बेबाक विचार

जय हो द्रोणाचार्य पुतिन और एकलव्य मोदी की!

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जय हो द्रोणाचार्य पुतिन और एकलव्य मोदी की!
भक्त हिंदू आपत्ति कर सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व गुरू हैं न कि पुतिन के शिष्य। वे पुतिन के गुरू हैं। मगर मैं क्योंकि आठ साल के अनुभव को जीता हुआ हूं तो यह बार-बार दिखा है कि नरेंद्र मोदी और उनके भक्त हिंदू बार-बार उन क्षणों-उन फोटोओं को संजोए हुए हैं जब अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप, रूस के पुतिन और चीन के शी जिनफिंग को नरेंद्र मोदी ने झुला झुलाया। इन नेताओं से लपक कर, गले लग अपने को कृतार्थ दिखलाया। इसलिए एक मायने में खुद नरेंद्र मोदी के लिए तय करना मुश्किल होगा कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बतौर अपने गुरू व आदर्शों में पुतिन की फोटो दिल में रखी या डोनाल्ड ट्रंप की या शी जिनफिंग की। Dronacharya putin eklavya modi उन दिनों आम तौर तब नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और वहां से प्रभावित हो कर लौटने तथा शी जिनफिंग के मुरीद होने की चर्चा थी। तभी अपने को आश्चर्य नहीं हुआ जब प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले शी जिनफिंग को बुलाकर गद्गद्, धन्य भाग के भाव में उन्हें साबरमती के किनारे झूला झुलाया। बावजूद इसके अपना मानना है कि छप्पन इंची छाती, मर्द राष्ट्रवादी और झूठ की तानाशाही व्यवस्था से नागरिकों की बुद्धि हरने, उन्हें झूठ की दैनिक खुराक पर जिंदा रहने वाली नस्ल बनाने के गुरूमंत्र राष्ट्रपति पुतिन से अधिक मिले हैं। तभी गुरू द्रोणाचार्य और शिष्य नरेंद्र मोदी की सन् 2022 की मौजूदा जुगल जोड़ी के मायने अहम हैं। झूठ की फैक्टरी के वैश्विक कमांडर के नाते दुनिया जैसे अभी पुतिन को देखते हुए हैं वैसे उनके शिष्य नरेंद्र मोदी को भी देखते हुए हैं। दोनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और देश के भीतर मीडिया से वह नैरेटिव बनाए हुए हैं, जिससे दुनिया भले अछूत बने लेकिन दोनों अपने को विश्व बहादुर और विश्व गुरू समझ रहे हैं और अपनी प्रजा को विश्व का कल्याणी और भगवान बताने का ज्ञानोदय दे रहे हैं। क्या आपको पता है पुतिन सरकार ने एक “ज्ञानोदय मंत्रालय” ( Ministry of Enlightenment) बना रखा है। इस ज्ञानोदय में ही रूस की शिक्षा भी है। यह मंत्रालय पुतिन के ज्ञान (जैसे भारत में मोदीजी का ज्ञान) के प्रचार-प्रसार में बच्चों से लेकर बूढ़ों की अलग-अलग इवेंट कराता है और उससे देश में झूठ का (जैसे अभी मोदीजी ने यूक्रेन से लौटे छात्रों के साथ बैठ कर मैसेज बनवाया कि देखो गंगा किनारे ‘ऑपरेशन गंगा’ के हर, हर मोदी कैसे भारत के बच्चों को घर लिवा लाए।) प्रसार होता है ताकि लोग माने रहे कि पुतिन के कारण रूसी बचे हैं अन्यथा पश्चिमी देश, नाजी, नशाखोर, विधर्मी (जैसे भारत में पाकिस्तान, चीन, देशद्रोही, मुसलमान) रूस को खत्म कर चुके होते। Social media modi bhakt Read also “हवा किस की चल रही है?” पुतिन के “ज्ञानोदय मंत्रालय” से गुरूवार को खबर थी कि रूसी बच्चों के लिए यह नया पाठ तैयार हो गया है कि क्यों ‘जंग’ जरूरी है। फेसबुक पर ज्ञानोदय मंत्रालय की इस पोस्ट के अनुसार अखिल रूसी ओपन लेशन में रूसी बच्चों को सिखाया जाएगा कि यूक्रेन को मुक्त कराना अनिवार्य है। ध्यान रहे रूस में पुतिन और उनकी सरकार अभी भी ‘वार’, ‘जंग’ के शब्द से लड़ाई की खबरें नहीं दे रही है, बल्कि उसका झूठ, प्रोपेगेंडा इस जुमले पर है कि यूक्रेन के नाजियों के खिलाफ एक ‘सैनिक ऑपरेशन’ हो रहा है। रूस का जो नागरिक इससे उलट युद्ध की खबर देगा उसे जेल और सजा! जाहिर है रूसी पाठशाला के गुरू पुतिन से ही मोदीजी ने मंत्र लिए हुए हैं। तभी पुतिन ने भारत आ कर अहसान में उनसे अंगूठा मांगा तो नरेंद्र मोदी ने वैश्विक जनमत में भारत को अछूत बना डाला। दुनिया भारत को पुतिन की पालकी उठाए हुए देख रही है! हां, भक्तों और भारतीयों को झूठ की आबोहवा के बीच यह नोट रखें कि युक्रेन संकट आगे जैसे बढ़ेगा और जो बरबादी होगी तो उसके साथ भारत भी बरबाद इसलिए होना है क्योंकि वह पुतिन के साथ खड़ा है। भक्त हिंदू झूठ और झांसे में भले अपने को सत्यवादी समझें लेकिन दुनिया के 193 देशों में से ज्यादातर में पुतिन अछूत हो गए हैं तो उनके साथ खड़े, उनके शिष्य नरेंद्र मोदी भी अछूत हो गए हैं। विश्व राजनीति में जैसा हस्र पुतिन का होगा वैसा नरेंद्र मोदी का होगा और उसी अनुपात में भारत का होगा। सवाल है नरेंद्र मोदी को यह करने की जरूरत क्या थी? इसलिए कि वे जैसे हैं, जिससे प्रेरणा-ज्ञान, गले लगने का सौभाग्य पाया है उन्हीं के साथ तो खड़े होंगे। आखिर पुतिन की तरह ही उन्होंने भारत को झूठ का उप महाद्वीप बनाया है। रूस जैसा लोकतंत्र और मीडिया बनाया है। पुतिन के ओलिगार्क की तरह अपने अंबानी-अडानी बनाए हैं। भक्त हिंदुओं में पुतिन जैसा राष्ट्रवादी हुंकारा बनाया है और ‘भारत सरकार’ को ‘मोदी सरकार’ में बदल कैबिनेट और अफसरों को पुतिनशाही जैसा चपरासी बनाया है तो राजनीति व पार्टी का भी पुतिनीकरण। सब एक जैसा तो भविष्य भी पुतिन और रूस जैसा। भक्त हिंदू, हिंदू राजनीति और भारत के आने वाले वक्त में वैसा ही वक्त होना है जैसा महाशक्ति रूस का होना है। ध्यान रहे द्रोणाचार्य अपार शक्तिमान थे तो उन्हें देख एकलव्य भी अर्जुन जैसा धनुर्धर हो गया था लेकिन एक कौरव सेना की कमान संभालने का कलंक लिए और दूसरा दक्षिणा में अंगूठा कटा बेमौत मौत का मारा। दोनों से कुछ बना नहीं। दोनों असहाय, बेबसी व देश-धर्म-कौम के लिए बेमतलब! क्या नहीं?
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