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गपशप

बीबीसीः बकवास, भ्रष्ट कॉरोपोरेशन!

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यह सारांश संघ-भाजपा परिवार की बुद्धी का निष्कर्ष है। पता नहीं खांटी हिंदुओं के इतिहास में पहले ऐसा कब हुआ जो वे एक तरफ अपने को विश्वगुरू मानते है वही दूसरी और दुनिया तथा वैश्विक संस्थाओं को झूठा, भारत विरोधी कह रहे है! पिछले आठ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर वह जतन किया जिससे उनके नाम के साथ पुण्यता जुड़े और वे भी एक सच्चे, पुण्यवादी नेता कहलाएं! वे गांधी जैसे हिंदू-सेकुलर संत समझे जाए। उन्हे दुनिया नेहरू जैसा शांतिदूत कहें। लालबहादुरी शास्त्री जैसा ईमानदार माने। चरणसिंह जैसा किसान नेता समझे। वाजपेयी जैसा लिबरल माने। दुनिया उन्हे द गॉल जैसा लौह राष्ट्रवादी, थेचर जैसा सुधारवादी, देंग शियाओं पिंग जैसा विकास पुरूष लिखने लगे। वे विश्व में आधुनिक सत्यवादी राजा हरिशचंद्र तथा हिंदुओं के आधुनिक धर्मराज के प्रतिमान कहलाएं। दुनिया में हिंदू राजनीति का गौरव बने।

सचमुच याद करें नरेंद्र मोदी आधुनिक धर्मराज बनने के कितने जतन, कितनी मेहनत करते हुए है! अपनी सत्ता और अपने भक्तों की वैश्विक पुण्यता बनवाने के लिए क्या कुछ नहीं किया है! कितने वचन, प्रवचन देते है! कितनी तरह के श्रंगार दर्शन देते है!कितना मेकअप, अभिनय होता है। कैसे विशाल भंडारे खोले हुए है!विदेशियों से कितने लिपटते है!गौर करें विदेशियों की मेजबानीके लिए इन दिनोंपूरे भारत में जी-20 के कैसे तराने बजवा रहे है!अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन (याद करें एयरइंडिया के विमान आर्डर की हालिया सुर्खी को) चीन, रूस को खरबों रूपए के परचेजिंग आर्डर दिलवा कर उनकी अथाह कमाई बनवा रहे है!

बावजूद इस सबके उफ! वही मोदी का सन् 2020 का वाला चेहरा। सबकुछ कर डाला पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां, वैश्विक मीडिया, वैश्विक थिंकटेंक, रिपोर्ट्स, इंडेक्स, डाक्युमेंट्रीजमें नरेंद्र मोदीउसी तरह लिखे जा रहे है जो गुजरात के दंगों और उससे शुरू हुए नैरेटिव का इतिहास है। बतौर मुख्यमंत्री और बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह दाग, वह छाप, वह इमेज बदल ही नहीं रही जिससे उन पर तनिक भी विश्वास बने और समसामयिक इतिहास में उनका नाम व वृतांत बतौर भले, पुण्यकारी, सज्जन, सच्चे इंसानी नेता के रूप में लिखता हुआ हो।

तभी बीबीसी की डाक्युमेंटरी नरेंद्र मोदी के मनोविश्व को बुरी तरह हिला देने वाली थी। नरेंद्र मोदी जानते है कि बीबीसी की वैश्विक साख क्या है! अहसास है किब्रिटेन और अमेरिका का मीडिया दुनिया के समसामयिक इतिहास के दस्तावेज है। रूस और चीन या तीसरी दुनिया की सरकारों, अखबारों तथा उनके नैरेटिव से इतिहास का सत्य नहीं बनता बल्कि स्वतंत्र-निर्भयी-सत्यवान लेखन, रिपोर्टिंग, थिंकटेक के विचारकों-पत्रकारों-लेखकों की कलम, कैमरे और कमेंट्री से यह इतिहास बनता है कि कौन रावण था कौन राम! कौन हिटलर था और कौन चर्चिल, कौन गांधी-नेहरू-वाजपेयी था और कौन नरेंद्र मोदी? कौन लोकतांत्रिक और कौन तानाशाह? कौन ईमानदार तो कौन ठग? विकास की सच्चाई कहां और कहां नहीं!

इसलिए बीबीसी और हिडनबर्ग की दो रपट नरेंद्र मोदी के लिए जहां अकल्पनीय थीवहीउन भक्तों के लिए सदमा है जिनकी हिंदू राजनीति से दुनिया में नफरत बनते हुए हैं। भक्त मानते है कि अमेरिका और ब्रिटेन मोदीजी की सलाह ले कर फैसले करते है।उनके विकास पुरूष गौतम अदानी भारत का नाम रोशन करने वाले दुनिया के टॉप वैश्विक मालिक बने। तब भला बीबीसी व हिडनबर्ग की ऐसी कैसी हिम्मत जो वे मोदी, अदानी को बदनाम कर भारत का नाम खराब करें!

तभी बीबीसी पर छापा। भाजपा का दो टूक ऐलान कि बीबीसी मतलब बकवास, भ्रष्ट कॉरोपोरेशन!बीबीसी की रिपोर्टिंग सतही और जहरीली! वह पत्रकारिता की आड़ में एजेंडा चलाने वाली! वह भारत की अखंडता को चोट पहुंचाने वाली! उधर हिडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट केवल अडानी ग्रुप पर हमला नहीं है बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता और भारत की विकास कहानी और महत्वाकांक्षा पर एक सुनियोजित हमला है! इसलिए अब जैसे इंदिरा गांधी ने उनको हटवाने की साजिश, सीआईए के षडयंत्र के हल्ले बनवाए थे वैसा ही हल्ला बोल इस कहानी के साथ कि नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए दिल्ली से लेकर लंदन तक में हो रही अंतरराष्ट्रीय साजिश! विरोधी उसके हिस्सेदार। सन् 2024 के चुनाव तक हल्ला होगा मोदीजी हिंदुओं को बचा रहे है, भारत की विकास कहानी बना रहे है लेकिन विपक्ष और उसके नेता विदशियों से मिल कर मुझे हटवाने के झूठ बोल रहे है। साजिश रच रहे है। वे देश को आगे नहीं बढ़ने दे रहे!

पता नहीं संघ-भाजपा परिवार के कौन ऐसे रणनीतिकार है जो बीबीसी, वैश्विक संस्थाओं-एजेंसियों को को गाली दे कर, सत्य व सूरज को झूठला कर मानते है कि इससे मोदीजी का चेहरा पुण्यताओं में चमचमाता बनेगा!

बहरहाल अपना सवाल है, हे भारत माता! इतने झूठों के बाद भी धरती क्यों नहीं फटती!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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