पांच राज्यों के चुनावों से पहले जितने भी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण हुए हैं, उनमें से ज्यादातर में पंजाब में आम आदमी पार्टी की बढ़त का अनुमान लगाया गया है या आप और कांग्रेस में कांटे का मुकाबला बताया गया है। पिछली बार भी आप के बारे में सर्वेक्षणों में ऐसा ही अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन पार्टी 20 ही सीट पर रूक गई। इस बार उसके अच्छा प्रदर्शन करने का अनुमान लगाया जा रहा है। तभी कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए पंजाब में कांग्रेस को फिर से सत्ता में आने से रोकने से ज्यादा अहम आप को रोकना हो गया है। अगर आम आदमी पार्टी पंजाब में चुनाव जीत कर सरकार बनाती है तो अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय राजनीति को पंख लगेंगे। इसके साथ ही पंजाब में सुरक्षा को लेकर बड़ी चिंताएं पैदा होंगी क्योंकि केजरीवाल की पार्टी को देश से बाहर के सिख संगठनों का समर्थन मिलता रहा है। Five state assembly election
संभवतः इस राजनीतिक सिनेरियो को समझते हुए भाजपा ने अपना दांव चला है। भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के बयान को इस रोशनी में देखने की जरूरत है। उन्होंने गुरुवार, 10 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि पंजाब का काम किसी राष्ट्रीय पार्टी के बिना नहीं चल सकता है। उन्होंने एक तरह से पंजाब के मतदाताओं से राष्ट्रीय पार्टी को चुनने की अपील की। अब राष्ट्रीय पार्टियां तो दो ही चुनाव लड़ रही हैं, जिनमें से एक भाजपा है और दूसरी कांग्रेस। सबको पता है कि भाजपा के लिए चुनाव जीतना नामुमकिन की हद तक मुश्किल है। पंजाब के लोगों में भाजपा को लेकर जैसी नाराजगी है उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि पार्टी अगर पिछली बार जीती अपनी तीन सीटें बचा ले तो बड़ी बात होगी।
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी भाजपा को दो अंकों में सीट मिलने की भविष्यवाणी नहीं की जा रही है। सोचें, जब भाजपा 65 सीट लड़ कर दो अंकों में नहीं पहुंचने की हालत में है तो 37 सीट लड़ रहे कैप्टेन अमरिंदर सिंह की पार्टी का क्या कहा जा सकता है! तभी जब उन्होंने कहा कि पंजाब का काम किसी राष्ट्रीय पार्टी के बगैर नहीं चल सकता है तो उसका मतलब बहुत साफ था। उसका मतलब यह था कि आम आदमी पार्टी को रोकना है और अगर भाजपा नहीं जीत रही है तो कांग्रेस को जिताना है। ध्यान रहे आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के पास ज्यादा अधिकार नहीं हैं फिर भी दिल्ली मॉडल दिखा कर केजरीवाल पूरे देश में राजनीति कर रहे हैं। अगर पंजाब जैसे पूर्ण राज्य में उनकी सरकार बनती है और वे स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मुद्दों पर एक नया मॉडल बनाते हैं तो वे देश के कई राज्यों में भाजपा के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं। ऐसे राज्यों में एक राज्य गुजरात भी है, जहां सूरत में स्थानीय निकाय चुनाव में आप को अच्छी सफलता मिली थी।
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तभी पंजाब हो या गोवा और उत्तराखंड, तीनों राज्यों में भाजपा का लक्ष्य किसी तरह से कांग्रेस को लड़ाई में बनाए रखना है और आप को हाशिए की ताकत साबित करना है। भाजपा की हरियाणा सरकार ने जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फरलो पर 21 दिन के लिए रिहा किया है। उनके डेरे की बैठक हो रही है, जहां से भाजपा के पक्ष में वोट डालने का फतवा जारी हो सकता है। ऐसा होता है तो जितना कांग्रेस को नुकसान होगा, उससे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी को होगा। क्योंकि कांग्रेस से नाराज होकर डेरा समर्थकों का बड़ा समूह आप को वोट देने जा रहा था। बेअदबी के मामले में डेरा प्रेमियों और पदाधिकारियों पर पंजाब सरकार द्वारा किए गए केस की वजह से समर्थक नाराज थे। अब अगर डेरा प्रमुख वह वोट भाजपा की ओर ट्रांसफर कराते हैं तो वह वोट आप को नहीं मिल पाएगा और इसका भी परोक्ष रूप से फायदा कांग्रेस को होगा। कई पार्टियां होने की वजह से सत्ता विरोधी वोट बंटने की संभावना है। अगर सत्ता विरोधी वोट किसी एक पार्टी के हक में नहीं जाते हैं तो उसका फायदा भी सत्तारूढ़ कांग्रेस को होगा। ऊपर से कांग्रेस ने करीब 33 फीसदी दलित आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला मुख्यमंत्री बनाया है इसलिए वह बाकी पार्टियों के मुकाबले बेहतर स्थिति में दिख रही है। Five state assembly election