sarvjan pention yojna
maiya samman yatra

जिसमें दम है वह मारता है!

जिसमें दम है वह मारता है!

खालिस्तानी आतंकवादी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए की वांछित सूची में शामिल रहा हरदीप सिंह निज्जर अकेला नहीं है, जो विदेशी धरती पर मारा गया है। एक के बाद एक भारत में वांछित कई आतंकवादी विदेशी धरती पर मारे गए हैं। अभी जब निज्जर की हत्या का विवाद चल रहा है और भारत व कनाडा के बीच बड़ा कूटनीतिक संकट खड़ा है तब भी एक गैंगेस्टर सखदूल सिंह उर्फ सुक्खा दुनिके की कनाडा में गोली मार कर हत्या हुई है। भारत की एक जेल में बंद गैंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है। अगर उसने आगे बढ़ कर जिम्मेदारी नहीं ली होती और उसके नाम से संचालित फेसबुक अकाउंट पर यह नहीं बताया जाता कि उसने अपने गैंग के एक व्यक्ति की हत्या का बदला लेने के लिए यह कराया है तो क्या पता भारत में कहा जाता कि देश की सुरक्षा के लिए उसकी हत्या है।

इस साल जून में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई थी। दो लोगों ने उसे एक पार्किंग में गोली मार दी थी। वह खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़ा हुआ बताया जाता था और भारत में एनआईए द्वारा वांछित आतंकवादी था। सिख फॉर जस्टिस की ओर से चलाए गए सिख रेफरेंडम से भी निज्जर जुड़ा हुआ था। निज्जर की हत्या से ठीक पहले मई में पाकिस्तान में छिपे खालिस्तान कमांडो फोर्स के सरगना परमजीत सिंह पंजवड की हत्या कर दी गई थी। अज्ञात लोगों ने गोली मार कर उसकी हत्या कर दी थी। भारत ने 2020 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून यानी यूएपीए के तहत नौ वांछितों की सूची जारी की थी, जिसमें पंजवड का भी नाम था। वह लाहौर में रह कर आतंकवादियों को प्रशिक्षण देता था और उन्हें हथियार, गोला-बारूद आदि मुहैया कराता था ताकि भारत में महत्वपूर्ण लोगों पर हमला कराया जा सके। वह ड्रग्स की तस्करी में भी शामिल बताया जाता था।

उससे पहले फरवरी में पाकिस्तान के रावलपिंडी में बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज आलम की अज्ञात लोगों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। उसे एक साल पहले ही भारत की एजेंसियों ने भगोड़ा आतंकवादी घोषित किया था। वह पाकिस्तान के कुपवाड़ा का रहने वाला था। फरवरी में ही भारत में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट को जिंदा करने में जुटे एजाज अहमद अहंगर की काबुल में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस साल जून में ब्रिटेन में अवतार सिंह खांडा की रहस्यमय स्थितियों में मौत हो गई थी। उसका पूरा परिवार खालिस्तान आंदोलन से जुड़ा रहा था और खूंखार आतंकवादियों के साथ उसके संबंध थे। भारत के रहने वाले और किसी न किसी तरह की आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे अनेक लोग विदेशी धरती पर मारे गए हैं।

तभी भारत में यह हल्ला, प्रचार है कि भारत के दुश्मन दुनिया के किसी भी हिस्से में छिपे हों उनको खोज कर मारा जाएगा। इससे पहले यह बात इजराइल के लिए कही जाती थी। इसके कितने किस्से हैं और कई किस्सों पर अब नेटफ्लिक्स या अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सीरिज बन चुकी है। परदे पर कहानी आने से पहले किवदंती की तरह इजराइल के खुफिया एजेंसी मोसाद और उसके अभियानों की कहानी प्रचलित थी। म्यूनिख ओलंपिक में इजराइली खिलाड़ियों की हत्या करने वालों को दुनिया के अलग अलग हिस्सों में खोज कर मारने के किस्सों पर ‘म्यूनिख’ नाम से ही हॉलीवुड की फिल्म बनी है। इनसे यह धारणा बनी है कि इजराइल अपने देश के दुश्मनों को छोड़ता नहीं है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर भी ऐसी धारणा है कि वे अपने या रूस के दुश्मनों को छोड़ते नहीं हैं। मार्च 2018 में ब्रिटेन के सैलिसबरी शहर में एक पूर्व रूसी सैन्य अधिकारी और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों के डबल एजेंट सर्गेई स्क्रिपल और यूलिया स्क्रिपल को नर्व एजेंट के जरिए जहर देकर मारने का प्रयास किया गया था। तब इंगलैंड ने रूस पर उन दोनों की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया था। इसी तरह रूस के पूर्व जासूस अलेक्जेडर लिटवीनेंको की इंगलैंड में 2006 में हत्या कर दी गई थी। लिटवीनेंको सन 2000 में रूस से भाग कर इंगलैंड पहुंचे थे और माना जाता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2006 में उनकी हत्या करा दी। हाल में पुतिन के खिलाफ बगावत करने वाले येवगेनी प्रिगोझिन से लेकर उनके विरोधी रहे नवलनी तक पुतिन विरोधी दर्जनों लोग मारे जा चुके हैं या उनको मारने का प्रयास हुआ है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के ऐसे कितने ही किस्से हैं। अमेरिका के हित में सीआईए ने विदेशी धरती पर कितने अभियान चलाए, कितने लोगों की हत्या कराई, कितनी सरकारें बनवाई या गिराई, इस पर हॉलीवुड में अनगिनत फिल्में बनी हैं। चीन भी अपने देश से दुश्मनी करने वालों को नहीं छोड़ता है चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े। तभी सोशल मीडिया में खुल कर कहा जा रहा है कि दुनिया के शक्तिशाली और विकसित देश ऐसा करते रहे हैं और आज अगर भारत भी ऐसा कर रहा है तो इसमें क्या गलत है? यह खुल कर कहा जा रहा है कि भारत में दम है, वह जोखिम लेने को तैयार है, वह दुनिया के किसी भी हिस्से में चल रही भारत विरोधी गतिविधियां बंद करा सकता है और भारत विरोधी गतिविधियां चलाने वालों को खत्म करा सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जितना इस बात का प्रचार करेंगे कि भारत ने खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या कराई है, भारत का उतना मान बढ़ेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता उतनी ज्यादा बढ़ेगी।

हालांकि इस हल्ले में कोई यह सवाल नहीं उठाता है कि भारत का सबसे बड़ा वांछित, सबसे बड़ा भगोड़ा आतंकवादी दाऊद इब्राहिम अभी तक क्यों नहीं मारा गया? भारतीय मीडिया कई बार उसे मार चुका है लेकिन हकीकत यह है कि भारत की खुफिया एजेंसियों को उसकी कोई भनक नहीं है। वह कराची में है या दुबई में यह भी पता नहीं है। वह कैसा दिखता है, यह जानकारी भी एजेंसियों को नहीं है। सबके पास उसकी 1992-92 की तस्वीरें हैं, जो शारजाह क्रिकेट स्टेडियम की हैं या किसी पारिवारिक फंक्शन की। इसी तरह भारत में हाफिज सईद को पाकिस्तान से उठा कर लाने की कहानी पर फिल्म बन चुकी है। लेकिन वह पाकिस्तान की धरती से भारत विरोधी गतिविधियां चला रहा है। दाऊद इब्राहिम से लेकर छोटा शकील और मसूद अजहर से लेकर हाफिज सईद तक भारत के दुश्मन मजे से भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं।

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें