बेबाक विचार

ज्यादा हिंदू साबित करने में लगे हिमंता

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ज्यादा हिंदू साबित करने में लगे हिमंता
जैसा नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है उसी तरह से असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा अपने को ज्यादा से ज्यादा कट्टरपंथी हिंदू साबित करने में जुटे हैं। किसी जमाने में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एआईयूडीएफ के नेता बदरूद्दीन अजमल के साथ मिल कर तब के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सत्ता पलटने का प्रयास कर चुके पूर्व कांग्रेसी हिमंता बिस्वा सरमा अजमल को मुस्लिम प्रतीक बना कर उनके ऊपर लगातार हमले कर रहे हैं। इसी साल असम में भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार जीती है और चुनाव अभी साढ़े चार साल बाद होने हैं पर सरमा ने मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगातार सांप्रदायिक एजेंडे को हवा दी है। ऐसा लग  रहा है कि दो-ढाई साल बाद होना वाले लोकसभा चुनाव में असम की 14 सीटों सहित पूर्वोत्तर की कुल 25 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा या लगभग सभी सीटें जीत कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को देने की रणनीति के तहत वे इस किस्म की राजनीति कर रहे हें। HimantaBiswa Sarma fundamentalist Hindu Read also तीन घटनाएं, सत्य एक! असल में इस साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनावों से पहले ही इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई थी। चुनावों की घोषणा से ठीक पहले पिछले साल दिसंबर में तब राज्य सरकार के मंत्री रहे हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य के सभी मदरसों को बंद कराया था। उन्होंने इसका विधेयक पेश किया था और सरकारी मदद से चलने वाले सारे मदरसे बंद कराए थे। उन्होंने कहा था कि सरकारी खर्च से मदरसों में मुस्लिम बच्चों को कुरान नहीं पढ़ाई जा सकती है। इसके बाद उन्होंने कथित लव जिहाद रोकने का ऐलान किया था। सरमा ने  कहा था- कई मुस्लिम लड़के फेसबुक पर नकली अकाउंट बनाते हैं और हिंदू नाम लिखकर मंदिरों से अपनी तस्वीरें डालते हैं। फिर जब किसी हिंदू लड़की से शादी होती है, तो सच्चाई सामने आने पर काफी मुश्किलें होती हैं। उन्होंने कहा था कि अब इस बारे में राज्य सरकार सख्ती बरतेगी। हिमंता बिस्वा सरमा ने तभी ऐलान कर दिया था कि अगले पांच साल इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि कोई भी शादी जबरदस्ती ना हो। हम ऐसी किसी भी शादी के खिलाफ हैं जो धोखेबाजी से की गई हो। इसके बाद चुनाव से ठीक पहले फरवरी में उन्होंने ऐलान किया मियां मुस्लिम सांप्रदायिक होते हैं और उनके वोट की जरूरत नहीं है। सो, दूसरी बार सत्ता में आते ही उन्होंने धार्मिक शिक्षा, लव जिहाद आदि का मुद्दा बनाया है।  HimantaBiswa Sarma fundamentalist Hindu इस साल जुलाई में मिजोरम की सीमा के बाद मिजोरम की ओर से कहा गया था कि असम में बहुत से प्रवासी और घुसपैठिए हैं, जिनको मिजोरम की सीमा में बसाने का प्रयास किया जा रहा है। इसका जवाब देते हुए हिमंता ने बड़े गर्व से कहा था कि प्रवासी घुसपैठियों यानी मुसलमानों को बसाने का आरोप उनके ऊपर कैसे लग सकता है, जबकि उन्होंने खुलेआम कहा था कि उनको मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए। ध्यान रहे हिमंता ने यह बात प्रचार में कही थी और बाद में उसे कई बार दोहराया कि उन्हें मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए था और एक भी मुसलमान ने उनको वोट नहीं दिया है। सोचें, कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम असम में  हैं, जहां उनकी आबादी 32 फीसदी के करीब है और वहां का मुख्यमंत्री इस बात पर गर्व करता है कि उसको मुस्लिम वोट नहीं चाहिए और न मुस्लिम उसको वोट देते हैं। इसी राजनीति के तहत उन्होंने आते ही मंदिरों के पांच किलोमीटर के दायरे में गोहत्या और गोमांस की बिक्री पर पाबंदी का कानून बनाया। इस बारे में उन्होंने कहा कि उनको गर्व है कि यह कानून बनाया गया। बाद में उन्होंने कहा कि हिंदुओं को ज्यादा से ज्यादा मंदिर बनाना चाहिए ताकि गोहत्या को खत्म किया जा सके। Read also पूर्वोत्तर इतना अशांत कैसे? ध्यान रहे भाजपा ने हिमंता बिस्वा सरमा को असम का मुख्यमंत्री बनाया उससे पहले उन्होंने समूचे पूर्वोत्तर का जिम्मा दिया था। वे नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस यानी नेडा के प्रमुख हैं। तभी हैरानी नहीं है कि असम जैसी योजनाएं पूरे पूर्वोत्तर में चल रही हैं और सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मामला अभी रूका है। उसके लागू होने के बाद तनाव और बढ़ेगा। क्या भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और केंद्र सरकार को समझ में आ रहा है कि यह आग से खेलने की रणनीति है? असम में 32 फीसदी मुस्लिम आबादी है और उससे सटे पश्चिम बंगाल में 30 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी है। क्या इतनी बड़ी आबादी को अपना दुश्मन बताना और उसे अलग थलग करके राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी? या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा किया जा रहा है? ध्यान रहे सीमा के दूसरी तरफ बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान हैं, जिन तीनों देशों में चीन ने बेहद मजबूती से पैर जमाए हैं।
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