वाह! क्या बात है बीस दिन पहले भारत विश्व नेता था, विश्व गुरू था। अहिंसा स्थल राजघाट पर नरेंद्र मोदी कनाडा के जस्टिन ट्रूडो को दुपट्टा पहनाते हुए अहिंसावादी विश्वमित्रभारत का मैसेज बनवाते हुए थे। और अब? भारत पर हत्या का वैश्विक आरोप है और उस पर भारत का सोशल मीडिया, भक्त हिंदू यह हुंकारा मारते हुए हैं कि भारत बाहुबली! वैश्विक बदनामी भारत के शौर्य का प्रमाण। और बज गई नरेंद्र मोदी की 2024 की चुनावी रणभेरी। सचमुच दुनिया चाहे जो सोचे और लिखे , भक्त हिंदू देशी हों या एनआरआई सब गद्गद् है अपने अमृतकाल के इस अनहोने शौर्य पर। बड़ा इतराता था कनाडा। खालिस्तानियों का अड्डा बन गया था। देखों, मोदीजी ने घर में घुसकर मारा। और कनाडा की औकात क्या है? वहा सेना में पचास हजार लोग भी नहीं। न उसके पास एटम बम है। और न वह भारत की आर्थिकी के आगे टिकता है। जैसे पाकिस्तान दिवालिया वैसे कनाडा दिवालिया। और भारत पर आरोप लगाने वाले, रूल ऑफ लॉ का भाषण देने वाले, मोदीजी को आंखें दिखाने वाले जस्टिन ट्रूडो की क्या औकात? वह तो खालिस्तानी सिखों का मवाली चेहरा, जिसके साथ अब न अमेरिका, ब्रिटेन याकि पश्चिमी देश हैं और न कनाडा के गोरे नागरिक। अगले चुनाव में ट्रूडो हारेगा। कनाडा को मालूम हो जाएगा कि नरेंद्र मोदी और उनकी कमान के भारत से पंगा लेना सर्वनाश बुलाना है।
हां, ऐसी ही बातों में हत्या आरोपी भारत का इकोसिस्टम गूंजता हुआ है। जबकि ठीक विपरीत वैश्विक पैमाने पर (पश्चिमी देशों से लेकर चीन, पाकिस्तान सभी तरफ) पृथ्वी के एक कोने से लेकर (ओटावा, वाशिंगटन, लंदन, पेरिस से लेकर वेलिंगटन तक) दूसरे कोने तक हत्या की सुर्खियों से भारत कटघरे में है। मुझे ध्यान नहीं पड़ता कि कभी ‘रूल ऑफ लॉ’ वाले किसी सभ्य लोकतांत्रिक देश की संसद में दूसरे देश पर वह आरोप लगा जो कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत (मोदी सरकार) पर लगाया है। तभी सभ्य समाजों में हैरानी है, ‘भारत’ बदनाम है। खबरें छप रही हैं। संपादकीय लिखे जा रहे हैं। लंदन की ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के संपादकीय (If India ordered a murder in Canada, there must be consequences) में आज ये लाइनें पढ़ने को मिलीं, ‘भारत हर चीज से इनकार कर रहा है। लेकिन बताया जाता है कि कनाडा ने “फाइव आइज” संधि में अपने सहयोगियों से हत्या के बारे में खुफिया जानकारी साझा की है। और किसी ने सवाल नहीं उठाया है। कनाडा की संसद में ट्रूडो द्वारा आरोप लगाए जाने के तुरंत बाद, अमेरिका और ब्रिटेन ने सावधानीपूर्वक समर्थन बयान जारी किए, जिसमें भारत से कनाडाई जांच में सहयोग करने का आग्रह किया गया। … अगर जांच में इस अपराध में भारत की संलिप्तता की पुष्टि होती है, तो सख्त रुख अपनाने का समय है। रणनीतिक साझेदार कालीन के नीचे की गंदगी को सार्वजनिक तौर पर प्रसारित नहीं करते हैं, और न ही वे एक-दूसरे के नागरिकों की हत्या करते हैं। इस बात को मोदी के आगे स्पष्ट करने के लिए कनाडा के सहयोगियों को इकठ्ठा होना होगा’।
सोचें, ऐसे वैश्विक नैरेटिव के बीच मोदी सरकार ने क्या कहा? इतना भर कहा कि आरोप ‘बेतुके और प्रेरित’। यदि मोदी सरकार सत्यनिष्ठ है तो क्या कनाडा और उसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को यह अल्टीमेट नहीं देना था कि या तो प्रमाण प्रस्तुत करो अन्यथा चौबीस घंटों में अपना कहा वापिस लो। माफी मांगो। या यह कि हम सत्य-तथ्य की पड़ताल में साझा जांच और सहयोग को तत्पर हैं? अपने प्रमाण दिखाओ और साझा जांच टीम हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की पड़ताल करेगी।
हां, सवाल सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का नहीं है, बल्कि भारत राष्ट्र-राज्य का है। उसकी इमेज का है। हम सनातनियों, हिंदुओं की गरिमा का है। नरेंद्र मोदी, अजित डोवाल, जयशंकर क्योंकि मौजूदा समय में भारत के नेतृत्वकर्ता है तो इनकी करनियां, भारत की करनी है। इसलिए मोदी सरकार की साख और उसके नाम का पहलू छोटी बात है मगर हत्या में ‘भारत’ की संलिप्तता का वैश्विक नैरेटिव तथा पश्चिमी देशों का रूख गंभीर है।
मैं कनाडा को मित्र देश मानता हूं। वह दुनिया का अकेला देश है, जिसने आंख मूंद भारत के लोगों को दशकों से बसने दिया है। भारतीय सभ्यता-संस्कृति के लोगों का वह खुले दिल स्वागत करता है। हिंदू और सिख (मैं हिंदू और सिख को सनातनी जुड़वा भाई मानता हूं।) सबके लिए कनाड़ा सुख-समृद्धि और सत्ता तक में भागीदारी की सरजमीं है। न कनाडा भारत विरोधी है और न वहां रहने वाले सिखों को मैं हिंदू विरोधी खालिस्तानी मानता हूं। निश्चित ही कुछ सिरफिरे हैं लेकिन ऐसे लोग हर समुदाय में होते हैं। खुद भारत के एनआरआई भक्त समाज में कट्टरता, बिखराव तथा एक-दूसरे के जानी दुश्मन बनने की प्रवृत्ति मोदी राज में खूब फैली है। जैसे देश में पानीपत की लड़ाई के अखाड़े बनते हुए हैं वैसे विदेश में भी बने हैं। याद करें कैसे एक क्रिकेट मैच के बाद ब्रिटेन के लिस्टर में भक्त लंगूरों ने मुस्लिम इलाके में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा कर मार खाई। ब्रिटेन में हिंदुओं की कैसी बदनामी कराई। वैसा ही कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका में भी मेरे-तेरे, भक्त बनाम विरोधी की खुन्नस बनी है। पांच दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड पुलिस की यह रिपोर्ट पढ़ने को मिली कि लंगूरी हिंदुओं ने खुद सीसीटीवी कैमरे बंद करके मंदिर की दिवालों को गंदा किया, ग्रैफिटी बनाई ताकि खालिस्तान समर्थकों की करतूत का हल्ला बने (OZ police see ‘Hindu hand’ in temple graffiti- TOI, 18 sept)
तभी सोचें, ऑस्ट्रेलियाई पुलिस, ब्रितानी पुलिस, कनाडा पुलिस याकि दुनिया में सभी तरफ ‘हिंदू’ व ‘हिंदू हैंड’ का रोल नोटिस हो रहा है तो आखिर पिछले नौ सालों में ऐसा क्या हुआ, जिससे यह सब है? जवाब में सुनने को मिलेगा हम हिंदू जाग गए! हम शक्तिमान हैं। मोदीजी घर में घुस कर मारते हैं। पाकिस्तान को ठोक दिया। मोदीजी हैं तो सब मुमकिन। सर्वभूमि गोपाल की। देखो ब्रिटेन को एक हिंदू ऋषि सुनक चला रहा है। बाइडेन के व्हाइट हाउस में हिंदू बैठे हुए हैं। सारी दुनिया दिल्ली आ कर मोदीजी से ज्ञान ले रही है। और हां, जस्टिन ट्रूडो भी उनसे मिले, जिन्हें नरेंद्र मोदी ने सुनाया कि खालिस्तानियों को काबू में करो नहीं तो…।
सचमुच याद करें, नरेंद्र मोदी और जस्टिन ट्रूडो की जी-20 बैठक दौरान हुई दोपक्षीय बातचीत के बाद भारत के मीडिया में क्या नैरेटिव बनवाया गया? मानो जस्टिन ट्रूडो को औकात दिखला दी।
और अब असलियत क्या जाहिर है? जी-20 बैठक के दौरान जस्टिन ट्रूडो ने न केवल नरेंद्र मोदी से खालिस्तानी पैरोकार हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर बात की, बल्कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन, ब्रितानी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों आदि से भी हत्या मामले में बातचीत की। ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की माने तो ‘फाइव आइज अलायंस’ (ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा) के नेताओं से जस्टिन ट्रूडो सार्वजनिक रूप से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की निंदा का एक बयान बनवाना चाहते थे। मगर बाकी नेताओं ने ठीक नहीं माना। सही किया अन्यथा दिल्ली में जी-20 बैठक में इस बात का खुलना ही मेजबान देश की भारी वैश्विक किरकिरी होती।
सो, जस्टिन ट्रूडो ने पश्चिमी सभ्यता के सिरमौर देशों के ‘फाइव आइज अलायंस’ के नेताओं बाइडेन, ऋषि सुनक, मैक्रों और अल्बनीज को वह सब ब्योरा दिया, जिससे उनका यह दावा पुष्ट हो कि उनकी सुरक्षा एजेंसियों के पास हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत के जिम्मेदार होने के ‘विश्वसनीय सबूत’ हैं। ट्रूडो के संसद में भाषण के बाद कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री डोमिनिक लेब्लांक का कहना था कि कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा के निदेशक डेविड विग्नॉल्ट और ट्रूडो के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉडी थॉमस इस हत्या पर चर्चा करने के लिए बाकायदा भारत गए।
यदि यह सब सत्य है तो मोदी सरकार को क्यों नहीं अपनी तह दुनिया को बताना चाहिए कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से और उनकी खुफिया व जांच सेवाओं के अधिकारियों ने दिल्ली में जो बात की तो उस सबको यदि भारत सरकार बेतुका, अविश्वसनीय मानती है तो ऐसा किन बातों, किस आधार पर है? जब अमेरिका के राष्ट्रपति के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की प्रवक्ता एर्डिन वाट्सन, ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवर्ली, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता व प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज आरोप को गंभीर, चिंताजनक मानते हुए कनाडा की जांच का समर्थन करते हुए दोषी को इंसाफ के दायरे में लाना अहम बतला रहे हैं तो भारत को भी तो जवाब देना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कहा कि हमने भारत में सीनियर लेवल पर अपनी चिंता ज़ाहिर की है। यदि ऐसा तो सोचे उन्हें क्या जवाब दिया गया होगा?