इस साल दिल्ली में रिकार्ड तोड़ ठंड, हिल स्टेशनों से भी ज्यादा ठंड के साथ बेइंतहां प्रदूषण की आबोहवा ने दिमाग को ठहरा रखा है तो यह सवाल भी बना हुआ है कि दिल्ली साल-दर-साल कैसी होती जा रही है और उस पर सोचने वाला कोई नहीं। क्या यह लिखने वाला, राष्ट्रीय नैरेटिव, रोने-धोने का मसला नहीं या नियति पर ठीकरा फोड़ हमेशा के लिए मान लेना चाहिए कि दिल्ली कभी साफ हवा-पानी की नहीं हो सकती!
कभी दिल्ली में ठंड मतलब नए ऊनी कपड़ों की खरीद, उन्हें पहनने और सर्दी का मजा लेते हुए एनएसडी नाटक, गायन-वादन देखने-सुनने, इंडिया गेट-कनॉट प्लेस इलाके में घूमने व खाने पीने की सर्दी का लाजवाब मौसम। और अब? आप ही अनुमान लगाएं। इससे भी गंभीर बात जो बाकी महानगरों, प्रदेशों के बड़े शहरों में भी सर्दियां प्रदूषण का अब वह तड़का लिए होती हैं, जिससे सांसे उखड़े। गला खराब और खांसी। तभी शुक्रवार को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के आला डाक्टर एसपी ब्योत्रा का दिया यह ब्योरा हैरानी वाला नहीं था कि इन दिनों 70-80 प्रतिशत मरीज अस्थमा, सांस, सर्दी-खांसी, दस्त, बुखार, निमोनिया, हार्ट अटैक व स्ट्रोक समस्याओं के होते हैं। सर्दी की धुंध में धूल के कण का वायु प्रदूषण सांस, शरीर के लिए घातक है। इसलिए सुबह मैंने शरद यादव की मृत्यु की खबर हार्ट अटैक से सुनी तो दिमाग अपने आप प्रदूषित ठंड से उनकी उखड़ी सांसों का अनुमान लगा बैठा। हां, प्रदूषित ठंड दिल्ली में कितनों को मारती हुई है इसकी रियलिटी बहुत गंभीर होगी।
और ऐसा अकेले दिल्ली में नहीं है, मुंबई भी वायु प्रदूषण का मारा है तो हैदराबाद और बेंगलुरू भी, जहां ठंड नहीं पड़ती लेकिन प्रदूषण से हवा धूल-मिट्टी के कण लिए हुए होती है। सोचें, अखिल भारतीय स्तर पर हाशिए में पडी इस रियलिटी को जांचें तो क्या लगेगा नहीं कि जलवायु परिवर्तन का भारत के संदर्भ में नंबर एक संकट वह वायु प्रदूषण है, जो सिर्फ भारत में सुरसा की तरह साल-दर-साल बढ़ता हुआ है जबकि देश हर तरह से लापरवाह। ध्यान रहे बाकी देश जैसे चीन अपने शंघाई, बीजिंग में समस्या तेजी से घटाते हुए हैं। कहीं से बर्फीले हिमपात के साथ प्रदूषित हवा के रिकॉर्ड की खबर सुनने को नहीं मिलती।
बहरहाल अपने यहां मुख्यधारा का कानफाड़ू नैरेटिव जोशीमठ को लेकर है लेकिन उससे लाखों गुना अधिक, करोड़ों लोगों की सांसों को घुटाने वाली सर्दियों की जहरीली हवा पर क्या देश-समाज-व्यवस्था को जागना नहीं चाहिए? पर्यावरण से जोशीमठ का सकंट है तो दिल्ली सहित उन तमाम महानगरों का प्रदूषण क्या कम घातक है, जिससे सब कुछ बदलता हुआ है।
भला सोचें, क्या लॉजिक है दिल्ली में ऐसी प्रदूषित सर्दी का? न समय पर सर्दी और न पर्याप्त सर्दी। लेकिन अचानक सर्दी और प्रदूषण दोनों कड़ाके के। क्या ईश्वर ने दिल्ली को ऐसा कोई महाश्राप दिया है जो सर्वाधिक मार देश की राजधानी पर। हकीकत है कि दिल्ली और पूरा एनसीआर इसलिए प्रदूषणों की विश्व राजधानी है क्योंकि वह आबादी की विश्व राजधानी भी होते हुए है। भ्रष्टाचार, फ्री की रेवड़ियों, प्लानिंग, नगर विकास दृष्टि से लेकर अशिक्षा तथा जीवन जीने के कुसंस्कारों से दिल्ली उत्तर भारत का वह एपिसेंटर बनी है, जिसमें हर कोई दिल्ली चलो का ख्याल बना भूख, लूट, बेरोजगारी, बेगारी में दिल्ली का न केवल भार बनता हुआ है, बल्कि देश को लूटने का अड्डा भी।
मैं भटक रहा हूं। मूल बात है भारत के नियोजन में, प्लानिंग में, नागरिकों के दिमाग में दिल्ली और एनसीआर की भीड़ और धूल भरी बरबादी की रत्ती भर सुध नहीं है। पूरा एनसीआर खुदता चला जा रहा है। नई दिल्ली के राजपथ से लेकर मेरठ, पानीपत, भिवाड़ी चारों तरफ आबादी का आना, बढ़ना, कंस्ट्रक्शन करने-करवाने का सिलसिला न केवल अंतहीन है, बल्कि रेवड़ियों, फ्री के राशन-पानी जैसे धर्मादाओं से वह क्रेज बना है, जिसमें नेता भी वोटों की झुग्गी-झोपड़ियों का भारत बनाते हुए हैं तो उससे देश भर की जनता दिल्ली या महानगरों की और दौड़ते हुए। तभी भारत न केवल जलवायु परिवर्तन का मारा है, बल्कि लोगों की उस आत्मघाती मनोदशा का भी मारा हुआ है जो हाशिए में भी लोगों के जीवन को नरक बनाने की नियति बनवा रही है।