ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने को सिर्फ गुजरात में दांव पर लगाया है, जो उनका गृह प्रदेश है। गृह प्रदेश होने के नाते गुजरात का मामला समझ में आता है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने को हिमाचल जैसे छोटे से राज्य में भी दांव पर लगाया है और भारतीय जनता पार्टी उनको दिल्ली नगर निगम में भी दांव पर लगा रही है। प्रधानमंत्री ने 68 विधानसभा सीट वाले हिमाचल में किस तरह से अपने को दांव पर लगाया उसकी वीडियो सबने देखी। प्रधानमंत्री ने भाजपा से बागी होकर निर्दलीय नामांकन दाखिल करने वाले कृपाल परमार को मनाने के लिए खुद फोन किया। सवाल है कि अगर एक छोटा से राज्य में भाजपा चुनाव नहीं जीत पाएगी तो क्या कयामत आ जाएगी? क्यों हर राज्य के चुनाव में प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगानी है?
हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य सरकार के पांच साल के कामकाज पर वोट नहीं मांगा और न उम्मीदवारों के नाम पर वोट मांगे गए। मोदी ने अपने नाम और अपने काम पर वोट मांगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि हिमाचल के लोगों को उम्मीदवार को देखने की जरूरत नहीं है। वे कमल के फूल का बटन दबाएं और सीधे मोदी को वोट दें। उन्होंने अपनी सभाओं में कहा कि अगर गलती से भी कांग्रेस जीत गई तो वह उनको हिमाचल प्रदेश का विकास करने से रोक देगी। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने प्रचार बंद हो जाने के बाद राज्य के लोगों के नाम एक खुला पत्र लिखा, जिसे पार्टी नेताओं ने घर घर पहुंचाया। उसमें उन्होंने लिखा कि वे उनका हाथ मजबूत करने के लिए भाजपा को वोट दें। सोचें, हिमाचल प्रदेश भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह प्रदेश है। लेकिन चुनाव उनके नाम पर नहीं हुआ। पार्टी ने उनके नाम पर वोट नहीं मांगा। दो दशक पहले हिमाचल प्रभारी रहे नरेंद्र मोदी ने हिमाचल को अपना दूसरा घर बता कर वोट मांगा। इस तरह से हिमाचल का पूरा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा गया। अगर नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं आए तो क्या होगा? क्या मोदी इसे अपनी हार के तौर पर कबूल करेंगे?
दिल्ली नगर निगम के चुनाव में तो अभी तक प्रधानमंत्री ने प्रचार नहीं किया है लेकिन तमाम केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री प्रचार कर रहे हैं। पिछले रविवार को एक दिन में चार मुख्यमंत्रियों- हिमंता बिस्वा सरमा, मनोहर लाल खट्टर, जयराम ठाकुर और पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में रोड शो। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी चुनाव प्रचार में उतरे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और तमाम बड़े नेता दिल्ली नगर निगम में भी मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। जैसे हिमाचल प्रदेश में पांच साल राज चलाने के बाद कामकाज के नाम पर वोट मांगने की बजाय मोदी के नाम पर वोट मांगा गया उसी तरह 15 साल तक दिल्ली नगर निगम की सरकार चलाने के बाद भाजपा अब प्रधानमंत्री मोदी के कामकाज पर वोट मांग रही है। तमाम राष्ट्रीय मुद्दे उठाए जा रहे हैं।
भाजपा हर हाल में फिर से नगर निगम का चुनाव जीतना चाहती है। हालांकि राजनीतिक समझदारी यह कहती है कि अगर भाजपा निगम का चुनाव नहीं जीत पाती है तो उसे अगले विधानसभा चुनाव में फायदा हो सकता है। ध्यान रहे अभी अरविंद केजरीवाल हर समय कहते रहते हैं कि नगर निगम उनके पास नहीं है। वे दिल्ली की हर कमी के लिए या तो केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हैं या भाजपा के नियंत्रण वाले नगर निगम को। अगर निगम में उनकी सरकार बनती है तो दिल्ली की कानून व्यवस्था को छोड़ कर लगभग हर छोटी बड़ी समस्या की जवाबदेही केजरीवाल पर होगी। इसका नुकसान हो अगले चुनाव में हो सकता है। यह सही है कि आगे की राजनीति के लिए चुनाव हारना कोई अच्छा विकल्प नहीं होता है लेकिन ऐसे चुनाव को जीतने के लिए सारी ताकत लगाना भी कोई समझदारी की बात नहीं होती है।
हिमाचल और दिल्ली में भी दांव पर मोदी
और पढ़ें
-
पशुपति पारस का स्वागत करने को तैयार राजद
पटना। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख पशुपति पारस (Pashupati Paras) के केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देने...
-
हाई सिक्योरिटी सेल में शिफ्ट हुआ एल्विश यादव
नोएडा। यूट्यूबर एल्विश यादव (Elvish Yadav) को लुक्सर जेल के हाई सिक्योरिटी सेल में शिफ्ट कर दिया गया है। जानकारी...
-
भाजपा में शामिल हुईं शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। जेएमएम...
-
‘वेदा’ के टीजर में एक्शन अवतार में दिखाई दिए जॉन अब्राहम
मुंबई। जॉन अब्राहम (John Abraham) की एक्शन से भरपूर फिल्म 'वेदा' का टीजर मंगलवार को जारी किया गया। फिल्म में...